रायपुर. प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी की डिग्री को लेकर बार-बार सवाल उठा रहे दिल्ली के
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने बड़ा
खुलासा किया है।
उन्होंने एक बेवसाइट का हवाला देते हुए ट्वीटर पर केजरीवाल के आईआईटी में दाखिले पर सवालिया निशान लगाते हुए लिखा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को मेरिट के आधार पर नहीं, बल्कि फेक कोटे के तहत आईआईटी खडग़पुर में एडमिशन दिया गया था।
स्वामी के ट्वीट के मुताबिक द लोटपोट बेवसाइट ने अरविंद केजरीवाल के आईआईटी खडग़पुर में एडमिशन को लेकर सवाल उठाया कि कॉलेज प्रबंधन के पास उनके एडमिशन का आईआईटी-जेईई की रैंक का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। हालांकि प्रबंधन ने माना कि ज्यादातर स्टूडेंट्स के एडमिट कार्ड उनके पास हैं, कुछ छात्रों के मिसिंग हैं, उनमें अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं।
इस मामले में हिन्दुस्तान टाइम्स ने भी चौंकाने वाले खुलासे किए थे कि 1952 और उसके बाद के सालों में आईआईटी संस्थानों में टीचर, स्टॉफ, डॉयरेक्टर्स के बच्चों का अवैध तरीके से एडमिशन कराया गया था। उनके बच्चों ने आईआईटी-जेईई की परीक्षा तो दी थी लेकिन उनके स्कोर कार्ड की जगह 12वीं में 60 प्रतिशत अंक के आधार उन्हें प्रवेश दिया गया। ज्यादातर ऐसे ही छात्रों के एडमिट कार्ड मिसिंग हैं, 2005 में इस तरह के एडमिशन को बैन कर दिया गया.
इसे देखते हुए अरविंद केजरीवाल का एडमिट कार्ड मिसिंग होने पर सवाल उठना लाजमी है क्योंकि उन्होंने 1985 में आईआईटी में प्रवेश लिया था। उस समय आईआईटी खडग़पुर के डॉयरेक्टर जीएस सन्याल थे। केजरीवाल के पिता उस समय जिंदल स्टील प्लांट में बड़ी पोस्ट में थे। डॉयरेक्टर और जिंदल समूह के अच्छे सबंध थे। इसलिए उन्हें आईआईटी कोटा के तहत प्रवेश दिया गया। साथ ही केजरीवाल का एडमिट कार्ड मिसिंग होना इसे और भी पुख्ता करता है कि उनका एडमिशन मेरिट के आधार पर नहीं बल्कि स्टॉफ कोटे से हुआ था।
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उन्होंने एक बेवसाइट का हवाला देते हुए ट्वीटर पर केजरीवाल के आईआईटी में दाखिले पर सवालिया निशान लगाते हुए लिखा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को मेरिट के आधार पर नहीं, बल्कि फेक कोटे के तहत आईआईटी खडग़पुर में एडमिशन दिया गया था।
स्वामी के ट्वीट के मुताबिक द लोटपोट बेवसाइट ने अरविंद केजरीवाल के आईआईटी खडग़पुर में एडमिशन को लेकर सवाल उठाया कि कॉलेज प्रबंधन के पास उनके एडमिशन का आईआईटी-जेईई की रैंक का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। हालांकि प्रबंधन ने माना कि ज्यादातर स्टूडेंट्स के एडमिट कार्ड उनके पास हैं, कुछ छात्रों के मिसिंग हैं, उनमें अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं।
इस मामले में हिन्दुस्तान टाइम्स ने भी चौंकाने वाले खुलासे किए थे कि 1952 और उसके बाद के सालों में आईआईटी संस्थानों में टीचर, स्टॉफ, डॉयरेक्टर्स के बच्चों का अवैध तरीके से एडमिशन कराया गया था। उनके बच्चों ने आईआईटी-जेईई की परीक्षा तो दी थी लेकिन उनके स्कोर कार्ड की जगह 12वीं में 60 प्रतिशत अंक के आधार उन्हें प्रवेश दिया गया। ज्यादातर ऐसे ही छात्रों के एडमिट कार्ड मिसिंग हैं, 2005 में इस तरह के एडमिशन को बैन कर दिया गया.
इसे देखते हुए अरविंद केजरीवाल का एडमिट कार्ड मिसिंग होने पर सवाल उठना लाजमी है क्योंकि उन्होंने 1985 में आईआईटी में प्रवेश लिया था। उस समय आईआईटी खडग़पुर के डॉयरेक्टर जीएस सन्याल थे। केजरीवाल के पिता उस समय जिंदल स्टील प्लांट में बड़ी पोस्ट में थे। डॉयरेक्टर और जिंदल समूह के अच्छे सबंध थे। इसलिए उन्हें आईआईटी कोटा के तहत प्रवेश दिया गया। साथ ही केजरीवाल का एडमिट कार्ड मिसिंग होना इसे और भी पुख्ता करता है कि उनका एडमिशन मेरिट के आधार पर नहीं बल्कि स्टॉफ कोटे से हुआ था।
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