समस्तीपुर । शाहपुरपटोरी में नौवीं कक्षा की परीक्षा न तो सरकार ने ली और न
ही विद्यालय को ही परीक्षा लेने दिया। छात्रों को ऊपर की कक्षा में
उत्प्रेषित कर दिया गया। नवम वर्ग के लाखों छात्र-छात्राओं के साथ सरकार ने
मजाक किया है। सरकार के द्वारा यह आदेश दिया गया कि जिन विद्यालयों में
नौवीं की परीक्षा आयोजित नहीं की गई है उनके छात्रों को भी दशम वर्ग में
उत्प्रेषित माना जाएगा।
सरकार के इस आदेश के पश्चात छात्रों में लगभग तीन महीने बाद मैट्रिक की तैयारी शुरू की। ज्ञात हो कि मैट्रिक की पढ़ाई के लिए अब छात्रों को सिर्फ 7 से 8 माह तक का ही समय मिल सकेगा। इसकी जिम्मेवारी आखिर कौन लेगा। पटोरी अनुमंडल ही नहीं बल्कि पूरे सूबे के छात्रों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। पटोरी अनुमंडल के कई ऐसे उच्च विद्यालय हैं जहां नवम वर्ग की वार्षिक परीक्षा आयोजित नहीं की गई थी। इसी बीच सरकार का फरमान जारी हुआ कि नवम वर्ग में ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा वार्षिक परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए तिथि भी निर्धारित की गई। 13 जून से 18 जून के बीच यह परीक्षा लेनी थी। इसके लिए छात्रों को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा फार्म भी भरवाया गया। जिन छात्रों के खाते नहीं खुले थे उन्होंने अपना खाता बैंकों में खुलवाया। बाद में किसी कारणवश इस परीक्षा को स्थगित कर दिया गया। किन्तु परीक्षा की तैयारी में छात्र लग गये थे। विभिन्न प्रकाशन वालों ने इसके लिए गाईड प्रकाशित किया और छात्रों ने गाईड खरीदकर तैयारी भी शुरू कर दी किन्तु परीक्षा टल जाने के पश्चात उनकी तैयारियां बेकार चली गईं। इस परीक्षा के पीछे सरकार की जो भी मंशा रही हो परन्तु सच यह है कि सरकार के अविवेकपूर्ण निर्णय ने बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। इससे सरकार को क्षति हुई और परीक्षा गाइड प्रकाशित करने वाले प्रकाशकों को करोड़ों रुपये का मुनाफा हुआ। सरकार ने 9 वीं की परीक्षा लेने का निर्णय काफी विलंब से लिया। इसे शिक्षा विभाग द्वारा किया जा रहा एक वैसा प्रयोग ही कहा जाएगा जिससे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ। आमतौर पर मार्च में 9वीं की परीक्षा हो जाती थी और बच्चों का नामांकन अप्रैल माह में 10वीं कक्षा में कर लिया जाता था। इस प्रकार बच्चों को 10 से 11 माह का समय मैट्रिक की परीक्षा के लिए मिल जाता था परन्तु इस बार बच्चे जून माह तक 9वीं कक्षा की पढ़ाई करते रहे। अब जब बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव ने इस परीक्षा को अगले आदेश तक स्थगित कर देने की अधिसूचना जारी कर दी तो बच्चों को मात्र सात माह का समय ही मैट्रिक की परीक्षा के लिए मिल पाएगा। छात्रों और अभिभावकों में सरकार के इस फैसले से गहरा आक्रोश है और उनका कहना है कि मैट्रिक की परीक्षा में उनके बच्चों को तैयारी करने का कम अवसर मिल पाएगा। ऐसी स्थिति में उन छात्रों के परिणाम भी प्रभावित होंगे।
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सरकार के इस आदेश के पश्चात छात्रों में लगभग तीन महीने बाद मैट्रिक की तैयारी शुरू की। ज्ञात हो कि मैट्रिक की पढ़ाई के लिए अब छात्रों को सिर्फ 7 से 8 माह तक का ही समय मिल सकेगा। इसकी जिम्मेवारी आखिर कौन लेगा। पटोरी अनुमंडल ही नहीं बल्कि पूरे सूबे के छात्रों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। पटोरी अनुमंडल के कई ऐसे उच्च विद्यालय हैं जहां नवम वर्ग की वार्षिक परीक्षा आयोजित नहीं की गई थी। इसी बीच सरकार का फरमान जारी हुआ कि नवम वर्ग में ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा वार्षिक परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए तिथि भी निर्धारित की गई। 13 जून से 18 जून के बीच यह परीक्षा लेनी थी। इसके लिए छात्रों को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा फार्म भी भरवाया गया। जिन छात्रों के खाते नहीं खुले थे उन्होंने अपना खाता बैंकों में खुलवाया। बाद में किसी कारणवश इस परीक्षा को स्थगित कर दिया गया। किन्तु परीक्षा की तैयारी में छात्र लग गये थे। विभिन्न प्रकाशन वालों ने इसके लिए गाईड प्रकाशित किया और छात्रों ने गाईड खरीदकर तैयारी भी शुरू कर दी किन्तु परीक्षा टल जाने के पश्चात उनकी तैयारियां बेकार चली गईं। इस परीक्षा के पीछे सरकार की जो भी मंशा रही हो परन्तु सच यह है कि सरकार के अविवेकपूर्ण निर्णय ने बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। इससे सरकार को क्षति हुई और परीक्षा गाइड प्रकाशित करने वाले प्रकाशकों को करोड़ों रुपये का मुनाफा हुआ। सरकार ने 9 वीं की परीक्षा लेने का निर्णय काफी विलंब से लिया। इसे शिक्षा विभाग द्वारा किया जा रहा एक वैसा प्रयोग ही कहा जाएगा जिससे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ। आमतौर पर मार्च में 9वीं की परीक्षा हो जाती थी और बच्चों का नामांकन अप्रैल माह में 10वीं कक्षा में कर लिया जाता था। इस प्रकार बच्चों को 10 से 11 माह का समय मैट्रिक की परीक्षा के लिए मिल जाता था परन्तु इस बार बच्चे जून माह तक 9वीं कक्षा की पढ़ाई करते रहे। अब जब बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव ने इस परीक्षा को अगले आदेश तक स्थगित कर देने की अधिसूचना जारी कर दी तो बच्चों को मात्र सात माह का समय ही मैट्रिक की परीक्षा के लिए मिल पाएगा। छात्रों और अभिभावकों में सरकार के इस फैसले से गहरा आक्रोश है और उनका कहना है कि मैट्रिक की परीक्षा में उनके बच्चों को तैयारी करने का कम अवसर मिल पाएगा। ऐसी स्थिति में उन छात्रों के परिणाम भी प्रभावित होंगे।
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