डिग्री कॉलेजों में डिग्री बांटने का खेल, सूबे के 231 संबद्ध कॉलेजों के फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने के लिए उठाने होंगे कई कड़े कदम

विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों की पूरी व्यवस्था की होगी जांच : मंत्री
ऑपरेशन क्लीन के तहत बनाई गई है योजना, जिला स्तर पर गठित होगी जांच कमेटी
शिक्षामंत्री डा. अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि सरकार अब डिग्री कॉलेजों की भी जांच कराएगी। इसके लिए शीघ्र कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे। डिग्री कॉलेजों में पढ़ाई की गुणवत्ता को बरकरार रखने के लिए सरकार की ओर से कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं।

शिक्षा मंत्री ने सूबे की शैक्षणिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए रोडमैप तैयार करने की बात कही। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश :

{सरकारक्या डिग्री कॉलेजों की जांच कराएगी?

मंत्री-सरकार सूबे के सभी डिग्री कॉलेजों की जांच कराएगी। निजी स्तर पर गठित कॉलेजों में भी बेहतर शैक्षणिक व्यवस्था हो, यह जिम्मेदारी भी संबद्धता देने वाले विश्वविद्यालय की है। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को विभाग की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं।

{सरकारकी ओर से भी टीम गठित होगी?

मंत्री-शिक्षाविभाग ने शैक्षणिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए ऑपरेशन क्लीन शुरू किया है। विभाग की ओर से टीम का गठन किया जाएगा। जिलास्तर की टीम के साथ समन्वय स्थापित कर विभागीय अधिकारी कॉलेजों की जांच कर वहां की सभी स्थिति की समीक्षा करेंगे।

{अंगीभूतकॉलेजों की स्थिति बेहतर नहीं, फिर डिग्री कॉलेजों पर दबाव क्यों?

मंत्री-अंगीभूतकॉलेजों की स्थिति में सुधार के लिए विश्वविद्यालय, सरकार, राजभवन यूजीसी की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। खासकर, सरकार उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए विशेष रूप से कार्यक्रम तैयार कर रही है। विभाग ने उच्च शिक्षा में ग्रॉस इनरालमेंट रेशियो बढ़ाने का निर्णय लिया है। कॉलेजों को भी सुविधासंपन्न बनाने की योजना है। शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है।

{कमियोंके बावजूद निजी कॉलेजों का रिजल्ट शानदार कैसे हो जाता है?

मंत्री-जांचटीम सभी पहलुओं पर जांच करेगी। इंटर मामले के बाद कमियां सामने आने लगी है। डिग्री कॉलेजों के विद्यार्थियों का रिजल्ट शानदार कैसे हो जाता है? इसकी जानकारी ली जाएगी। अगर रिजल्ट में गड़बड़ी सामने आती है तो सभी पक्षों को कार्रवाई की जाएगी। इंटर मामले में सरकार का रुख सबके सामने है। गड़बड़ी करने वाले कोई हों, नहीं बचेंगे।

रितेश

कॉलेजों को मान्यता देने का नियम है काफी कड़ा

विश्वविद्यालयसे अगर सही तरीके से संबद्धता हासिल करनी हो तो सामान्य लोगों के पसीने छूट जाते हैं। कॉलेज की अपनी जमीन होनी चाहिए। कोर्स के हिसाब से कॉलेज भवन का निर्माण आवश्यक होता है। सभी संकायों के लिए अलग-अलग भवन का निर्माण करना होता है। इसके अलावा प्रायोगिक विषयों के लिए सभी प्रकार के आधुनिक उपकरण रसायनों से प्रयुक्त प्रयोगशाला का निर्माण कराना आवश्यक है। पुस्तकालय का भी निर्माण आवश्यक है। प्राचार्य कक्ष, शिक्षक कक्ष, क्लासरूम, छात्र छात्राओं के लिए अलग-अलग कॉमन रूम शौचालय आदि का निर्माण कराना अनिवार्य है। साथ ही, कॉलेजों में सभी विषयों के शिक्षकों का होना अनिवार्य किया गया है।

शिक्षक, कक्षाएं और रिजल्ट शानदार

संबद्धकॉलेजों का खेल निराला है। अधिकांश कॉलेजों में शिक्षकों की संख्या काफी कम है। विषयों के शिक्षक एक साथ कई कॉलेजों में पढ़ाते रहते हैं। उनके नाम केवल मान्यता हासिल करने के लिए कॉलेज की सूची में दिया जाता है। बच्चों को केवल एडमिशन के समय कॉलेजों में आना होता है। इसके बाद बच्चे परीक्षा फॉर्म ही भरने आते हैं। अगर कभी विवि की जांच प्रस्तावित होती है तो ये कॉलेज छात्रों की व्यवस्था भी करते हैं। तीन वर्षों के डिग्री कोर्स में कई विद्यार्थी तो तीन चार बार ही कॉलेज आते हैं। हालांकि, विवि स्तर पर पास कराने का खेल जोरदार तरीके से चलता है। इसमें कॉलेज प्रशासन की मैनेजिंग कैपेसिटी काफी काम करती है। परीक्षा विभाग से लेकर विवि मुख्यालय तक में मैनेज करने का खेल चलता है।

राहुल पराशर|पटना

इंटरटॉपर घोटाले ने सूबे की शिक्षा व्यवस्था की गड़बड़ियों को उजागर कर दिया है। इंटर स्तर के शिक्षण संस्थानों की गड़बड़ी सामने आने के बाद जब उच्च शिक्षा की तरफ सरकार की नजर गई, तो वहां भी स्थिति ठीक नहीं है। सरकार ने नए कॉलेज नहीं खोले। निजी संस्थानों को मान्यता देने की योजना तैयार की। इसके बाद शिक्षा माफियाओं का खेल शुरू हो गया। एक भवन को कॉलेज का दर्जा दिलाने का खेल शुरू हुआ। खेल के पीछे पैसा सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। डिग्री कॉलेजों के मामले में पैसा, पैरवी रसूख का खूब इस्तेमाल किया गया।

इंटर स्तर की शिक्षा में मुनाफे के खेल को देखते हुए कई सफेदपोश भी शिक्षाविद बन गए। सूबे के नेताओं उनके संबंधियों के नाम पर सैकड़ों इंटर कॉलेज इसकी गवाही देते हैं। इसके अलावा कई प्रशासनिक पदाधिकारी भी पद पर रहते हुए इंटर कॉलेजों को खोलकर बैठ गए। बाद में इन इंटर कॉलेजों को डिग्री कॉलेजों में बदल दिया गया। एडमिशन से लेकर मार्कशीट निकालने तक इन कॉलेजों में विद्यार्थियों से वसूली होती है। सरकार ने अब इस पूरे गोरखधंधे पर लगाम लगाने का निर्णय लिया है। नियम के प्रतिकूल संबद्ध कॉलेजों पर गाज गिराने की तैयारी की जा रही है। सरकार ने इसके लिए शीघ्र जिलास्तर पर टीम का गठन कर जांच कराने का निर्णय लिया है। माना जा रहा है कि जुलाई से कॉलेजों की जांच का कार्य आरंभ हो जाएगा।

रसूखदारोंके लिए कॉलेज खोलना मुश्किल नहीं

शिक्षामाफियाओं की जड़ें जिलों से लेकर राजधानी तक इतनी गहरी है कि अगर कोई रसूखदार कॉलेज खोलना चाहते हैं तो उन्हें अधिक मशक्कत नहीं करनी होती। एक भवन खड़ा करने के बाद इन लोगों तक पहुंच जाइए, विश्वविद्यालयों से संबद्धता जरूर मिल जाएगी। संबद्धता के लिए विश्वविद्यालय मुख्यालयों में विभिन्न कार्यालयों का चक्कर लगाने तक कुछ परेशानी होती है। हालांकि, इसमें शिक्षा माफियाओं का पॉलिटिकल कनेक्शन काफी मददगार साबित होता है। विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाया जाता है। एक बार संबद्धता मिल गई, फिर शुरू हो जाता है सर्टिफिकेट बांटने का खेल। एडमिशन परीक्षा के समय विद्यार्थियों को बुलाया जाता है। बाकी समय में कॉलेजों में कक्षाओं के नाम पर महज खानापूर्ति ही होती है। सबकुछ विश्वविद्यालयों की जानकारी में होता है, लेकिन विवि प्रशासन इसको रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाता है। सूबे के नौ प्रमुख विश्वविद्यालयों में से केवल पटना विवि ही कॉलेजों को संबद्धता प्रदान नहीं करता। अन्य आठ विश्वविद्यालयों से कुल 375 कॉलेज जुड़े हुए हैं। इसमें एफिलिएटेड डिग्री कॉलेजों की संख्या 144 है, जबकि संबद्ध कॉलेजों की संख्या 231। डिग्री कॉलेजों में केवल स्नातक स्तर की पढ़ाई होती है। साथ ही, ये कॉलेज इंटर की भी पढ़ाई कराते हैं।

संबद्धतादेने के बाद कॉलेजों की नहीं होती जांच

निजीस्तर पर खोले जाने कॉलेज मुनाफा बाजार को ध्यान में रखकर कोर्स तैयार करते हैं। विश्वविद्यालयों से संबद्धता प्राप्त करने के बाद इन कॉलेजों में तकनीकी पाठ्यक्रमों की डिग्री बांटा जाना शुरू हो जाता है। संबद्ध कॉलेजों में मुख्य रूप से बीबीए, एमबीए, बीसीए, एमसीए, बीएड, फॉर्मेसी से लेकर तमाम तरह के कोर्स चलाए जा रहे हैं। विवि प्रशासन संबद्धता देने के बाद इन कॉलेजों की कभी जांच भी नहीं कराता। बिजनेस मैनेजमेंट के प्रति छात्रों का रुझान देखकर तरह-तरह के बिजनेस कॉलेज खुल गए हैं। इसके अलावा इंजीनियरिंग पॉलिटेक्निक की डिग्री देने वालों संस्थानों की संख्या कम नहीं है। तकनीकी कोर्स के संचालन के लिए एआईसीटीई (ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) या अन्य संस्थानों से मान्यता दिलाने में भी शिक्षा माफिया जा अहम रोल होता है।

विश्वविद्यालयसे संबद्ध कॉलेजों की संख्या

{मगध विश्वविद्यालय| विश्वविद्यालयसे 16 डिग्री कॉलेज समेत 105 संबद्ध कॉलेजों के कोर्स को मान्यता मिली हुई है।

{बीआरएबिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर| विश्वविद्यालयसे 26 एफिलिएटेड डिग्री कॉलेजों के कोर्स को मान्यता मिली हुई है।

{जेपीविश्वविद्यालय, छपरा | विश्वविद्यालयसे 11 डिग्री कॉलेज समेत 34 संबद्ध कॉलेजों के कोर्स को मान्यता मिली हुई है।

{वीरकुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा | विश्वविद्यालयसे 47 कॉलेजों के कोर्स को संबद्धता मिली हुई है।

{तिलकामांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर | विश्वविद्यालयसे 24 संबद्ध डिग्री कॉलेजों 15 बीएड कॉलेजों के कोर्स को संबद्धता मिली हुई है।

{बीएनमंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा | विश्वविद्यालयसे 37 डिग्री कॉलेजों समेत 46 कॉलेजों के कोर्स को मान्यता मिली हुई है।

{ललितनारायण मिश्र दरभंगा विश्वविद्यालय | विश्वविद्यालयसे 25 कॉलेजों के कोर्स को संबद्धता प्रदान की गई है।

{कामेश्वरसिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय | विश्वविद्यालयसे 53 कॉलेजों को संबद्धता मिली हुई है।
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