बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में एक और मेधा घोटाला सामने आया है।
करीब एक हजार कॉपियों की अधूरी जांच या बिना जांचे ही रिजल्ट जारी कर दिया
गया है। पिछले नौ महीने के दौरान हुई परीक्षाओं व रिजल्ट में यह खेल सामने
आया है। इस वक्त एक दर्जन से अधिक ऐसी कॉपियां पकड़ी गई हैं।
इनमें अधिकांश कॉपियां स्नातक पार्ट-टू की है।
परीक्षा विभाग अब इन कॉपियों की जांच करने वाले शिक्षकों को परीक्षा कार्य से हमेशा के लिए अलग करने की तैयारी कर रहा है। इससे पहले पार्ट वन, पार्ट थ्री व पीजी में भी ऐसी गड़बड़ी सामने आ चुकी है। आरटीआई के तहत निकलने वाली अधिकांश कॉपियों की जांच गलत तरीके से होने की बात सामने आ रही है। इसके कारण छात्र या तो फेल हो रहे या पास होने के बावजूद बेहद कम अंक मिले हैं। इन कॉपियों में छात्रों ने पांच सवालों के जवाब लिखे हैं। पर सिर्फ तीन उत्तरों की जांच कर अंक चढम दिया गया है।
छात्रों ने आरटीआई के तहत पिछले नौ महीने में ढाई हजार से अधिक कॉपियां निकलवाई हैं। इनमें एक हजार से अधिक कॉपियों में परीक्षकों की लापरवाही सामने आयी है। इन कॉपियों को दोबारा देखकर कई छात्रों का रिजल्ट जारी किया जा चुका है।
परीक्षकों की सूची निकाली जा रही
कॉपियों की जांच करने वाले तमाम परीक्षकों की सूची आवंटित रजिस्टर से निकाली जा रही है। विवि ने कॉपियों की जांच के बाद तैयार मार्क्स फाइल के आधार पर परीक्षकों की सूची देखनी चाही। पर इस पर दर्ज हस्ताक्षर से परीक्षकों का पूरा नाम नहीं पता चल पा रहा है। विवि अब पता कर रहा है कि इन कॉपियों की जांच किसने की है।
जिले के बाहर परीक्षकों की अधिक शिकायत
कॉपी जांच करने के लिए जिले में बाहर से आने वाले परीक्षकों में सबसे अधिक शिकायत मिली है। कॉपियों की जांच विवि मुख्यालय में होती है। इसमें जिले के अलावा वैशाली, चंपारण व सीतामढ़ी के कॉलेजों के शिक्षक आते हैं। वे हर दिन आते हैं और कॉपी जांच कर लौटते हैं। इस हड़बड़ी के कारण इस तरह की लापरवाही सामने आ रही है।
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इनमें अधिकांश कॉपियां स्नातक पार्ट-टू की है।
परीक्षा विभाग अब इन कॉपियों की जांच करने वाले शिक्षकों को परीक्षा कार्य से हमेशा के लिए अलग करने की तैयारी कर रहा है। इससे पहले पार्ट वन, पार्ट थ्री व पीजी में भी ऐसी गड़बड़ी सामने आ चुकी है। आरटीआई के तहत निकलने वाली अधिकांश कॉपियों की जांच गलत तरीके से होने की बात सामने आ रही है। इसके कारण छात्र या तो फेल हो रहे या पास होने के बावजूद बेहद कम अंक मिले हैं। इन कॉपियों में छात्रों ने पांच सवालों के जवाब लिखे हैं। पर सिर्फ तीन उत्तरों की जांच कर अंक चढम दिया गया है।
छात्रों ने आरटीआई के तहत पिछले नौ महीने में ढाई हजार से अधिक कॉपियां निकलवाई हैं। इनमें एक हजार से अधिक कॉपियों में परीक्षकों की लापरवाही सामने आयी है। इन कॉपियों को दोबारा देखकर कई छात्रों का रिजल्ट जारी किया जा चुका है।
परीक्षकों की सूची निकाली जा रही
कॉपियों की जांच करने वाले तमाम परीक्षकों की सूची आवंटित रजिस्टर से निकाली जा रही है। विवि ने कॉपियों की जांच के बाद तैयार मार्क्स फाइल के आधार पर परीक्षकों की सूची देखनी चाही। पर इस पर दर्ज हस्ताक्षर से परीक्षकों का पूरा नाम नहीं पता चल पा रहा है। विवि अब पता कर रहा है कि इन कॉपियों की जांच किसने की है।
जिले के बाहर परीक्षकों की अधिक शिकायत
कॉपी जांच करने के लिए जिले में बाहर से आने वाले परीक्षकों में सबसे अधिक शिकायत मिली है। कॉपियों की जांच विवि मुख्यालय में होती है। इसमें जिले के अलावा वैशाली, चंपारण व सीतामढ़ी के कॉलेजों के शिक्षक आते हैं। वे हर दिन आते हैं और कॉपी जांच कर लौटते हैं। इस हड़बड़ी के कारण इस तरह की लापरवाही सामने आ रही है।
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