पटना। आज मैं आपको एक ऐसे सच से रुबरु कराने जा रहा हूं जिस पर आप
विश्वास नहीं करेंगे, लेकिन प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती आप
खुद ही इस पहली तस्वीर को देखें और निर्णय करें कि दो कमरों वाले इस
मार्केट में मोबाइल की दुकान होगी या बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के
पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह की कृपा से सम्बद्धता प्राप्त कागजों
पर चलने वाला कोइ इंटर कॉलेज।
यह तस्वीर है जहानाबाद जिले के घोषी प्रखंड मंख्यालय में स्थित तथाकथित 'रंजीता इंटर कॉलेज की।' दो कमरे के मार्केट में स्थित है एयरटेल कंपनी के मोबाईल रिचार्ज का दुकान पर इसी दुकान में कागजों पर चलता है एक इंटर कॉलेज जिसे पिछले वर्ष ही लालकेश्वर की कृपा से मान्यता मिली है। मजे की बात तो यह है कि छात्रों को शिक्षा देने के नाम पर सम्बद्धता प्राप्त इस कथित कॉलेज के नाम वाले फ्लैक्स (बैनर) पर शुद्ध नाम भी नहीं लिखा हुआ है। इस कथित कॉलेज के फ्लैक्स पर 'रंजीता' की जगह 'रंजिता इंटर कॉलेज' लिख हुआ है।
यह इंटर कॉलेज जहानाबाद जिले के घोषी प्रखंड मुख्यालय में स्थित है। 'रंजीता इंटर कॉलेज' के नाम मात्र दो कमरे में कागजों पर चलने वाले इस इंटर कॉलेज का सिर्फ एक बोर्ड बाहर लगा है। बंद शटर पर एयरटेल कंपनी का प्रचार और अंदर में दुकान है। कथित दूकान सह कॉलेज में कार्यदिवस पर भी ताला ही लटका मिला। यहां भी सिर्फ फार्म भरने के समय ही छात्रों और शिक्षकों की चहल-पहल दिखती है। आश्चर्य तो यह है कि घनी आबादी वाले घोषी की जनता को भी यह पता नहीं है कि उनके कस्बे में 'रंजीता इंटर कॉलेज' नाम का कोई कॉलेज भी है।
इस कॉलेज के संचालक अरविन्द कुमार जब मोबाइल फोन के जरिए बातचीत करने की कोशिश की गई तो उन्होंने बात करने से इनकार करते हुए अपने मोबाइल का स्वीच ऑफ कर लिया। लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने अपने अध्यक्ष पद के कार्यकाल में ऐसे जितने भी इंटर कॉलेजों को मान्यता दी है सिर्फ कागजों पर चलने वाले वैसे सभी कॉलेज सिर्फ छात्रों को इंटर का फार्म भराकर उन्हे परीक्षा पास करवाने का ठेका लेते हैं। बोर्ड की मिलीभगत से ऐसे सभी कॉलेजों की इंटर परीक्षा का सेंटर ऐसे कॉलेज में रखा जाता है जहां नकल की पूरी छूट रहती है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि ऐसे फर्जी कॉलेजों में इंटर की परीक्षा में बैठने या फार्म भरने वाले छात्रों की संख्या पचास से साठ तक ही निर्धारित है पर ऐसे सभी कॉलेज प्रति छात्र 8 से 10 हजार रुपये वसूल कर साठ के बदले एक हजार छात्रों तक का फार्म भरवा देते हैं।
ऐसे कॉलेजों की मुख्य कमाई छात्रों के फार्म भरने से ही होती है। सूत्र बताते हैं कि टॉपर घोटाले में आरोपित बच्चा राय सिर्फ छात्रों के टॉपर बनाने का ही खेल नहीं खेलता था बल्कि फर्जी इंटर कॉलेजों को लालकेश्वर और उनकी पत्नी उषा सिन्हा से मिलकर मान्यता दिलवाने का काम भी करता था। इसके एवज में बच्चा राय प्रति कॉलेज से पांच लाख रुपये लेता था जिसमें चार लाख लालकेश्वर के पास, पचास हजार खुद बच्चा राय और बाकी के पचास हजार में बोर्ड के तीन कर्मचारियों के बीच बांट दिया जाता था। बच्चा के इस कॉलेज में कई पूर्व विधायकों ने भी 'बहती गंगा में हाथ धोने' की कहावत को चरितार्थ किया।
जहानाबाद के एक पूर्व विधायक जो कभी राजद के टिकट पर चुनाव जीते थे और वर्तमान में जदयू का झंडा ढो रहे हैं ने भी अपने नाम से खोले गए एक इंटर कॉलेज की संबद्धता अपने स्वजातीय बच्चा राय की मदद से बोर्ड द्वारा प्राप्त कर ली।ये है जहानाबाद के जिलाधिकारी आवास से महज एक किमी की दूरी पर जहानाबाद -पटना मुख्य मार्ग के किनारे स्थित 'महात्मा गांधी इंटर कॉलेज।' मात्र तीन जर्जर कमरों और जर्जर भवन वाले इस कॉलेज में शायद ही कभी शिक्षक या छात्र नजर आते हैं। नजर तब आते हैं और चहल-पहल तब रहती है जब रजिस्ट्रेशन और फार्म भरने का समय होता है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने बिना किसी औपचारिकता या स्थल जांच के ही इस कॉलेज को मान्यता प्रदान कर दी।
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यह तस्वीर है जहानाबाद जिले के घोषी प्रखंड मंख्यालय में स्थित तथाकथित 'रंजीता इंटर कॉलेज की।' दो कमरे के मार्केट में स्थित है एयरटेल कंपनी के मोबाईल रिचार्ज का दुकान पर इसी दुकान में कागजों पर चलता है एक इंटर कॉलेज जिसे पिछले वर्ष ही लालकेश्वर की कृपा से मान्यता मिली है। मजे की बात तो यह है कि छात्रों को शिक्षा देने के नाम पर सम्बद्धता प्राप्त इस कथित कॉलेज के नाम वाले फ्लैक्स (बैनर) पर शुद्ध नाम भी नहीं लिखा हुआ है। इस कथित कॉलेज के फ्लैक्स पर 'रंजीता' की जगह 'रंजिता इंटर कॉलेज' लिख हुआ है।
यह इंटर कॉलेज जहानाबाद जिले के घोषी प्रखंड मुख्यालय में स्थित है। 'रंजीता इंटर कॉलेज' के नाम मात्र दो कमरे में कागजों पर चलने वाले इस इंटर कॉलेज का सिर्फ एक बोर्ड बाहर लगा है। बंद शटर पर एयरटेल कंपनी का प्रचार और अंदर में दुकान है। कथित दूकान सह कॉलेज में कार्यदिवस पर भी ताला ही लटका मिला। यहां भी सिर्फ फार्म भरने के समय ही छात्रों और शिक्षकों की चहल-पहल दिखती है। आश्चर्य तो यह है कि घनी आबादी वाले घोषी की जनता को भी यह पता नहीं है कि उनके कस्बे में 'रंजीता इंटर कॉलेज' नाम का कोई कॉलेज भी है।
इस कॉलेज के संचालक अरविन्द कुमार जब मोबाइल फोन के जरिए बातचीत करने की कोशिश की गई तो उन्होंने बात करने से इनकार करते हुए अपने मोबाइल का स्वीच ऑफ कर लिया। लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने अपने अध्यक्ष पद के कार्यकाल में ऐसे जितने भी इंटर कॉलेजों को मान्यता दी है सिर्फ कागजों पर चलने वाले वैसे सभी कॉलेज सिर्फ छात्रों को इंटर का फार्म भराकर उन्हे परीक्षा पास करवाने का ठेका लेते हैं। बोर्ड की मिलीभगत से ऐसे सभी कॉलेजों की इंटर परीक्षा का सेंटर ऐसे कॉलेज में रखा जाता है जहां नकल की पूरी छूट रहती है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि ऐसे फर्जी कॉलेजों में इंटर की परीक्षा में बैठने या फार्म भरने वाले छात्रों की संख्या पचास से साठ तक ही निर्धारित है पर ऐसे सभी कॉलेज प्रति छात्र 8 से 10 हजार रुपये वसूल कर साठ के बदले एक हजार छात्रों तक का फार्म भरवा देते हैं।
ऐसे कॉलेजों की मुख्य कमाई छात्रों के फार्म भरने से ही होती है। सूत्र बताते हैं कि टॉपर घोटाले में आरोपित बच्चा राय सिर्फ छात्रों के टॉपर बनाने का ही खेल नहीं खेलता था बल्कि फर्जी इंटर कॉलेजों को लालकेश्वर और उनकी पत्नी उषा सिन्हा से मिलकर मान्यता दिलवाने का काम भी करता था। इसके एवज में बच्चा राय प्रति कॉलेज से पांच लाख रुपये लेता था जिसमें चार लाख लालकेश्वर के पास, पचास हजार खुद बच्चा राय और बाकी के पचास हजार में बोर्ड के तीन कर्मचारियों के बीच बांट दिया जाता था। बच्चा के इस कॉलेज में कई पूर्व विधायकों ने भी 'बहती गंगा में हाथ धोने' की कहावत को चरितार्थ किया।
जहानाबाद के एक पूर्व विधायक जो कभी राजद के टिकट पर चुनाव जीते थे और वर्तमान में जदयू का झंडा ढो रहे हैं ने भी अपने नाम से खोले गए एक इंटर कॉलेज की संबद्धता अपने स्वजातीय बच्चा राय की मदद से बोर्ड द्वारा प्राप्त कर ली।ये है जहानाबाद के जिलाधिकारी आवास से महज एक किमी की दूरी पर जहानाबाद -पटना मुख्य मार्ग के किनारे स्थित 'महात्मा गांधी इंटर कॉलेज।' मात्र तीन जर्जर कमरों और जर्जर भवन वाले इस कॉलेज में शायद ही कभी शिक्षक या छात्र नजर आते हैं। नजर तब आते हैं और चहल-पहल तब रहती है जब रजिस्ट्रेशन और फार्म भरने का समय होता है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने बिना किसी औपचारिकता या स्थल जांच के ही इस कॉलेज को मान्यता प्रदान कर दी।
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