मधेपुरा । शिक्षा विभाग के कार्यालय से एक बार फिर से शिक्षकों के
प्रतिनियोजन का खेल शुरू हो गया है। इस खेल में अधिकांश नियोजित शिक्षक
शामिल है। प्रतिनियोजन का खेल शिक्षा विभाग के कार्यालय में लंबे समय से चल
रहा है। प्रतिनियोजित शिक्षक अपने मूल विद्यालय की जगह किसी दूसरे
विद्यालय में या शिक्षा विभाग के कार्यालय में काम कर रहें हैं।
प्रतिनियोजन के इस खेल को शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों की मौन सहमति भी प्राप्त है। जबकि शिक्षकों का प्रतिनियोजन रद्द करने का जिलाधिकारी की ओर से स्पष्ट निर्देश जारी किया जा चुका है। लेकिन डीएम के स्पष्ट निर्देश के बाद भी प्रतिनियोजन का खेल गुपचुप तरीके से चल रहा है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार डीएम के आदेश के बाद सभी शिक्षकों का प्रतिनियोजन रद्द कर दिया गया था। करीब तीन माह तक सभी शिक्षक अपने मूल विद्यालय में काम करते रहें। लेकिन धीरे धीरे प्रतिनियोजन का खेल फिर से शुरू हो गया।
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प्रतिनियोजन में कई दाव पेंच : शिक्षा विभाग में प्रतिनियोजन का खेल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मनमाने तरीके से शिक्षकों को उनकी सुविधा के अनुसार प्रतिनियोजित किया जा रहा है।विशेष कार्य के नाम पर भी शिक्षक प्रतिनियोजित किए जा रहें है। जबकि किसी भी परिस्थिति में नियोजित शिक्षकों को प्रतिनियोजित नहीं करने का आदेश शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव भी कई बार जारी कर चुके है। ऐसे शिक्षा विभाग के अधिकारी ही विभाग के मुख्य सचिव के आदेश की अवहेलना कर रहें हैं।
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स्कूलों में पढ़ाई बाधित : जिले के सभी प्रखंडों में चल रहे प्रतिनियोजन के खेल की वजह से स्कूलों में पठन पाठन प्रभावित हो रहा है। कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी रहने के बावजूद वहां के शिक्षक प्रतिनियोजन पर काम कर रहें है। अधिकांश प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी प्रतिनियोजित शिक्षक को अपने साथ सहयोगी के रूप में रखे हुए हैं। विभाग के वरीय अधिकारी भी प्रतिनियोजन को खत्म करने को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं कह रहें है। शिक्षा विभाग र्किमयों की कमी को बताकर शिक्षकों के प्रतिनियोजन को सही बता रहें हैं।
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डीएम का आदेश मायने नहीं : जिलाधिकारी मो. सोहैल के स्पष्ट निर्देश के बावजूद प्रतिनियोजन का यह खेल नहीं खत्म हो रहा है। जानकारी के अनुसार मनचाहे जगह पर प्रतिनियोजन के लिए शिक्षक मोटी रकम खर्च कर रहें हैं। वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने करीबी शिक्षक को भी अपने कार्यालय में प्रतिनियोजन पर रखे हुए हैं। इसमें प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी मुख्य रूप से शामिल हैं।
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कोट
प्रतिनियोजन को खत्म करने का आदेश पूर्व में ही जारी किया जा चुका है। बावजूद इसके कहीं भी शिक्षक प्रतिनियोजित किए गए हैं तो इसकी जांच की जाएगी। शिक्षकों के प्रतिनियोजन को लेकर बीईओ रिपोर्ट मांगी जा रही है।
शिव शंकर राय
डीपीओ स्थापना
मधेपुरा।
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प्रतिनियोजन के इस खेल को शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों की मौन सहमति भी प्राप्त है। जबकि शिक्षकों का प्रतिनियोजन रद्द करने का जिलाधिकारी की ओर से स्पष्ट निर्देश जारी किया जा चुका है। लेकिन डीएम के स्पष्ट निर्देश के बाद भी प्रतिनियोजन का खेल गुपचुप तरीके से चल रहा है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार डीएम के आदेश के बाद सभी शिक्षकों का प्रतिनियोजन रद्द कर दिया गया था। करीब तीन माह तक सभी शिक्षक अपने मूल विद्यालय में काम करते रहें। लेकिन धीरे धीरे प्रतिनियोजन का खेल फिर से शुरू हो गया।
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प्रतिनियोजन में कई दाव पेंच : शिक्षा विभाग में प्रतिनियोजन का खेल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मनमाने तरीके से शिक्षकों को उनकी सुविधा के अनुसार प्रतिनियोजित किया जा रहा है।विशेष कार्य के नाम पर भी शिक्षक प्रतिनियोजित किए जा रहें है। जबकि किसी भी परिस्थिति में नियोजित शिक्षकों को प्रतिनियोजित नहीं करने का आदेश शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव भी कई बार जारी कर चुके है। ऐसे शिक्षा विभाग के अधिकारी ही विभाग के मुख्य सचिव के आदेश की अवहेलना कर रहें हैं।
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स्कूलों में पढ़ाई बाधित : जिले के सभी प्रखंडों में चल रहे प्रतिनियोजन के खेल की वजह से स्कूलों में पठन पाठन प्रभावित हो रहा है। कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी रहने के बावजूद वहां के शिक्षक प्रतिनियोजन पर काम कर रहें है। अधिकांश प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी प्रतिनियोजित शिक्षक को अपने साथ सहयोगी के रूप में रखे हुए हैं। विभाग के वरीय अधिकारी भी प्रतिनियोजन को खत्म करने को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं कह रहें है। शिक्षा विभाग र्किमयों की कमी को बताकर शिक्षकों के प्रतिनियोजन को सही बता रहें हैं।
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डीएम का आदेश मायने नहीं : जिलाधिकारी मो. सोहैल के स्पष्ट निर्देश के बावजूद प्रतिनियोजन का यह खेल नहीं खत्म हो रहा है। जानकारी के अनुसार मनचाहे जगह पर प्रतिनियोजन के लिए शिक्षक मोटी रकम खर्च कर रहें हैं। वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने करीबी शिक्षक को भी अपने कार्यालय में प्रतिनियोजन पर रखे हुए हैं। इसमें प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी मुख्य रूप से शामिल हैं।
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कोट
प्रतिनियोजन को खत्म करने का आदेश पूर्व में ही जारी किया जा चुका है। बावजूद इसके कहीं भी शिक्षक प्रतिनियोजित किए गए हैं तो इसकी जांच की जाएगी। शिक्षकों के प्रतिनियोजन को लेकर बीईओ रिपोर्ट मांगी जा रही है।
शिव शंकर राय
डीपीओ स्थापना
मधेपुरा।
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