जांच रिपोर्ट पर दो माह में भी कार्रवाई नहीं

उदासीनता. डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान ने मध्य विद्यालय दहमा का किया था निरीक्षण
सरकारी स्कूलों का निरीक्षण होता है. पहले तो जांच रिपोर्ट देने में देरी होती है. अगर जांच रिपोर्ट सौंप भी दिया जाये, तो कार्रवाई के नाम पर महीनों मोल-भाव का दौर चलता रहता है. कुछ यही वाक्या पिछले दिनों अलौली प्रखंड के मध्य विद्यालय दहमा की जांच के बाद हुआ है. डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान ने फरवरी में इस स्कूल का निरीक्षण किया. इस दौरान सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी के साथ पांच शिक्षक गायब पाये गये थे. जांच रिपोर्ट सौंप कर कार्रवाई की अनुशंसा की गयी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी. कुछ दिनों पूर्व डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान ने डीएम की बैठक के दौरान यह मामला उठाते हुए डीइओ को कटघरे में खड़ा किया था. 
 
खगड़िया : शिक्षा विभाग की बात ही निराली है. लाख कड़ाई के बाद भी यहां पिछले दरवाजे के सहारे जांच रिपोर्ट तक दबा दिये जाते हैं. इससे दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है और गोलमाल का सिलसिला बदस्तूर चलता रहता है. तुम भी चुप और हम भी खुश की तर्ज पर सरकारी स्कूलों की कुव्यवस्था का ताजा उदाहरण अलौली प्रखंड स्थित मध्य विद्यालय दहमा से जुड़ा हुआ है. 
 
 यहां फरवरी महीने में डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान अनिल कुमार सिंह के निरीक्षण के दौरान प्रधान शिक्षक सहित पांच शिक्षक-शिक्षिकाएं गायब मिले थे. इसके साथ ही एमडीएम से लेकर पोशाक राशि व दूसरी सरकारी योजनाओं में भी गोलमाल पर से परदा हटा. डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान ने जांच रिपोर्ट डीइओ को सौंपते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की. डीपीओ ने बताया कि जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई हुई या नहीं. इसकी सूचना अब तक नहीं दी गयी है. लिहाजा कार्रवाई होने पर संदेह है. 
घर बैठे हो रही है शिक्षक शिक्षिकाओं की ड्यूटी 
 
बताया जाता है कि इस विद्यालय में 355 नामांकित विद्यार्थी को पढ़ाने के लिए 14 शिक्षक-शिक्षिकाएं कार्यरत हैं. सूत्रों की मानें तो इसमें से अधिकांश शिक्षकों के गायब रहने के कारण विद्यालय की पठन-पाठन व्यवस्था पर गलतअसर पड़ रहा है. विद्यालय की एक शिक्षिका स्मिता भारती 2014 से ही विद्यालय से गायब बतायी जाती है, लेकिन विभाग ने गायब शिक्षिका की खोजबीन करना मुनासिब नहीं समझा है. वह तो शुक्र था कि डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान अनिल कुमार सिंह द्वारा इस विद्यालय का निरीक्षण कर लिया गया, वरना हेराफेरी के खेल पर से परदा भी नहीं हट पाता. 
 
एमडीएम योजना का भी हाल बुरा 
 
सूत्रों की मानें तो मध्य विद्यालय दहमा में एमडीएम की जांच के लिए अधिकारी पहुंचते ही नहीं हैं. नतीजतन फर्जी हाजिरी के आधार पर सरकारी योजनाओं में सेंध लगा कर जेब भरी जा रही है. बताया जाता है कि विद्यालय में अधिकांश दिन 50 से 60 बच्चे मौजूद रहते हैं, लेकिन एमडीएम की रिपोर्ट में दो से तीन गुना फर्जी हाजिरी बना कर गोलमाल किया जा रहा है. इसी तरह पोशाक, छात्रवृत्ति राशि वितरण में भी धांधली की बात सामने आ रही है.
 
निरीक्षण के क्रम में पांच शिक्षक मिले थे गायब, सरकारी योजनाओं की पंजी गायब रहने से गोलमाल की जतायी गयी थी आशंका 
एमडीएम पंजी सहित दूसरी सरकारी योजनाओं की पंजी नहीं नहीं करायी गयी थी उपलब्ध
 
जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद भी अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई, डीइओ कार्यालय में गुम हुई डीपीओ की रिपोर्ट 

पिछले दरवाजे से खेल के सहारे गोलमाल पर डाल दिया गया परदा, जिम्मेदार पर नहीं हुई कोई कार्रवाई 
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