मधुबनी । जिले में प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुखद
की कल्पना भी बेमानी है। शिक्षकों, आधारभूत संरचना की कमी, गुणवत्तापूर्ण
शिक्षा कागज तक ही सिमट कर रह गया है। जिस कारण शिक्षा व्यवस्था लाख कोशिश
के बाद भी पटरी पर नहीं आ पा रहा है।
विडंबना यह है कि मध्य को हाई स्कूल में उत्क्रमित करने के बाद वहां न तो शिक्षक की व्यवस्था की गई है और न ही आधारभूत संरचना की। जिस कारण ऐसे विद्यालयों में छात्र नामांकन कराना नहीं चाह रहे हैं।
संसाधनों की घोर किल्लत:
जिले में प्राथमिक व मध्य विद्यालयों की संख्या कुल तीन हजार है। जिसमें प्राथमिक दो हजार व मध्य एक
हजार हैं। मवि से हाई स्कूल में उत्क्रमित विद्यालय का कोई विकास नहीं हो
सका। सिर्फ कागजों पर ही सारा काम होता रहा। जिससे पठन- पाठन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। नवसृजित 35 प्रतिशत विद्यालय आज तक भवनहीन हैं। जो किसी के दरवाजे व पेड़ के नीचे चल रहे हैं। इन विद्यालयों के लिए भूमि उपलब्धता
नहीं रहने के कारण इन विद्यालयों का चलना नहीं चलना बराबर है। जिस विद्यालय के पास भवन है भी तो वहां शौचालय व पेयजल की स्थिति दयनीय है। विद्यालयों में विभिन्न स्त्रोतों से बनाए गए अधिकांश शौचालय काम के नहीं हैं। पेयजल की स्थिति भी
¨चतनीय है। अधिकांश चापाकल बेकार पड़े हुए हैं। वर्तमान में जल स्तर नीचे चले जाने के कारण कई चापाकल पानी नहीं दे रहा है। भीषण गर्मी में छात्रों को पानी के लिए परेशानी झेलनी पड़ रही है। इन विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। कई मध्य विद्यालय जहां 10 शिक्षकों की आवश्यकता है वहां दो शिक्षक ही आठ वर्ग तक के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगा सकते है।
निर्धारित मानदंड का पालन नहीं
विद्यालयों में छात्र के अनुपात में शिक्षकों की घोर कमी है। जिस कारण एक ही वर्ग में कहीं-कहीं तीन-तीन वर्गों का वर्ग लेने की मजबूरी है।
मध्याह्न भोजन अनियमित
स्कूलों में मध्याह्न भोजन भी नियमित नहीं है। कभी चावल का अभाव तो कभी राशि का समय पर नहीं मिलना इसके नियमित संचालन में बाधा करता है। सरकार की योजनाओं को सही तरीके से धरातल पर नहीं उतारने के कारण शिक्षा का
स्तर नीचे की ओर गिरा है।
समय पर नहीं उपलब्ध हुई पुस्तक ं
सबको शिक्षा कार्यक्रम के तहत सरकारी स्तर पर मिलने वाली पुस्तकों का वितरण भी सही नहीं रहा। जिस कारण अधिकांश विद्यालयों में पुस्तके रखे-रखें ही खराब हो गए।
कंम्यूटर शिक्षा भी बेमानी
जिले में कंप्यूटर शिक्षा बेमानी है। जिले के हाई स्कूल में 40
विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा के लिए कम्प्यूटर तो लगा दिए गए लेकिन
शिक्षक की व्यवस्था नहीं की गई। जिस कारण एक दिन भी कम्प्यूटर का वर्ग नहीं चल सका।
75 उत्क्रमित हाई स्कूलों में शिक्षक का अभाव
सरकार ने जिले के 75 मिडिल स्कूलों को हाई स्कूलों में उत्क्रमित तो कर दिया लेकिन वहां शिक्षकों को देना उचित नहीं समझा। इन विद्यालयों की स्थिति तो बद से बदतर है। यहां सुविधा है नहीं व आठवी पास छात्रों कराने पर दवाब डाला जा रहा है। इन विद्यालयों में प्रारंभिक शिक्षकों के भरोसे शिक्षा व्यवस्था छोड़ दिया गया है। जिस कारण यहां की व्यवस्था उलझन में है। यहां शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है। और न ही हाई स्कूल के मानक के तहत वर्ग कक्ष की व्यवस्था की गई। जिससे ऐसे विद्यालयों में अध्यापन पूर्णत: ठप जैसी स्थिति में है। यही हाल प्लस टू में उत्क्रमित हाई स्कूलों की है वहां भी यही समस्या आ रही है। जिला शिक्षा पदाधिकारी इन सभी समस्याओं को लेकर उच्चाधिकारियों के पास जानकारी देने की बात कह रहे हैं। लेकिन इस समस्या का समाधान कैसे होगा इस पर मौन हो जाते हैं। इससे आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकार की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का जिले में क्या हाल होगा।
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वर्जन
विभाग शिक्षा व्यवस्था को बेपटरी नहीं होने देगी। विभाग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति संकल्पित है। सभी स्तर के विद्यालयों में आधारभूत संरचना, सरकारी योजनाओं को शतप्रतिशत लागू करने में लगा हुआ है। हाई स्कूलों में उत्क्रमित स्कूलों की समस्या से वे उच्चाधिकारियों को अवगत करा चुके हैं। वहां से निर्देश मिलने के बाद आगे का काम होगा। वह दिन दूर नहीं जब आपको जिले में बेहतर शिक्षा व्यवस्था देखने को मिलेगी।
-- शैलेंद्र कुमार, प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
विडंबना यह है कि मध्य को हाई स्कूल में उत्क्रमित करने के बाद वहां न तो शिक्षक की व्यवस्था की गई है और न ही आधारभूत संरचना की। जिस कारण ऐसे विद्यालयों में छात्र नामांकन कराना नहीं चाह रहे हैं।
संसाधनों की घोर किल्लत:
जिले में प्राथमिक व मध्य विद्यालयों की संख्या कुल तीन हजार है। जिसमें प्राथमिक दो हजार व मध्य एक
हजार हैं। मवि से हाई स्कूल में उत्क्रमित विद्यालय का कोई विकास नहीं हो
सका। सिर्फ कागजों पर ही सारा काम होता रहा। जिससे पठन- पाठन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। नवसृजित 35 प्रतिशत विद्यालय आज तक भवनहीन हैं। जो किसी के दरवाजे व पेड़ के नीचे चल रहे हैं। इन विद्यालयों के लिए भूमि उपलब्धता
नहीं रहने के कारण इन विद्यालयों का चलना नहीं चलना बराबर है। जिस विद्यालय के पास भवन है भी तो वहां शौचालय व पेयजल की स्थिति दयनीय है। विद्यालयों में विभिन्न स्त्रोतों से बनाए गए अधिकांश शौचालय काम के नहीं हैं। पेयजल की स्थिति भी
¨चतनीय है। अधिकांश चापाकल बेकार पड़े हुए हैं। वर्तमान में जल स्तर नीचे चले जाने के कारण कई चापाकल पानी नहीं दे रहा है। भीषण गर्मी में छात्रों को पानी के लिए परेशानी झेलनी पड़ रही है। इन विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। कई मध्य विद्यालय जहां 10 शिक्षकों की आवश्यकता है वहां दो शिक्षक ही आठ वर्ग तक के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगा सकते है।
निर्धारित मानदंड का पालन नहीं
विद्यालयों में छात्र के अनुपात में शिक्षकों की घोर कमी है। जिस कारण एक ही वर्ग में कहीं-कहीं तीन-तीन वर्गों का वर्ग लेने की मजबूरी है।
मध्याह्न भोजन अनियमित
स्कूलों में मध्याह्न भोजन भी नियमित नहीं है। कभी चावल का अभाव तो कभी राशि का समय पर नहीं मिलना इसके नियमित संचालन में बाधा करता है। सरकार की योजनाओं को सही तरीके से धरातल पर नहीं उतारने के कारण शिक्षा का
स्तर नीचे की ओर गिरा है।
समय पर नहीं उपलब्ध हुई पुस्तक ं
सबको शिक्षा कार्यक्रम के तहत सरकारी स्तर पर मिलने वाली पुस्तकों का वितरण भी सही नहीं रहा। जिस कारण अधिकांश विद्यालयों में पुस्तके रखे-रखें ही खराब हो गए।
कंम्यूटर शिक्षा भी बेमानी
जिले में कंप्यूटर शिक्षा बेमानी है। जिले के हाई स्कूल में 40
विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा के लिए कम्प्यूटर तो लगा दिए गए लेकिन
शिक्षक की व्यवस्था नहीं की गई। जिस कारण एक दिन भी कम्प्यूटर का वर्ग नहीं चल सका।
75 उत्क्रमित हाई स्कूलों में शिक्षक का अभाव
सरकार ने जिले के 75 मिडिल स्कूलों को हाई स्कूलों में उत्क्रमित तो कर दिया लेकिन वहां शिक्षकों को देना उचित नहीं समझा। इन विद्यालयों की स्थिति तो बद से बदतर है। यहां सुविधा है नहीं व आठवी पास छात्रों कराने पर दवाब डाला जा रहा है। इन विद्यालयों में प्रारंभिक शिक्षकों के भरोसे शिक्षा व्यवस्था छोड़ दिया गया है। जिस कारण यहां की व्यवस्था उलझन में है। यहां शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है। और न ही हाई स्कूल के मानक के तहत वर्ग कक्ष की व्यवस्था की गई। जिससे ऐसे विद्यालयों में अध्यापन पूर्णत: ठप जैसी स्थिति में है। यही हाल प्लस टू में उत्क्रमित हाई स्कूलों की है वहां भी यही समस्या आ रही है। जिला शिक्षा पदाधिकारी इन सभी समस्याओं को लेकर उच्चाधिकारियों के पास जानकारी देने की बात कह रहे हैं। लेकिन इस समस्या का समाधान कैसे होगा इस पर मौन हो जाते हैं। इससे आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकार की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का जिले में क्या हाल होगा।
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वर्जन
विभाग शिक्षा व्यवस्था को बेपटरी नहीं होने देगी। विभाग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति संकल्पित है। सभी स्तर के विद्यालयों में आधारभूत संरचना, सरकारी योजनाओं को शतप्रतिशत लागू करने में लगा हुआ है। हाई स्कूलों में उत्क्रमित स्कूलों की समस्या से वे उच्चाधिकारियों को अवगत करा चुके हैं। वहां से निर्देश मिलने के बाद आगे का काम होगा। वह दिन दूर नहीं जब आपको जिले में बेहतर शिक्षा व्यवस्था देखने को मिलेगी।
-- शैलेंद्र कुमार, प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC