पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि बिहार के विकास में अग कोई अड़ंगा लगाने का काम करता है तो उनका नाम है सुशील मोदी. भाजपा नेता सुशील मोदी ऐसे व्यक्ति हैं, जो किसी भी काम में अपना टांग जरूर अड़ाते हैं.
बिहार में उच्च शिक्षा में शिक्षकों की कमी को देखते हुए बिहार सरकार ने अपनी तरफ से पहल करके पीएचडी और नेट पास अभ्यर्थियों के लिए नियम बनाए और उस नियम के तहत उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है.
इस नियुक्ति की पूरी जिम्मेदारी बीपीएससी को दी गयी है और बीपीएससी अपने तरीके से योग्य उम्मीदवारों का चयन कर रहा है. जब उच्च शिक्षा में सबकुछ ठीक होने के कगार पर है तो सुशील मोदी उसमें अडंगा लगा रहे हैं. उनको ये नियुक्तियां अच्छी इसलिए नहीं लग रही है क्योंकि नीतीश कुमार ने उन पीएचडी धारकों को वादा किया था कि उनकी नियुक्ति होगी और वो हो रही है. संजय सिंह ने कहा कि सुशील मोदी ये नियुक्ति रोकने की मांग किस हैसियत से कर रहे हैं? इसमें क्या गड़बड़ी है? इस नियुक्ति पर केवल रोक यूजीसी लगा लगा सकता है और ये सभी नियुक्ति यूजीसी के मापदंडों पर ही हो रही है.
सुशील मोदी को लगातार झुनझुना बजाने की आदत हो गयी है, जबकि बिहार में उनकी बातों को कोई तरजीह नहीं देता है. केंद्र सरकार अगर पीएचडी धारकों के लिए आसान मापदंड तय करती है तो वो भी बेहतर है, लेकिन ये लागू कर देने भर से बिहार के बीपीएससी द्वारा नियुक्त किये जा रहे प्राध्यापकों की नियुक्ति पर कोई सवाल खड़ा नहीं कर सकता है. सुशील मोदी फिलहाल बेचैन होना छोड़े, दिल्ली जाकर केवल बिहार के विकास में रोड़ा अटकाने का काम करते हैं जो कि बिहार के लोगो के लिए नुकसानदायक होता है.
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
बिहार में उच्च शिक्षा में शिक्षकों की कमी को देखते हुए बिहार सरकार ने अपनी तरफ से पहल करके पीएचडी और नेट पास अभ्यर्थियों के लिए नियम बनाए और उस नियम के तहत उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है.
इस नियुक्ति की पूरी जिम्मेदारी बीपीएससी को दी गयी है और बीपीएससी अपने तरीके से योग्य उम्मीदवारों का चयन कर रहा है. जब उच्च शिक्षा में सबकुछ ठीक होने के कगार पर है तो सुशील मोदी उसमें अडंगा लगा रहे हैं. उनको ये नियुक्तियां अच्छी इसलिए नहीं लग रही है क्योंकि नीतीश कुमार ने उन पीएचडी धारकों को वादा किया था कि उनकी नियुक्ति होगी और वो हो रही है. संजय सिंह ने कहा कि सुशील मोदी ये नियुक्ति रोकने की मांग किस हैसियत से कर रहे हैं? इसमें क्या गड़बड़ी है? इस नियुक्ति पर केवल रोक यूजीसी लगा लगा सकता है और ये सभी नियुक्ति यूजीसी के मापदंडों पर ही हो रही है.
सुशील मोदी को लगातार झुनझुना बजाने की आदत हो गयी है, जबकि बिहार में उनकी बातों को कोई तरजीह नहीं देता है. केंद्र सरकार अगर पीएचडी धारकों के लिए आसान मापदंड तय करती है तो वो भी बेहतर है, लेकिन ये लागू कर देने भर से बिहार के बीपीएससी द्वारा नियुक्त किये जा रहे प्राध्यापकों की नियुक्ति पर कोई सवाल खड़ा नहीं कर सकता है. सुशील मोदी फिलहाल बेचैन होना छोड़े, दिल्ली जाकर केवल बिहार के विकास में रोड़ा अटकाने का काम करते हैं जो कि बिहार के लोगो के लिए नुकसानदायक होता है.
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