पटना : जून में नौंवी की परीक्षा और दिसंबर में मैट्रिक सेंट अप की परीक्षा. राज्य के 16 लाख नौवीं के छात्र-छात्राओं के सिर पर दो बड़ी परीक्षाएं हैं. सरकार ने फरवरी-मार्च 2017 में होने वाले मैट्रिक परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी गयी है. दो से 16 मई के बीच मैट्रिक परीक्षा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी शुरू हो जायेगा, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अभी तक 10वीं क्लास की पढ़ाई ही शुरू नहीं हो सकी है.
राज्य सरकार अभी नौंवी के पढ़ रहे करीब 16.50 लाख छात्र-छात्राओं की वार्षिक परीक्षा लेने की तैयारी कर रही है. नौ से 15 जून तक होने वाली नौंवी की वार्षिक परीक्षा के लिए भी दो से 16 जून तक ऑनलाइन आवेदन भरे जायेंगे. इसका रिजल्ट भी 20-25 जून तक आ जायेगा. शिक्षा विभाग और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से तैयार शिड्यूल के अनुसार भी सब कुछ चला तो जुलाई से पहले दसवीं क्लास की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकेगी. अप्रैल से शुरू होने वाला सत्र अगर जुलाई से भी शुरू होता है तो दिसंबर महीने में ही मैट्रिक का सेंटअप टेस्ट होगा. करीब पांच-साढ़े पांच महीने में 10वीं का सिलेबस कैसे पूरा किया जायेगा? पाठ्यक्रम का रिविजन भी हो सकेगा या नहीं? इस पर कोई पदाधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं. जुलाई से दिसंबर के बीच जहां बरसात के दिनों में कई जिले बाढ़ की चपेट में आते हैं, जिससे पढ़ाई बाधित होने की संभावना रहती है. वहीं, दशहरा, दीपावली, छठ जैसे त्योहार भी इसी दौरान रहते हैं, जिसकी छुट्टियां भी रहेंगी.
रिजल्ट प्रभावित हुआ तो कौन होगा जिम्मेवार?
10वीं क्लास का सेशन जिसे अप्रैल से शुरू हो जाना था, उसके जुलाई से शुरू होने के आसर लग रहे हैं. अगर 2017 में मैट्रिक की परीक्षा में छात्र-छात्राओं का रिजल्ट प्रभावित होता है तो इसके लिए जिम्मेवार कौन होंगे? छात्र-छात्राएं, शिक्षक या फिर सरकार. छात्र-छात्राएं होंगे जो, अप्रैल महीने से 10वीं की पढ़ाई शुरू होने का इंतजार कर रहे थे, वे नौ से 15 जून तक नौंवी की वार्षिक परीक्षा देंगे. अब जब परीक्षा है तो वे इसकी तैयारी करने के लिए वे जून में नौंवी का ही पाठ्यक्रम पढ़ेंगे और रिजल्ट आने का इंतजार करेंगे. इसके बाद पांच महीने की पढ़ाई कर सेंटप परीक्षा देंगे और एकाद महीने एक्स्ट्रा क्लास कर मैट्रिक की परीक्षा में बैंठेंगे. शिक्षकों पर कम समय में पाठ्यक्रम पूरा कराने की चुनौती होगी. वहीं, सरकार का भी बच्चों व शिक्षकों पर दबाव रहेगा कि समय पर कोर्स पूरा हो और रिजल्ट भी प्रभावित ना हो.
छात्र-छात्राएं, अभिभावकों व शिक्षकों की होगी चुनौती
मैट्रिक 2017 का परिणाम प्रभावित ना हो इसके लिए छात्र-छात्राओं, अभिभावकों और शिक्षकों की बड़ी चुनौतियां होगी. एक तो पांच से छह महीने में किसी प्रकार कोर्स पूरा करना होगा, वहीं दूसरी ओर से उसका रिविजन कर बच्चों को मैट्रिक परीक्षा देने लायक बनाना होगा. अभिभावकों को भी घर पर बच्चों की पढ़ाई में मदद करनी होगी. हालांकि शिक्षा विभाग का दावा है कि नौवीं की होने वाली परीक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं को मैट्रिक की परीक्षा के लिए तैयार करना है. साथ ही बच्चों व स्कूलों की ग्रेडिंग की जायेगी और पता चल सकेगा कि कौन बच्चा किस विषय में कमजोर है.
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
राज्य सरकार अभी नौंवी के पढ़ रहे करीब 16.50 लाख छात्र-छात्राओं की वार्षिक परीक्षा लेने की तैयारी कर रही है. नौ से 15 जून तक होने वाली नौंवी की वार्षिक परीक्षा के लिए भी दो से 16 जून तक ऑनलाइन आवेदन भरे जायेंगे. इसका रिजल्ट भी 20-25 जून तक आ जायेगा. शिक्षा विभाग और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से तैयार शिड्यूल के अनुसार भी सब कुछ चला तो जुलाई से पहले दसवीं क्लास की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकेगी. अप्रैल से शुरू होने वाला सत्र अगर जुलाई से भी शुरू होता है तो दिसंबर महीने में ही मैट्रिक का सेंटअप टेस्ट होगा. करीब पांच-साढ़े पांच महीने में 10वीं का सिलेबस कैसे पूरा किया जायेगा? पाठ्यक्रम का रिविजन भी हो सकेगा या नहीं? इस पर कोई पदाधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं. जुलाई से दिसंबर के बीच जहां बरसात के दिनों में कई जिले बाढ़ की चपेट में आते हैं, जिससे पढ़ाई बाधित होने की संभावना रहती है. वहीं, दशहरा, दीपावली, छठ जैसे त्योहार भी इसी दौरान रहते हैं, जिसकी छुट्टियां भी रहेंगी.
रिजल्ट प्रभावित हुआ तो कौन होगा जिम्मेवार?
10वीं क्लास का सेशन जिसे अप्रैल से शुरू हो जाना था, उसके जुलाई से शुरू होने के आसर लग रहे हैं. अगर 2017 में मैट्रिक की परीक्षा में छात्र-छात्राओं का रिजल्ट प्रभावित होता है तो इसके लिए जिम्मेवार कौन होंगे? छात्र-छात्राएं, शिक्षक या फिर सरकार. छात्र-छात्राएं होंगे जो, अप्रैल महीने से 10वीं की पढ़ाई शुरू होने का इंतजार कर रहे थे, वे नौ से 15 जून तक नौंवी की वार्षिक परीक्षा देंगे. अब जब परीक्षा है तो वे इसकी तैयारी करने के लिए वे जून में नौंवी का ही पाठ्यक्रम पढ़ेंगे और रिजल्ट आने का इंतजार करेंगे. इसके बाद पांच महीने की पढ़ाई कर सेंटप परीक्षा देंगे और एकाद महीने एक्स्ट्रा क्लास कर मैट्रिक की परीक्षा में बैंठेंगे. शिक्षकों पर कम समय में पाठ्यक्रम पूरा कराने की चुनौती होगी. वहीं, सरकार का भी बच्चों व शिक्षकों पर दबाव रहेगा कि समय पर कोर्स पूरा हो और रिजल्ट भी प्रभावित ना हो.
छात्र-छात्राएं, अभिभावकों व शिक्षकों की होगी चुनौती
मैट्रिक 2017 का परिणाम प्रभावित ना हो इसके लिए छात्र-छात्राओं, अभिभावकों और शिक्षकों की बड़ी चुनौतियां होगी. एक तो पांच से छह महीने में किसी प्रकार कोर्स पूरा करना होगा, वहीं दूसरी ओर से उसका रिविजन कर बच्चों को मैट्रिक परीक्षा देने लायक बनाना होगा. अभिभावकों को भी घर पर बच्चों की पढ़ाई में मदद करनी होगी. हालांकि शिक्षा विभाग का दावा है कि नौवीं की होने वाली परीक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं को मैट्रिक की परीक्षा के लिए तैयार करना है. साथ ही बच्चों व स्कूलों की ग्रेडिंग की जायेगी और पता चल सकेगा कि कौन बच्चा किस विषय में कमजोर है.
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