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अतिथि व्याख्याताओं को मिल रही आधी से कम सेलरी

भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में 2014 में 117 अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति हुई थी। इस नियुक्ति से विश्वविद्यालय के महाविद्यालयों में पठन-पाठन काफी हद तक पटरी पर आ गया था। यह नियुक्ति शिक्षकों की कमी को देखते हुए की गयी थी।
राज्य सरकार ने राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए 'संकल्प' के तहत अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति करने का निर्देश दिया था। किंतु अतिथि शिक्षकों को यूजीसी के निर्देश के अनुसार मानेदय नहीं दिया जा रहा है।
विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में शिक्षकों की लंबे समय से नियुक्ति नहीं हुई है। इस कारण टीएमबीयू समेत विभिन्न विश्वविद्यालय के पीजी विभागों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति करने का निर्देश दिया। यह अंशकालिक नियुक्ति सहायक प्राचार्य के उपलब्ध रिक्त पदों के विरुद्ध, यूजीसी द्वारा दिए जाने वाले मानदेय एवं कुछ शर्तो के आधार पर होनी थी। यह प्रक्रिया विज्ञापन निकालकर नियमानुसार पूरा करने का निर्देश विश्वविद्यालयों को दिया गया था।
इस पत्र में यह मानेदय के लिए साफ तौर पर स्पष्ट किया गया है कि अंशकालिक सहायक प्राचार्यो को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा निर्धारित अंशकालिक शिक्षक के लिए प्रति व्याख्यान एक हजार रुपए या अधिकतम 25 हजार रुपए प्रतिमाह की दर से भुगतान करें। पत्र में यह भी साफ कहा गया है कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति स्वीकृत पद के विरुद्ध की जा सकेगी। स्पष्ट किया गया है कि नियमित नियुक्ति होते ही अंशकालिक शिक्षकों की सेवाएं समाप्त हो जाएंगी।
टीएमबीयू के विभागों एवं महाविद्यालयों में 117 अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति हुई है। किंतु अभी तक उन्हें प्रति कक्षा 250 रुपए और अधिकतम 12 हजार रुपए ही मानेदय के रूप में मिल रहे हैं। इस संबंध में समय-समय पर सरकार ने विश्वविद्यालय से विवि के विभागों एवं महाविद्यालय में शिक्षकों की रिक्त पदों की सूची मांगी थी। इस संबंध में टीएमबीयू ने पत्र के माध्यम से रिक्त पदों की संख्या एंव उसके विरुद्ध हुए अंशकालिक व्याख्याताओं की नियुक्ति की सूची संलग्न कर सरकार को भेजी थी।
इसके अलावा विश्वविद्यालय द्वारा अतिथि शिक्षकों को यूजीसी के मानक द्वारा मानेदय उपलब्ध कराने के लिए सरकार से साढ़े तीन करोड़ रुपए की मांग की गयी है। इससे संबंधित कई पत्र सरकार के पास भेजे गए। किंतु अभी तक इस संबंध में कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया है। वहीं वर्तमान में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को मानेदय देने में कई कॉलेज आनाकानी करती है। इससे अतिथि शिक्षकों की परेशानी बढ़ी है। वहीं विश्वविद्यालय और महाविद्यालय फंड की कमी का रोना रोती है।
कॉलेज एवं पीजी विभागों में पढ़ाई व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने वाले अतिथि व्याख्याता ही आज मानेदय की मांग के लिए लड़ रहे हैं। इस संबंध में अति अतिथि व्याख्याता संघ विवि में अपनी मांगों को रखता रहा है। विश्वविद्यालय ने सरकार तक अतिथि व्याख्याताओं की मांगों को पहुंचाया। किंतु सरकार से काई सकारात्मक जवाब नहीं आया है।
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कोट -
अतिथि व्याख्याताओं को आंतरिक संसाधनों से मानेदय का भुगतान करना है। अतिरिक्त फंड के लिए सरकार को कई बार पत्र लिखा गया। किंतु सरकार से कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया है।
- प्रो. अवध किशोर राय, प्रतिकुलपति टीएमबीयू
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अतिथि व्याख्याताओं को यूजीसी के मानदंड अनुसार मानेदय नहीं मिल रहा है। मानेदय के मामले में कुछ कॉलेज भी अपनी मनमानी से अड़ंगा लगा लगा रहे हैं। सरकार से मांग की गई है कि वह जल्द से जल्द मानेदय के लिए विवि को फंड उपलब्ध कराए।

- डॉ. आनंद आजाद, अध्यक्ष अतिथि व्याख्याता संघ, टीएमबीयू भागलपुर
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