पटना : मैट्रिक परीक्षा की टाॅपर्स लिस्ट में
सैकड़ों प्रतिभाएं उभर कर सामने आती हैं. लेकिन, जब बात राष्ट्रीय स्तर पर
उनके पहचान बनाने की होती है, तो बमुश्किल कुछ गुदड़ी के लाल सामने आते
हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा है. इस परीक्षा
में 10वीं के सफल छात्र-छात्राओं को 11वीं-12वीं या उससे आगे की पढ़ाई के
लिए हर साल 50 हजार रुपये की छात्रवृत्ति मिलती है.
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लेकिन, आश्चर्य है कि इसमें बिहार बोर्ड से मैट्रिक पास 10%
विद्यार्थी भी भाग नहीं लेते. बिहार बोर्ड की टॉपर लिस्ट की बात करें, तो
पिछले तीन साल में करीब 300 छात्रों ने टॉप-10 में जगह बनायी, मगर उनमें से
नौ ही प्रतिभा खोज परीक्षा में शामिल हुए. बिहार बोर्ड के मुताबिक वर्ष
2014 की मैट्रिक परीक्षा की टॉपर लिस्ट में शामिल रहे 60 छात्रों में से
तीन, वर्ष 2015 की मेरिट लिस्ट के 120 बच्चों में से चार और वर्ष 2016 की
मेरिट लिस्ट में आये 120 छात्रों में से दो ही राष्ट्रीय खोज प्रतिभा
परीक्षा दी. इधर पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें, तो इस परीक्षा में देश
भर से 1,44,135 परीक्षार्थी शामिल हुए. राज्य के कोटे से 1415 छात्रों का
चयन हुआ, पर बिहार बोर्ड के सिर्फ 150 विद्यार्थियों ने ही इसमें जगह
बनायी. शेष छात्र सीबीएसइ, आइसीएसइ या अन्य बोर्ड से चयनित हुए.
कई प्राचार्य परीक्षा सूचना पढ़ते तक नहीं : राष्ट्रीय खोज प्रतिभा
परीक्षा के लिए छात्रों में जागरूकता की कमी है. छात्रों को इसमें भाग लेने
की प्रक्रिया की जानकारी नहीं मिल पाने के कारण वे लाभ उठाने से वंचित रह
जाते हैं. जिला शिक्षा कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ अशोक कुमार ने बताया कि
एनटीएसइ को लेकर स्कूल प्राचार्यों को आवेदन भरवाने के लिए कहा जाता है.
लेकिन, बहुत ही कम स्कूल छात्रों से आवेदन भरवाते हैं.
पांच साल, 1415 चयनित बिहार बोर्ड से सिर्फ 150
साल शामिल चयनित बिहार बोर्ड
2012-13 105299 276 42
2013-14 67543 278 30
2014-15 20321 288 23
2015-16 21420 274 21
2016-17 19552 299 34
इन वजहों से न तो आवेदन बढ़ता है आैर न सेलेक्शन की संख्या
आवेदन की जानकारी समय से छात्रों को नहीं मिल पाती है
छात्राें को अावेदन भरवाने में स्कूल प्रशासन जागरूक नहीं है
आधा-अधूरा आवेदन भरने से छंट जाते हैं
जागरूकता की कमी
क्या है एनटीएसइ
एनसीइआरटी हर साल राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा
आयोजित करता है. राज्य स्तर पर इसका आयोजन एससीइआरटी करता है. राज्य का
कोटा 264 है, लेकिन एक अंक पर कई छात्रों के नाम आने से यह बढ़ भी जाता है.
स्टेट कोटे में चुनने के बाद विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में
शामिल होते हैं. परीक्षा में सफल छात्रों को 11वीं-12वीं और उसके आगे की
पढ़ाई के लिए हर साल 50 हजार रुपये केंद्र सरकार देती है. मैट्रिक का
रिजल्ट निकलने के समय मई में ही इसका रिजल्ट घोषित होता है. प्लस टू में
नामांकन के साथ ही यह छात्रवृत्ति मिलनी शुरू हो जाती है.
2012-13 में जागरूकता बढ़ाने के कारण छात्रों की संख्या बढ़ी थी.
2011-12 में लगभग 20 हजार छात्र शामिल हुए, वहीं 2012-13 में यह संख्या बढ़
कर 1,05,299 तक पहुंच गयी. स्कूल स्तर पर कई कार्यक्रम हुए थे.
हसन वारिस, पूर्व अध्यक्ष एससीइआरटी
फर्जी शिक्षक कर रहे इंटर की कॉपियों का मूल्यांकन
पटना : इंटर परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन में फर्जी शिक्षक भी लगे
हैं. मूल्यांकन के लिए बिहार बोर्ड को स्कूल-कॉलेजों से शिक्षकों की जो
सूची भेजी गयी है, उसमें कई शिक्षक उस स्कूल-कॉलेज से ताल्लुक ही नहीं रखते
हैं.
बिहार बोर्ड द्वारा नियुक्ति पत्र भेजने के बाद लगातार ऐसे मामले
सामने आ रहे हैं. बोर्ड के सूत्रों के अनुसार अब तक 300 से अधिक ऐसे शिक्षक
पकड़ में आये हैं, जो किसी भी कॉलेज या स्कूल के शिक्षक नहीं हैं, लेकिन
उन्हें मूल्यांकन में लगाया गया है. इनमें वैशाली, नालंदा, नवादा,
गोपालगंज, रोहतास आदि जिलों के काॅलेज शामिल हैं.
काॅलेज काे पता नहीं, शिक्षक हो गये शामिल :
इंटर मूल्यांकन में इस बार ऑनलाइन ही शिक्षकों की सूची तैयार की गयी
थी. 2015 की सूची को हर कॉलेज के पास भेजा गया और उसे देख कर सुधार करने को
कहा गया. लेकिन, कॉलेजवालों ने बिना सुधार किये आॅनलाइन शिक्षकों की सूची
को वापस कर दिया. लेकिन, जब नियुक्ति पत्र भेजा गया, तो कॉलेज प्रशासन को
पता चला कि कई ऐसे शिक्षकों के नाम भी जुड़े हैं, जो उस कॉलेज के ही नहीं
हैं.
- 2015 और 2016 में शामिल किये गये थे ये शिक्षक
सूत्रों की मानें, तो 2015 और 2016 में बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष
लालकेश्वर प्रसाद ने कई ऐसे बाहरी शिक्षकों को मूल्यांकन में शामिल किया
था, जो किसी भी कॉलेज या स्कूल से जुड़े नहीं थे. इन शिक्षकों को अलग-अलग
स्कूल और कॉलेजों से जोड़ दिया गया था. किस कॉलेज से कौन शिक्षक फर्जी
तरीके से जोड़े गये हैं, इसकी जानकारी पूर्व अध्यक्ष को ही थी. अब जब 2017
में मूल्यांकन के लिए शिक्षकों की सूची काॅलेज और स्कूलों को भेजी गयी, तो
मामला सामने आया है.
बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने कहा कि मेरी नजर में यह मामला
नहीं आया है. इसकी जांच करवायी जायेगी. इस बार ऑनलाइन ही शिक्षकों की सूची
काॅलेजों से मांगी गयी थी. फर्जी शिक्षक कैसे मूल्यांकन में शामिल हुए हैं,
इसकी जांच करवायी जायेगी.
प्रोजेक्ट एमपीएस कन्या इंटर स्कूल, नवादा के चार शिक्षकों के नाम
इंटर मूल्यांकन की सूची में है. पर ये इस स्कूल के शिक्षक नहीं हैं. स्कूल
ने इसकी िशकायत की है.
हाइस्कूल उगामा, नालंदा में दो एेसे शिक्षकों को इंटर मूल्यांकन के
लिए नियुक्ति पत्र भेजा गया है, जो उस स्कूल के शिक्षक ही नहीं हैं.
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