पटना: फरमान दर फरमान निकाल कर चर्चा में लगातार बना रहा शिक्षा विभाग इस बार फिर एक नए फरमान को लेकर न केवल चर्चा में है बल्कि शिक्षकों के आगे एक नई परेशानी की लकीर खींच दी है। वैसे तो स्कूल में देर से पहुंचने पर सैलरी कटने से परेशान शिक्षकों को राज्य सरकार राहत का ऐलान कर रही है। मगर, सच्चाई कुछ और है। कम से कम ये शिक्षकों के हित में तो नहीं है। शिक्षा विभाग के इस नए नियम के बाद आर्थिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक परेशानी बढ़ा दी है। ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर शिक्षा विभाग का नया फरमान क्या है?
चार दिन लेट तो एक सीएल कटेगा
शिक्षा विभाग के एसीएस सिद्धार्थ ने नया फरमान जारी कर शिक्षकों को बड़ी राहत देने का ऐलान किया है। उनके इस नए फरमान के बाद अब
स्कूल में देर से पहुंचने पर शिक्षकों का वेतन नहीं कटेगा। अब इस नए आदेश के तहत लेट से पहुंचने वाले शिक्षक अगर स्कूल आने में एक माह में चार दिन 10 मिनट से अधिक लेट करते हैं तो उनका वेतन नहीं कटेगा बल्कि एक सीएल से एडजस्ट कर दिया जाएगा। होगा ये कि शिक्षकों के स्कूल लेट पहुंचने पर ई-शिक्षा कोष पर लेट पंच अपडेट हो जाएगा और विभाग की नई नियमावली के मुताबिक उनकी एक छुट्टी एडजस्ट की जाएगी।
क्यों लाया गया यह नियम?
दरअसल, हो ये रहा था कि कोई भी शिक्षक अगर स्कूल पहुंचने में एक मिनट भी लेट हो जाते थे तो नियमानुसार उनके उस दिन का वेतन कट जाता था। इसका नतीजा काफी बुरा आया। अक्टूबर में वेतन कटने का जो आंकड़ा सामने आया है, उसके अनुसार बिहार में 17 हजार शिक्षकों का एक दिन का वेतन काट लिया गया। वजह ये थी कि शिक्षक को उपस्थिति दर्ज कराने में इंटरनेट की निष्क्रियता की वजह से एक मिनट भी लेट होती थी तो उसे प्रधानाध्यापक को सूचित करने, प्रधानाध्यापक को इसकी सूचना प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को देने तक की प्रक्रिया इतनी जटिल थी कि इससे शिक्षकों का पूरा समाधान नहीं हो पाता है। अंततः उनका वेतन कट ही जाता था।
ये अधिकार ACS को नहीं HM को है: शैलू
अखिल भारतीय शैक्षिक संघ नई दिल्ली के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव शैलेन्द्र कुमार शर्मा उर्फ शैलू जी ने साफ कहा कि शिक्षा विभाग का नया फरमान तालिबानी फरमान की तरह है। ये शिक्षकों को मानसिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक परेशानी का बड़ा कारण बनने जा रहा है। शिक्षक स्कूल पहुंचने में लेट हो रहे हैं तो यह सरकार के आवागमन की व्यवस्था में जो खामियां है उसका परिणाम है। शनिवार को ही राज्य के कई पुल मार्ग घंटों बाधित रहे। सरकार के आवागमन की असुविधा का दंश शिक्षक क्यों झेले? उन्हें सबसे पहले आवागमन की सुविधा को दुरुस्त करना चाहिए तो वे शिक्षकों के कैजुअल लीव एडजस्ट करने में लगे हुए हैं। आखिर, शिक्षकों के लेट होने पर दंडित करने का अधिकार एसीएस को दिया किसने? ये अधिकार तो प्रधानाध्यापक की होनी चाहिए। ताकि शिक्षक जो लेट आए उसे कैसे दंडित किया जाना चाहिए। प्रधानाध्यापक लेट आने वाले शिक्षकों से एक्स्ट्रा क्लास करा कर भी तो दंडित कर सकता है। इससे सरकार का गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सफल करने में मदद भी मिलेगी। कैजुअल लीव एडजस्ट कर कैसे गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा?