Ranchi: रांची यूनिवर्सिटी के पीजी जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग की स्थिति बेहाल है. इस विभाग में ऑनलाइन नामांकन होने की वजह से कई छात्र एडमिशन से वंचित रह गए. वहीं, जिनका एडमिशन हो गया है, उन विद्यार्थियों तक पूरा ऑनलाइन स्टडी मटेरियल भी नहीं पहुंच रहा है, इससे छात्र सही ढंग पढ़ाई से नहीं कर पा रहे हैं.
दरअसल, रांची यूनिवर्सिटी के पीजी जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग में 9 भाषाओं की पढ़ाई होती है. इसके लिए 20 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, जबकि 2 स्थाई शिक्षक है. इसके बावजूद भी इस विभाग में नामांकन की स्थिति काफी खराब है. वहीं, नागपुरी भाषा के लिए यहां 30 छात्रों का नामांकन हुआ है. इधर, कुडुख भाषा के लिए 50, मुंडारी भाषा के लिए 9, खड़िया के लिए 3, संताली के लिए 2, खोरठा के लिए 10, पंच परगनिया के लिए 10 और कुरमाली के लिए सिर्फ 10 छात्रों का नामांकन हो पाया है.
वहीं, सबसे खराब हालत खोरठा और हो भाषा की है. इधर, विश्वविद्यालय में हो भाषा के वर्तमान में 4 शिक्षक हैं, लेकिन नामांकन सिर्फ 3 विद्यार्थियों ने ही लिया है. लेकिन खोरठा के लिए 3 शिक्षक हैं, इधर नामांकन सिर्फ 10 विद्यार्थियों ने लिया है. वहीं, कुरमाली में 2 शिक्षक हैं और 9 विद्यार्थियों का नामांकन हुआ है. खड़िया में 2 शिक्षक हैं और नामांकन 3 विद्यार्थियों ने लिया है.
इधर, साल 2021 में कोरोना महामारी के मद्देनजर नामांकन की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन की गई है. इस वजह से सैकड़ों विद्यार्थी नामांकन से वंचित रह गए. इसका सबसे ज्यादा असर रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग पर पड़ा, क्योंकि इस विभाग में पढ़ने वाले ज्यादातर विद्यार्थी जनजातीय क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं और उनका नामांकन ऑनलाइन लिए जाने की वजह से प्रभावित हुआ है. वहीं, ऑनलाइन स्टडी मैटेरियल भी वक्त पर ना मिलने से पठन-पाठन भी प्रभावित हो रहा है.