जमुई। शिक्षकों के हित की जब बात होती है तो विभाग भी इस काम में कन्नी
काटने लगता है। इसका ताजा उदाहरण खैरा प्रखंड के प्रखंड संसाधन केंद्र में
देखने को मिल रहा है। यहां डीपीई उत्तीर्ण सैकड़ों शिक्षक अपनी सेवा
पुस्तिका संधारण के लिए भटक रहे हैं।
इस मामले में बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ की खैरा ईकाई द्वारा 25 सितंबर तक शिविर लगाकर सेवा पुस्तिका संधारण कराने की मांग 20 सितंबर को आवेदन के माध्यम से की थी। परंतु, संघ के हस्तक्षेप के बाद भी खैरा प्रखंड के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा अब तक किसी तरह का कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। इस कारण संघ के सदस्यों तथा पदाधिकारियों में भी आक्रोश देखा जा रहा है।
पटना उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विभागीय निर्देशानुसार सत्र 07-09, 08-10, 09-11, 10-12 बैच के डीपीई उत्तीर्ण शिक्षकों का सेवा पुस्तिका संधारण कर एरियर का भुगतान किया जाना है। परंतु इस कार्य से खैरा के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कन्नी काट रहे हैं। शिक्षकों के सेवा पुस्तिका संधारण का कार्य विभाग के जिम्मे होता है और प्रखंड स्तर पर प्रखंड संसाधन केंद्र के माध्यम से सेवा पुस्तिका का संधारण किया जाता है। 2014 तथा 2017-18 में भी शिविर के माध्यम से शिक्षकों का सेवा पुस्तिका संधारण किया गया था परंतु इस बार विभाग न तो शिक्षक संघ की बात मान रहा है और न ही शिक्षकों की।
इस मामले में बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ की खैरा ईकाई द्वारा 25 सितंबर तक शिविर लगाकर सेवा पुस्तिका संधारण कराने की मांग 20 सितंबर को आवेदन के माध्यम से की थी। परंतु, संघ के हस्तक्षेप के बाद भी खैरा प्रखंड के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा अब तक किसी तरह का कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। इस कारण संघ के सदस्यों तथा पदाधिकारियों में भी आक्रोश देखा जा रहा है।
पटना उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विभागीय निर्देशानुसार सत्र 07-09, 08-10, 09-11, 10-12 बैच के डीपीई उत्तीर्ण शिक्षकों का सेवा पुस्तिका संधारण कर एरियर का भुगतान किया जाना है। परंतु इस कार्य से खैरा के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कन्नी काट रहे हैं। शिक्षकों के सेवा पुस्तिका संधारण का कार्य विभाग के जिम्मे होता है और प्रखंड स्तर पर प्रखंड संसाधन केंद्र के माध्यम से सेवा पुस्तिका का संधारण किया जाता है। 2014 तथा 2017-18 में भी शिविर के माध्यम से शिक्षकों का सेवा पुस्तिका संधारण किया गया था परंतु इस बार विभाग न तो शिक्षक संघ की बात मान रहा है और न ही शिक्षकों की।