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बीएलओ पद से मुक्त फिर भी स्कूलों में नहीं पहुंचे शिक्षक

छतरपुर.राज्य शिक्षा केंद्र ने कलेक्टर को पत्र भेजकर बीएलओ के काम में लगाए गए शिक्षकों को मुक्त करने को कहा गया है। इस आदेश के चार दिन बाद भी शिक्षक अपने पदस्थापना वाले स्कूलों में नहीं पहुंचे हैं।

राज्य शिक्षा केन्द्र की संचालक आईरीन सिंथिया जेपी का आदेश अभी छतरपुर में लागू होता नजर नहीं आ रहा। छतरपुर तहसील में ही एक सहायक शिक्षक के संलग्र होने के साथ ही करीब एक दर्जन शिक्षकों को बीएलओ के कार्य से जोड़ा गया है। सवाल यह है कि संचालक के आदेश पर कलेक्टर द्वारा कब कार्यवाही की जाएगी।
राज्य शिक्षा केन्द्र की संचालक आईरीन सिंथिया ने 24 सितम्बर को प्रदेश के सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 27 में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में न लगाए जाने का स्पष्ट प्रावधान है इसलिए इन प्रावधानों का उपयोग होना चाहिए। ्र
सर्वोच्च न्यायालय में शिक्षकों को गैर शिक्षकीय कार्य के संबंध में आदेश पारित किया था। 25 मार्च 2013 के शासन के निर्देश में स्पष्ट है कि यथासंभव बीएलओ के रूप में कार्यरत शिक्षकों को उक्त कार्य से मुक्त किया जाए। यदि अपरिहार्य कारणों से किसी शिक्षक को बीएलओ के कार्य का दायित्व सौंपना आवश्यक है तो यह सुनिश्चित किया जाए कि यह कार्य उस गांव से संबंधित हो जिस स्कूल में शिक्षक पदस्थ है। शिक्षक अवकाश के दिन और गैर शैक्षणिक दिवस में बीएलओ का कार्य संपादित करे। तमाम स्पष्ट निर्देशों के बाद संचालक ने सभी कलेक्टर को पत्र लिखा है। पत्र सभी जिला कलेक्टरों के पास पहुंच गए लेकिन अभी इनका अमल नहीं हुआ है। तहसील में शिक्षक चन्द्रकांत वर्मा, रणविजय सिंह, कमलेश स्वर्णकार, विपिन बिहारी रावत, विजय कुमार अहिरवार, नितिन खरे, प्रहलाद मिश्रा, सत्येन्द्र उदैनिया, नारायणदास रावत, दिनेश रिछारिया, पीर बख्श, दयाशंकर खरे बीएलओ का दायित्व निभा रहे हैं जबकि इन शिक्षकों की किसी न किसी स्कूल में पोस्टिंग है। ऐसा ही जिले के अन्य तहसीलों में भी है। दोहरी ड्यूटी से अध्यापन का कार्य प्रभावित हो रहा है।

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