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करियर एडवांस स्कीम की नियमावली में हुआ बदलाव, एसोसिएट प्रोफेसर का पद भी शामिल

विश्वविद्यालय शिक्षकों की रुकी प्रोन्नति की प्रक्रिया को एक बार फिर शुरू करने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है। राजभवन की ओर से गठित तीन कुलपतियों की कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय शिक्षकों की प्रोन्नति प्रक्रिया का निर्धारण करने वाली करियर एडवांसमेंट स्कीम की नियमावली में बदलाव कर दिया गया है।
कुलाधिपति लालजी टंडन की हरी झंडी के बाद इन संशोधनों को लागू करने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। इसका सीधा फायदा 2003 में नियुक्त हुए विश्वविद्यालय शिक्षकों को होगा। करीब 15 वर्षों की सेवा के बाद भी इन विश्वविद्यालय शिक्षकों को अपनी प्रोन्नति प्रक्रिया का इंतजार है। कुछ सीनियर लेक्चरर को एसोसिएट प्रोफेसर में प्रोन्नति दे दी गई। लेकिन, इन शिक्षकों का मामला कोर्ट में लंबित रहने के कारण प्रोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई। राजभवन ने करियर एडवांसमेंट स्कीम की नियमावली में अहम मंजूरी देकर प्रोन्नति प्रक्रिया को एक बार फिर शुरू करने के संकेत दे दिए हैं।

विश्वविद्यालय व कॉलेजों में शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने के उद्देश्य से शिक्षकों के असंतोष को समाप्त करने की कोशिश शुरू की गई है। राजभवन भी मानकर चल रहा है कि जब तक शिक्षकों में असंतोष रहेगा, तब तक शैक्षणिक माहौल को सुधारना संभव नहीं हो सकता है। इसलिए अब उनकी समस्याओं को दूर करने की दिशा में कदम उठाया गया है। शिक्षक प्रतिनिधियों की लगातार मांग के बाद राजभवन ने तीन सदस्यीय कुलपतियों की कमेटी गठित की थी। इसमें पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रासबिहारी प्रसाद सिंह के साथ-साथ पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय व बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा के कुलपति को शामिल किया गया था।

प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति के लिए हुआ नियम में बदलाव

विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षकों के पदनाम में बदलाव किया गया। असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर पद का निर्धारण किया गया है। इसमें कई ग्रेड बनाए गए हैं। एसोसिएट प्रोफेसर को अब करियर एडवांसमेंट स्कीम की नियमावली में शामिल कर लिया गया है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों की प्रोन्नति की नई योजना 1998 में आई थी। इससे पहले शिक्षकों को कालबद्ध प्रोन्नति (टाइम बांड प्रमोशन) मिलती थी। 29 जून 2005 को राज्य में लागू की गई करियर एडवांस स्कीम की धारा 1.3.0 में अहम बदलाव किया गया है। पहले इस धारा में था कि रीडर के पद पर आठ वर्षों की सेवा देने वाले विश्वविद्यालय शिक्षक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए पात्र माना जाएगा। कुलपतियों की कमेटी की अनुशंसा के आधार पर इसमें बदलाव करते हुए कहा गया है कि रीडर के पद पर आठ वर्ष या फिर एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में पांच वर्ष की न्यूनतम सेवा पूरी करने वाले प्रोफेसर ग्रेड पर प्रोन्नति पाने या फिर किसी भी अन्य विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति प्रक्रिया में भाग लेने के पात्र हो जाएंगे।

रीडर से एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर भी प्रोन्नति मिलेगी

रीडर से एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर भी प्रोन्नति मिलेगी। हालांकि, यह एसोसिएट प्रोफेसर के अपर पे बैंड पर होगी। असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर में प्रोन्नति होती है। रीडर के रूप में तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा करने वाले शिक्षक एसोसिएट प्रोफेसर सीनियर लेबल में प्रोन्नति पाकर अपने पद को बदल सकेंगे। इसके लिए करियर एडवांसमेंट स्कीम की धारा 4.0.0 में 4.5.0 को जोड़ा गया है। इसके अलावा धारा 5.1.0 में बदलाव करते हुए व्यवस्था कर दी गई है कि अखिल भारतीय स्तर पर निकाली जाने वाली प्रोफेसर पद पर सीधी नियुक्ति में आठ वर्षों की रीडर पद पर सेवा या फिर पांच वर्षों की एसोसिएट पद पर सेवा को न्यूनतम आधार माना जाएगा। अब तक इसमें केवल रीडर पद का ही जिक्र था। इसके अलावा रीडर पद को एसोसिएट प्रोफेसर में समाहित करने पर भी निर्णय लिया गया है।

प्रमोशन प्रक्रिया में शोध को माना जाएगा मुख्य आधार

करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत शोध पर अधिक जोर दिया गया है। अब प्रक्रिया शुरू होने के बाद रीडर स्तर के शिक्षकों के आवेदन के साथ-साथ उनके शोध कार्यों पर भी जोर दिया गया जाएगा। विश्वविद्यालय शिक्षकों व शोधार्थियों के बीच शोध का माहौल विकसित करने के लिए यूजीसी की ओर से नई प्रोन्नति प्रक्रिया अपनाई गई है। अब इस दायरे में सभी शिक्षकों को कसा जाएगा। विश्वविद्यालय के पीजी विभाग के शिक्षकों के शोध कार्य को प्रोन्नति का आधार बनाया जाएगा, वहीं कॉलेज शिक्षकों के लिए प्रोन्नति का आधार उनके शिक्षण कार्य होंगे। मूक्स व ई-कंटेंट में योगदान देने वाले शिक्षकों को सीएएस के तहत प्रोन्नति में वरीयता मिलेगी। नयी नियमावली का फायदा पटना समेत तमाम विश्वविद्यालयों में नियुक्त रीडर स्तर के शिक्षकों को मिलेगा।

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