पटना : बिहार के 3.7
लाख नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन मामले में सुप्रीम कोर्ट में
मंगलवार को एक बार फिर सुनवाई होगी. नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट
के फैसले का बेसब्री से इंतजार है. इस मामले पर लगातार कई महीनों से
सुनवाई चल रही है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और जस्टिस
उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. मंगलवार
को अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल समान वेतन पर केंद्र सरकार का पक्ष रखेंगे.
इसके बाद शिक्षक संगठनों के वकील कोर्ट में अपनी बात रखेंगे. सुनवाई
गुरुवार तक चलने की संभावना है.इस मामले पर लगातार हो रही सुनवाई के बाद
कुछ दिनों के लिए रोक लग गयी थी. दरअसल, मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम
कोर्ट के दोनों जज किसी अन्य मामले में व्यस्त हो गये थे. इसके बाद 19
सितंबर को सुनवाई की गयी.
अब तक हुई सुनवाई के दौरान केंद्र
सरकार का तर्क है कि एक राज्य के शिक्षकों को यह लाभ दिया गया तो दूसरे
राज्यों से भी मांग उठेगी. सरकार की तरफ से ये दलील दी गयी है कि सरकार
आर्थिक रूप से शिक्षकों को वेतन देने में सक्षम नहीं है. राज्य सरकार का
तर्क है कि नियोजित शिक्षक राज्य सरकार के कर्मचारी नहीं हैं. वह पंचायत
स्तर पर नियोजित कर्मी हैं. सरकार ने केवल 20 प्रतिशत तक वृद्धि का
प्रस्ताव दिया है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि एक ही स्कूल
में पढ़ाने वाले एक शिक्षक को 70 हजार और एक को 26 हजार देने का क्या आधार
है. कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की है कि शिक्षकों को स्कूल के चपरासी से भी
कम क्यों मिल रहा है. फिलहाल अब शिक्षकों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के
फैसले पर टिकी है.