बतादें कि नीतीश कुमार सरकार के लिए पिछले कम्बे समय से लगे की फांस बने नियोजित शिक्षकों की मांग समान काम समान वेतन के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में मंगलवार को एक बार फिर से सुनवाई हुई। जहाँ वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने नियोजित शिक्षकों का पक्ष रखते हुए कहा कि वेतन शिक्षकों का मौलिक अधिकार है और उन्हें 'समान काम का समान वेतन' मिलना चाहिए। जिसके बाद कोर्ट ने कई सवाल भी दागे। इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि नियोजित शिक्षक क्या टीईटी परीक्षा पास हैं? जिसपर शिक्षक संगठन के वकील ने कहा हां पास हैं, लेकिन यह परीक्षा वेतन वृद्धि के लिए ली गयी थी नियोजन के लिए नहीं।
बिहार के चर्चित समान काम समान वेतन मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश यूयू ललित और अभय मनोहर सप्रे बेंच कर रही है। इस पूरे मामले पर पिछले समय ही पटना हाईकोर्ट अपना फैसला सुना चूका है। जिसमें सरकार को झटका लगा था। वहीँ अब यह मामला सुप्रीम अदालत पहुँच गया है।
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जहाँ मंगलवार को राज्य सरकार और नियोजित शिक्षकों की हुई सुनवाई में सरकार की ओर बिहार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन, उप निदेशक माध्यमिक शिक्षा अमित कुमार और स्टेट अफसर रविशंकर सरकार का पक्ष रखने के लिए दिल्ली पहुंचे थे। वहीँ अब इस मामले की सुनवाई 16 अगस्त से शुरू होगी।