किस तरह से शिक्षा कर्मी छह वर्षो से बिना सहायक अनुदान के मर-मर के जी रहा है। राज्य के सभी डिग्री कॉलेज का सरकारीकरण करते हुए समान काम के लिए समान वेतन लागू किया जाए। वैसे प्रारंभिक विद्यालयों के नियोजित शिक्षकों का केस सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, जिस पर जल्द ही निर्णय होने की संभावना है। एक मात्र राज्य बिहार में शिक्षा वित्तरहित है। राज्य के संबद्ध डिग्री महाविद्यालय, उच्च विद्यालय मदरसा, संस्कृत विद्यालय एवं प्रोजेक्ट विद्यालय में कार्यरत शिक्षाकर्मी लगभग दो दशक से सरकार की हठधर्मी एवं टालमटोल के शिकार है। अपनी समस्याओं के समाधान हेतु ये शिक्षाकर्मी सरकार के समक्ष 26 जून 1996 को एक दिन का धरना दिया। 16 जुलाई 1996 को विधान सभा के समक्ष जबर्दस्त हल्लाबोल प्रदर्शन किया। 18 सितम्बर 1996 को राष्ट्रीय मानवाधिकार को स्मार पत्र सौंपा। 5 सितम्बर 1996 को शिक्षक दिवस के अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति के समक्ष दिल्ली में नंगधड़ंग प्रदर्शन के साथ ही भूखे पेट राष्ट्रीय अस्मिता की ऐतिहासिक लड़ाई भी लड़ चुके हैं। इतना पर भी सरकार की नींद नहीं टूटी तो बजट सत्र में 16 दिसम्बर से 21 दिसम्बर तक बेली रोड पटना में चक्का जाम आंदोलन किया। सरकार ने प्रतिनिधि मंडल को आश्वासन दिया था कि शीघ्र ही उनकी मांगें पूरी कर दी जाएगी। धैर्य टूटने के पश्चात पुन: धरना, प्रदर्शन कर अपनी एकजुटता का परिचय दिया। उनकी मां पर नजर डालें तो डिग्री महाविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को 2012 से लेकर 2017 तक बकाया सहायक अनुदान की राशि शीघ्र दी जाय। समान काम के लिए समान वेतन लागू किया जाय। सभी संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों का सरकारीकरण किया जाय। विश्वविद्यालयों के सभी निकायों के संबंध में डिग्री महाविद्यालयों की भागीदारी सुनिश्चित की जाय। सभी शिक्षा कर्मियों को भविष्य निधि कोष, सामूहिक जीवन बीमा सेवा पुस्तिका के रख-रखाव की सुविधा दी जाय। प्रत्येक माह वेतन भुगतान की गारंटी की जाए।
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छह वर्षो का अनुदान नहीं मिलना मानवाधिकार का हनन
किस तरह से शिक्षा कर्मी छह वर्षो से बिना सहायक अनुदान के मर-मर के जी रहा है। राज्य के सभी डिग्री कॉलेज का सरकारीकरण करते हुए समान काम के लिए समान वेतन लागू किया जाए। वैसे प्रारंभिक विद्यालयों के नियोजित शिक्षकों का केस सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, जिस पर जल्द ही निर्णय होने की संभावना है। एक मात्र राज्य बिहार में शिक्षा वित्तरहित है। राज्य के संबद्ध डिग्री महाविद्यालय, उच्च विद्यालय मदरसा, संस्कृत विद्यालय एवं प्रोजेक्ट विद्यालय में कार्यरत शिक्षाकर्मी लगभग दो दशक से सरकार की हठधर्मी एवं टालमटोल के शिकार है। अपनी समस्याओं के समाधान हेतु ये शिक्षाकर्मी सरकार के समक्ष 26 जून 1996 को एक दिन का धरना दिया। 16 जुलाई 1996 को विधान सभा के समक्ष जबर्दस्त हल्लाबोल प्रदर्शन किया। 18 सितम्बर 1996 को राष्ट्रीय मानवाधिकार को स्मार पत्र सौंपा। 5 सितम्बर 1996 को शिक्षक दिवस के अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति के समक्ष दिल्ली में नंगधड़ंग प्रदर्शन के साथ ही भूखे पेट राष्ट्रीय अस्मिता की ऐतिहासिक लड़ाई भी लड़ चुके हैं। इतना पर भी सरकार की नींद नहीं टूटी तो बजट सत्र में 16 दिसम्बर से 21 दिसम्बर तक बेली रोड पटना में चक्का जाम आंदोलन किया। सरकार ने प्रतिनिधि मंडल को आश्वासन दिया था कि शीघ्र ही उनकी मांगें पूरी कर दी जाएगी। धैर्य टूटने के पश्चात पुन: धरना, प्रदर्शन कर अपनी एकजुटता का परिचय दिया। उनकी मां पर नजर डालें तो डिग्री महाविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को 2012 से लेकर 2017 तक बकाया सहायक अनुदान की राशि शीघ्र दी जाय। समान काम के लिए समान वेतन लागू किया जाय। सभी संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों का सरकारीकरण किया जाय। विश्वविद्यालयों के सभी निकायों के संबंध में डिग्री महाविद्यालयों की भागीदारी सुनिश्चित की जाय। सभी शिक्षा कर्मियों को भविष्य निधि कोष, सामूहिक जीवन बीमा सेवा पुस्तिका के रख-रखाव की सुविधा दी जाय। प्रत्येक माह वेतन भुगतान की गारंटी की जाए।
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