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बिहार : शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव से बड़ा है यह हेडमास्टर, सैकड़ों बच्चों का भविष्य दांव पर, पढ़ें

पटना : बिहार की राजधानी पटना में एक मध्य विद्यालय के हेडमास्टर की वजह से पूरा विद्यालय और वहां के बच्चे त्राहिमाम कर रहे हैं. हेडमास्टर की कारगुजारी ऐसी है कि शिक्षा विभाग के बड़े-बड़े अधिकारियों के आदेश का उस पर कोई असर नहीं होता है. मामला है, पटना जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय के करीब ही
राजेन्द्रनगर में स्थित वनिता विहार बालक मध्य विद्यालय का. इस स्कूल के हेडमास्टर पर विभागीय आदेश, वरिष्ठ पदाधिकारियों के निर्देश व चेतावनी का भी कोई असर नहीं होता है.

जानकारी के मुताबिक हेडमास्टर की मनमानी ऐसी, जिससे वित्तीय अनियमितता तो हो ही रही है,साथ ही संविलियन से संबंधित विभागीय आदेशों की धज्जियां उड़ रही है. सरकारी रिकार्ड में विलोपित हो चुके स्कूल का अस्तित्व बना कर रखा गया है. विगत 21 फरवरी को शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के आदेश(पत्रांक-942) के ठीक विपरीत, इस विद्यालय का संचालन कर हेडमास्टर ने साबित कर दिया है कि वे प्रधान सचिव से भी ऊपर हैं. स्थानीय अभिभावकों की मानें, तो वनिता विहार बालक म.वि. के प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार हमेशा विवादास्पद रहे हैं. निलंबन व वेतनबंदी जैसी कार्रवाईयों से गुजर चुके हैं. अपनी मनमानी चलाने के लिए अक्सर पैरवी व अन्य हथकंडे का सहारा लेते रहे हैं. जहां जहां इनका पदस्थापन हुआ विवादों से इनका गहरा रिश्ता रहा है.



वहीं दूसरी ओर, विभागीय अधिसूचना(197/9.2.17) के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी(पटना) के आदेश (6430/2.8.17) से वनिता विहार बालक म.वि.(राजेन्द्रनगर) में वनिता विहार कन्या म.वि.(राजेन्द्रनगर) का संविलियन किया गया. कन्या म.वि. के प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार एकीकृत वनिता विहार बालक म.वि. के प्रधानाध्यापक बनाये गये. संविलियन को लेकर इन्होंने शुरू से ही जो विवाद खड़ा किया वह अभी भी जारी है. विभागीय आदेश के विपरीत इन्होंने कन्या म.वि. में बालक म.वि. के संविलियन का प्रयास शुरू किया. हेडमास्टर इस बात पर अड़े हैं कि कन्या म.वि. ही मूल विद्यालय है, इसलिए वे कन्या म.वि. का अस्तित्व बनाये रखेंगें और बालक म.वि. को विलोपित करेंगें.

स्कूल के नाम को लेकर हेडमास्टर की जिद पर जब संविलियन आदेश के पालन में विलंब होने लगा , तब जिला कार्यक्रम पदाधिकारी(स्थापना) ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी देते हुए आदेशानुसार संविलियन का आदेश(7862/6.9.17) दिया. इस आदेश में स्पष्ट कहा गया कि विद्यालय का नाम क्या होगा-यह सरकार तय करती है. संविलियन से संबंधित आदेश में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा. इसलिए आदेश का अनुपालन करते हुए दोनों विद्यालय के अभिलेख,पंजी,उपस्कर,एमडीएम संचालन,बैंक खाता एकीकृत करना सुनिश्चित करें. अन्यथा आपके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारंभ कर दी जायेगी.

आश्चर्यजनक तथ्य है कि इस चेतावनी का भी हेडमास्टर पर कोई असर नहीं हुआ. विभाग की आंखों में धूल झोंकने के लिए आधे-अधूरे ढंग से विद्यालय एकीकृत करने की कार्रवाई की गई. नतीजतन आज भी एक विद्यालय में दो व्यवस्था कायम है. सरकारी रिकार्ड में अस्तित्वविहिन हो चुके विद्यालय का वजूद बनाये रखा गया है. उदाहरणार्थ- शिक्षकों के वेतन आदि का भुगतान वनिता विहार बालक म.वि. के नाम से हो रहा है तो एमडीएम के संचालन के लिए वनिता विहार कन्या म.वि. के खाते का संचालन किया जा रहा है. शिक्षकों की उपस्थिति पंजी को एक किया गया है लेकिन छात्र-छात्राओं की उपस्थिति पंजी अलग अलग ही है. नामांकन से लेकर खेल व सांस्कृतिक गतिविधियों में लड़कियों को तरजीह और लड़कों की उपेक्षा की जा रही है ताकि धीरे धीरे इस विद्यालय को कन्या विद्यालय के रूप में स्थापित किया जा सके.



प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार द्वारा विद्यालय के पूर्व प्रभारी प्रधानाध्यापक से वित्तीय प्रभार नहीं लिया जा रहा है.प्रभार लेने में टालमटोल की जा रही है और पूर्व प्रभारी पर अनावश्यक रूप से दबाव दिया जा रहा है कि विद्यालय के खाते में मिली छात्रवृत्ति व अन्य का भुगतान वे कर दें.अर्थात खुद तो अस्तित्वविहिन स्कूल का बैंक खाता को संचालित कर वित्तीय अनियमितता कर ही रहे हैं पूर्व प्रभारी को भी अनाधिकृत्त रूप से बैंक खाता संचालन हेतु दबाव दे रहे हैं.हेड मास्टर की इस मनमानी के कारण विद्यालय के सैंकड़ों छात्रों की छात्रवृत्ति के भुगतान पर संकट छा गया है.

बहरहाल, सरकार ने इस बार के बजट 2018-19 में शिक्षा के मद में सबसे ज्यादा रकम 32,125.64 करोड़ का प्रावधान कर सूबे में शिक्षा का अलख जगाने का प्रयास कर रही है. वहीं दूसरी ओर हेडमास्टर द्वारा सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने 21 फरवरी को पत्र भेजकर सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों से संविलियन पर रिपोर्ट तलब की है. विद्यालय के एकीकृत होने पर बैंक खाता व अन्य दस्तावेजों के एक किये जाने और संविलियित(विलोपित) विद्यालय के बैंक खाता,एमडीएम खाता आदि बंद किये जाने पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गयी है. देखना, दिलचस्प होगा कि पटना जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा रिपोर्ट भेजे जाने से पूर्व वनिता विहार बालक म.वि. के हेडमास्टर की मनमानी पर अंकुश लगाया जाता है या मैनेज करने में माहिर हेडमास्टर एक बार फिर विभाग की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब होता है.

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