पटना [राज्य ब्यूरो]।
नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान सुविधा का लाभ देने पर एरियर के
लिए 52 हजार करोड़ रुपये की दरकार होगी। इतनी बड़ी रकम का प्रबंध करने में
सरकार ने असमर्थता जताई है। सरकार नियोजित शिक्षकों को बीस फीसद की दर से
वेतन वृद्धि देने के पक्ष में है।
इस पर फौरी तौर करीब 2088 करोड़ रुपये का
अतिरिक्त खर्च होगा। गुरुवार को राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय को इन
तथ्यों के बारे में जानकारी देगी। यहां बता दें कि 29 जनवरी को सर्वोच्च
न्यायालय ने समान काम के बदले समान सुविधा पर पहली सुनवाई की थी। गुरुवार
दूसरी बार सुनवाई होनी है।
कोर्ट के आदेश पर सरकार ने नियोजित
शिक्षकों से मिले सुझावों को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट को
मुहैया करा दी है। रिपोर्ट में साफ किया गया है कि सरकार नियोजित शिक्षकों
के हित के लिए प्रयासरत है, लेकिन समान काम के बदले समान सुविधा देने में
उसे बड़ी रकम की व्यवस्था करनी होगी। इसी क्रम में एरियर का जिक्र किया गया
है।
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि
नियोजित शिक्षकों के वेतन में पे-मेट्रिक्स लागू किया जाएगा। जिसके बाद
शिक्षकों के वेतन में कम-से- कम बीस फीसद की वृद्धि होगी, लेकिन इसके लिए
शिक्षकों को विशेष परीक्षा पास करनी होगी। विशेष परीक्षा दो बार ली जाएगी।
यदि शिक्षक इस परीक्षा को पास नहीं कर सकते हैं तो वे लाभ से वंचित किए
जाएंगे। पे-मेट्रिक्स लागू करने की स्थिति में सरकार को प्रतिवर्ष शिक्षा
के बजट में अतिरिक्त 2088 करोड़ रुपये की दरकार होगी।
मुख्यसचिव अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता
वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सर्वशिक्षा अभियान के तहत नियोजित शिक्षकों
से लेकर पंचायतों और नगर निकायों के माध्यम से नियुक्त शिक्षकों की सुविधा
और वेतन पर होने वाले खर्च का विवरण दिया है।
इसी क्रम में बताया गया है कि राज्य सरकार
ने नियोजित शिक्षकों को भी सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा का लाभ दिया है।
जिसके तहत शिक्षकों को देय वेतन में करीब सत्रह फीसद की वृद्धि की गई है।
गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय रिपोर्ट के आधार पर सुनवाई करेगा। सरकार का
पक्ष रखने के लिए शिक्षा विभाग के कई अधिकारी दिल्ली पहुंच गए हैं। दूसरी
ओर शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधि भी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।