पटना.सीएम नीतीश कुमार ने भौतिकी के विद्वान प्रो.एचसी वर्मा को मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा पुरस्कार देने के बाद कहा-वर्मा जी, बिहार के लिए शिक्षा का बेहतर मॉडल दें। सरकार इसे लागू करेगी। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए अभी बहुत कुछ करना है।
बच्चों की प्रतिभा प्राकृतिक रूप से विकसित हो, मैं भी इसके पक्ष में हूं।
शनिवार काे एसकेएम में शिक्षा दिवस समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति मनुष्य की जरूरत पूरी कर सकती है, लालच नहीं। बिहार में ढाई करोड़ स्कूली बच्चे हैं। इन्हें प्राकृतिक तरीके से शिक्षित करने की जरूरत है। पहले स्कूलों में लड़कियों की संख्या काफी कम थी। 2007 से पोशाक योजना, फिर नौवीं की छात्राओं के लिए साइकिल योजना शुरू हुई, तो उनकी संख्या लड़कों से भी बढ़ गई। पहले 1.70 लाख छात्राएं थीं, जो 7 लाख पार कर गई। बाद में इस योजना का लाभ नौवीं के लड़कों को भी दिया जाने लगा। बिहार का इतिहास समृद्ध है और इसे हम सब मिलकर और आगे बढ़ाएंगे। चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है। 20 को भितिहरवा में कार्यक्रम होगा। राधाकृष्णन की जयंती 5 सितंबर शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है। बिहार में हमलोगों ने मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती 11 नवंबर को शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया, जिसे अब देशभर में मनाया जाता है।
इन्हें मिल चुका है शिक्षा पुरस्कार
रुक्मिणी बनर्जी, गणितज्ञ आनंद कुमार, सुधा वर्गीज, मो. गालिब व प्रो. विनय कुमार कंठ। 2009 से शिक्षा विभाग 2 लाख का मौलाना आजाद शिक्षा पुरस्कार देता आ रहा है। इस साल यह राशि ढाई लाख की गई है।
हम मार्क्स के पीछे क्यों भाग रहे हैं?
प्रो. वर्मा ने कहा कि आज छोटे बच्चों को कोचिंग कराया जाता है। हम मार्क्स के पीछे क्यों भाग रहे हैं? बच्चों में सीखने की अपार क्षमता है। कक्षा में बात नहीं करो, सिर्फ पढ़ाई करो। 90- 95% से कम अंक नहीं आने चाहिए। यह सोच बदलनी होगी। अंक के चक्कर में आईआईटी तक के बच्चे तनाव में आ जाते हैं। उन्होंने बताया कि पहले उन्हें भी अच्छे अंक नहीं आते थे। दरभंगा के मूल निवासी प्रो. वर्मा कानपुर में रहते हैं। पटना साइंस कॉलेज में 1980 से 1994 तक छात्रों को भौतिकी पढ़ाया। आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर रहे। सेवानिवृत्ति के बाद गरीब बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं।
बच्चों की प्रतिभा प्राकृतिक रूप से विकसित हो, मैं भी इसके पक्ष में हूं।
शनिवार काे एसकेएम में शिक्षा दिवस समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति मनुष्य की जरूरत पूरी कर सकती है, लालच नहीं। बिहार में ढाई करोड़ स्कूली बच्चे हैं। इन्हें प्राकृतिक तरीके से शिक्षित करने की जरूरत है। पहले स्कूलों में लड़कियों की संख्या काफी कम थी। 2007 से पोशाक योजना, फिर नौवीं की छात्राओं के लिए साइकिल योजना शुरू हुई, तो उनकी संख्या लड़कों से भी बढ़ गई। पहले 1.70 लाख छात्राएं थीं, जो 7 लाख पार कर गई। बाद में इस योजना का लाभ नौवीं के लड़कों को भी दिया जाने लगा। बिहार का इतिहास समृद्ध है और इसे हम सब मिलकर और आगे बढ़ाएंगे। चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है। 20 को भितिहरवा में कार्यक्रम होगा। राधाकृष्णन की जयंती 5 सितंबर शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है। बिहार में हमलोगों ने मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती 11 नवंबर को शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया, जिसे अब देशभर में मनाया जाता है।
इन्हें मिल चुका है शिक्षा पुरस्कार
रुक्मिणी बनर्जी, गणितज्ञ आनंद कुमार, सुधा वर्गीज, मो. गालिब व प्रो. विनय कुमार कंठ। 2009 से शिक्षा विभाग 2 लाख का मौलाना आजाद शिक्षा पुरस्कार देता आ रहा है। इस साल यह राशि ढाई लाख की गई है।
हम मार्क्स के पीछे क्यों भाग रहे हैं?
प्रो. वर्मा ने कहा कि आज छोटे बच्चों को कोचिंग कराया जाता है। हम मार्क्स के पीछे क्यों भाग रहे हैं? बच्चों में सीखने की अपार क्षमता है। कक्षा में बात नहीं करो, सिर्फ पढ़ाई करो। 90- 95% से कम अंक नहीं आने चाहिए। यह सोच बदलनी होगी। अंक के चक्कर में आईआईटी तक के बच्चे तनाव में आ जाते हैं। उन्होंने बताया कि पहले उन्हें भी अच्छे अंक नहीं आते थे। दरभंगा के मूल निवासी प्रो. वर्मा कानपुर में रहते हैं। पटना साइंस कॉलेज में 1980 से 1994 तक छात्रों को भौतिकी पढ़ाया। आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर रहे। सेवानिवृत्ति के बाद गरीब बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं।