@#शिक्षक_संवाद...
कुछ अत्यधिक व्यस्तता के कारण पिछले दो दिनों से मैं फेसबुक नहीं खोल पाया था। आज फेसबुक पर आया, बहुत सारा घमासान देखने को मिला। मुद्दा- #शिक्षक_संवाद पत्रिका का विमोचन। संबंधित बहुत लोगों का बहुत सारा पोस्ट देखा।
बहुत लोग इसे शिक्षक समाज का बहुत अच्छा कदम बतला रहे हैं, कुछ आमंत्रित लोगों में स्वतंत्र कलमगार भी समारोह से आने के बाद मानों ऐसे-ऐसे पोस्ट कर रहे हैं कि वो भावुकता में बहे जा रहे हैं। और बहुत ही अच्छा पहल बतला रहे हैं। मैं कार्यक्रम में जानेवालों पर कोई आपत्ति व्यक्त नहीं कर रहा हूं, पर ये लग रहा है कि स्वतंत्र लेखनी के लिए जाने जाने वाले लोग भी दरबारियों की भांति ही कैसे अभी इसे बहुत अच्छा पहल बतला रहे हैं...???
अब कुछ दरबारी व संबंधित लोग तो हमपर नाक-भौं भी सिकोङ रहे होंगे कि हमको किस दृष्टिकोण से यह अच्छा कदम नहीं लगा... लेकिन हां...
मुझे भी यह एक अच्छा कदम लगता...
#जब इसके माध्यम से शिक्षक समाज के एकिकरण का एक पग बढाया जाता...
#जब. औरों स्वतंत्र लेखनी व शब्दों के धनी कलमगार को आमंत्रित किया जाता...
#जब. शिक्षक हित में कार्य करने वाले सभी प्रमुख नेतृत्वकर्ताओं को भी आमंत्रित किया जाता...
#जब. इसमें अन्य संघों के भी कुशल कलमगारों को जगह दिया जाता...
#जब. परिवर्तनकारी से इतर भी कुछ अच्छे कलमगारों का लेख इसमें देखने को मिलता...
#जब. परिवर्तककारी से इतर कुछ अहम लोगों को भी संपादक मंडल में शामिल किया जाता...
आदि...आदि...
लेकिन कुछ आश्वासन भी अब देखने को मिल रहें हैं कि आगे से अन्य सभी लोगों से भी लेख आमंत्रित किये जाएंगे...
अगर ऐसा होता है और वह भी संघ भावना नहीं बल्कि लेख को निष्पक्षता से लेते हुए प्रकाशित किया जाता है, तो अच्छा होगा...
अन्यथा अगर सिर्फ दरबारियों द्वारा ही लिखित संघनामा व मालिकनामा वाला लेख व रचना प्रकाशित होता है, तो निश्चित ही यह अच्छा कदम ना होकर संघ पबल्शिटी का एक माध्यम है...
अगर ऐसा है तो यह शिक्षक संवाद नहीं बल्कि परिवर्तन गुणगान संवाद पत्रिका होगा...
#इसलिए मैं फिर से कहता हूं कि यह पहल अच्छा है पर उठाया गया कदम गलत है...
हो सके आगे सुधार हो...आशान्वित...
कुछ अत्यधिक व्यस्तता के कारण पिछले दो दिनों से मैं फेसबुक नहीं खोल पाया था। आज फेसबुक पर आया, बहुत सारा घमासान देखने को मिला। मुद्दा- #शिक्षक_संवाद पत्रिका का विमोचन। संबंधित बहुत लोगों का बहुत सारा पोस्ट देखा।
बहुत लोग इसे शिक्षक समाज का बहुत अच्छा कदम बतला रहे हैं, कुछ आमंत्रित लोगों में स्वतंत्र कलमगार भी समारोह से आने के बाद मानों ऐसे-ऐसे पोस्ट कर रहे हैं कि वो भावुकता में बहे जा रहे हैं। और बहुत ही अच्छा पहल बतला रहे हैं। मैं कार्यक्रम में जानेवालों पर कोई आपत्ति व्यक्त नहीं कर रहा हूं, पर ये लग रहा है कि स्वतंत्र लेखनी के लिए जाने जाने वाले लोग भी दरबारियों की भांति ही कैसे अभी इसे बहुत अच्छा पहल बतला रहे हैं...???
अब कुछ दरबारी व संबंधित लोग तो हमपर नाक-भौं भी सिकोङ रहे होंगे कि हमको किस दृष्टिकोण से यह अच्छा कदम नहीं लगा... लेकिन हां...
मुझे भी यह एक अच्छा कदम लगता...
#जब इसके माध्यम से शिक्षक समाज के एकिकरण का एक पग बढाया जाता...
#जब. औरों स्वतंत्र लेखनी व शब्दों के धनी कलमगार को आमंत्रित किया जाता...
#जब. शिक्षक हित में कार्य करने वाले सभी प्रमुख नेतृत्वकर्ताओं को भी आमंत्रित किया जाता...
#जब. इसमें अन्य संघों के भी कुशल कलमगारों को जगह दिया जाता...
#जब. परिवर्तनकारी से इतर भी कुछ अच्छे कलमगारों का लेख इसमें देखने को मिलता...
#जब. परिवर्तककारी से इतर कुछ अहम लोगों को भी संपादक मंडल में शामिल किया जाता...
आदि...आदि...
लेकिन कुछ आश्वासन भी अब देखने को मिल रहें हैं कि आगे से अन्य सभी लोगों से भी लेख आमंत्रित किये जाएंगे...
अगर ऐसा होता है और वह भी संघ भावना नहीं बल्कि लेख को निष्पक्षता से लेते हुए प्रकाशित किया जाता है, तो अच्छा होगा...
अन्यथा अगर सिर्फ दरबारियों द्वारा ही लिखित संघनामा व मालिकनामा वाला लेख व रचना प्रकाशित होता है, तो निश्चित ही यह अच्छा कदम ना होकर संघ पबल्शिटी का एक माध्यम है...
अगर ऐसा है तो यह शिक्षक संवाद नहीं बल्कि परिवर्तन गुणगान संवाद पत्रिका होगा...
#इसलिए मैं फिर से कहता हूं कि यह पहल अच्छा है पर उठाया गया कदम गलत है...
हो सके आगे सुधार हो...आशान्वित...