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शिक्षक समाज विचार कर रहा है.!! समान काम समान वेतन रटते है........ परंतु

शिक्षक समाज विचार कर रहा है.!!
समान काम समान वेतन
रटते है........

परंतु
समान काम करने को कोई तैयार नही....!!!!!
एक अनशन करता है
दूसरा दावतें उड़ाता है
एक प्रदर्शन करता है
दूसरा राजनीति करता है
एक लाठी खाता है
दूसरा खिल्ली उड़ाता है
एक वहिष्कार करता है
दूसरा उपहास करता है
एक संवेदनशील है
दूसरा संवेदनहीन है
तो फिर क्यों कहते हैं
कार्य समान हो रहा है
स्वर्णिम समय बीत रहा है
शिक्षक समाज विचार कर रहा है...
अगर विचार आपके पूरे हो जाएं
तो फैसला अपना सुना देना
एक साधारण शिक्षक निशांत आपके
इरादे-मंसूब का इंतज़ार कर रहा है
धन्यवाद
.......निशांत सिंह.......

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