जमुई से प्राप्त जानकारी के अनुसार इंटर व वार्षिक माध्यमिक परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन का बहिष्कार करने वाले 712 शिक्षकों पर जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेन्द्र कुमार सिन्हा ने जमुई थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है साथ ही दरभंगा जिले से मिली जानकारी के अनुसार दरभंगा जिला सचिव को आज शाम में पुलिस पूछताछ के बहाने ले गई है।उनका अभी तक कोई पता नहीं है।
उक्त घटना तानाशाही शासन का एक जीवंत उदाहरण है।बिहार सरकार के द्वारा जितना शोषण नियोजित शिक्षकों और आम कर्मचारियों के ऊपर किया गया उतना शायद देश के किसी राज्य सरकार के द्वारा नहीं किया गया है।अपने अधिकारों की मांग करना हमारा संवैधानिक अधिकार है और सरकार शिक्षकों को कानूनी कार्यवाही का भय दिखाकर साबित करना चाहती है कि उन्हें किसी संवैधानिक नियम-कानून की फिक्र नहीं है।इससे पहले सरकार द्वारा समान काम के बदले समान वेतन ना देना साबित करता है कि उन्हें माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी फिक्र नहीं है।अत्याचार की सीमा अब पार हो चुकी है।अब हम हाथ-पे-हाथ धर के बैठ नहीं सकते।अब वक्त है हमें मूल्यांकन बहिष्कार में आन्दोलनरत साथियों के समर्थन में प्रत्यक्ष रूप से आने की और 'समान काम-समान वेतन के' अधिकारों को छीन कर प्राप्त करने की।मैं इस पोस्ट के माध्यम से बिहार के तमाम संघों से अपील करता हूँ कि यही वक्त है कुछ कर गुजरने का।सभी संघ माध्यमिक शिक्षकों के समर्थन में आगे आवें और साथ ही साथ एक बार फिर 2015 के आन्दोलन के तर्ज पर अपनी मांगों को ले कर ही मानें।
माध्यमिक शिक्षक ,जामुई
उक्त घटना तानाशाही शासन का एक जीवंत उदाहरण है।बिहार सरकार के द्वारा जितना शोषण नियोजित शिक्षकों और आम कर्मचारियों के ऊपर किया गया उतना शायद देश के किसी राज्य सरकार के द्वारा नहीं किया गया है।अपने अधिकारों की मांग करना हमारा संवैधानिक अधिकार है और सरकार शिक्षकों को कानूनी कार्यवाही का भय दिखाकर साबित करना चाहती है कि उन्हें किसी संवैधानिक नियम-कानून की फिक्र नहीं है।इससे पहले सरकार द्वारा समान काम के बदले समान वेतन ना देना साबित करता है कि उन्हें माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी फिक्र नहीं है।अत्याचार की सीमा अब पार हो चुकी है।अब हम हाथ-पे-हाथ धर के बैठ नहीं सकते।अब वक्त है हमें मूल्यांकन बहिष्कार में आन्दोलनरत साथियों के समर्थन में प्रत्यक्ष रूप से आने की और 'समान काम-समान वेतन के' अधिकारों को छीन कर प्राप्त करने की।मैं इस पोस्ट के माध्यम से बिहार के तमाम संघों से अपील करता हूँ कि यही वक्त है कुछ कर गुजरने का।सभी संघ माध्यमिक शिक्षकों के समर्थन में आगे आवें और साथ ही साथ एक बार फिर 2015 के आन्दोलन के तर्ज पर अपनी मांगों को ले कर ही मानें।
माध्यमिक शिक्षक ,जामुई