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सरकार से भले हार जायेंगे पर अपने अहम को न हराएंगे

सरकार से भले हार जायेंगे पर अपने अहम को न हराएंगे। जानते हम भी हैं की अकेले कुछ नहीं कर पाएंगे पर फिर भी साथ कैसे आ जायेंगे? आखिर हम भी कुछ हैं ये कैसे भुलायेंगे। समझते नहीं हो तुमलोग क्यों? हम अपने अहम को आखिर कैसे भुलायेंगे भले सरकार से अपमानित किये जायेंगे।
पर साथ? हाँ आएंगे पर तब जब चुनावी वर्ष आ जायेंगे। अरे अभी से क्या संघो की एकता लगा रखी है । जाओ जा कर सो जाओ हमने भी बस अपनी दुकान सजा रखी है।
जरा अपनी क्षमता को बढ़ाने दो । इस गवर्नमेंट से फिर एक बार हार कर आने दो। क्यों इतने अधीर हो रहे हो तुम ? जिद आखिर क्यों न छोड़ रहे हो तुम? हमें छोड़ दो , अपनी राहें मोड़ दो। आखिर तुम्हारी दिक्कत क्या है ? हमारे अलग रहने से तुम्हारा बिगड़ता क्या है? मेरा कहा मानो तुम, हमारे साथ ही आ जाओ तुम। कहो तो क्या पसन्द है किसी पद की शोभा बढ़ाओ तुम।
निवेदक--- विभिन्न शिक्षक..सं...
के मन की बातें
आम शिक्षक चौपाल।

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