समस्तीपुर । सरकारी विद्यालयों में फर्जी नामांकन पर रोक लगाने के लिए
राज्य सरकार की रजिस्टर क्लीन अभियान हसनपुर प्रखंड में शिक्षकों की
लापरवाही के कारण ठंढ़े बस्ते में पड़ी हुई है।
बता दें कि हसनपुर प्रखंड में कई विद्यालय के शिक्षको के द्वारा दबंगों के बच्चे निजी विद्यालय में नामांकित रहने के बावजूद सरकारी विद्यालय में भी नामांकन करवा कर फर्जी रूप से उपस्थिति पंजी में उपस्थिति दर्ज कर सरकारी लाभ प्राप्त कर रहे हैं। शिक्षा विभाग के कर्मियों से मिली जानकारी के अनुसार विद्यालयों में फर्जी नामांकन पर रोक लगाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने रजिस्टर क्लीन अभियान आरंभ कर सूबे के सभी मध्य एवं प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक को उन बच्चे का नाम वर्ग से हटाने का आदेश निर्गत किया जो बच्चे शिक्षकों के बार-बार अनुरोध करने पर भी विद्यालय से अनुपस्थित रहते हैं। लेकिन अधिकांश शिक्षकों एवं दबंगों के बच्चे का ही नाम निजी और सरकारी विद्यालय में भी नामांकित हैं। इस स्थिति में इस योजना में पारदर्शिता लाना राज्य सरकार के लिए एक चुनौती बन गया है। सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि जिन बच्चे की उपस्थिति 75 प्रतिशत दर्ज होगा उसी बच्चे को पोशाक, साइकिल एवं छात्रवृति की राशि दी जायेगी। परन्तु यहां तो हाजिरी बनाने वाले शिक्षक के पुत्र ही दो विद्यालय में एक साथ अध्ययन कर रहे हैं। तो उनके बच्चे को लाभ से वंचित कौन कर सकता है। ऐसे में जिन बच्चे की उपस्थिति शत-प्रतिशत रहते हुए भी अगर उसका नाम लाभुक सूची से वंचित करना आम बात हो गई है। इस संबंध में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ललन कुमार पाण्डेय ने बताया कि रजिस्टर क्लीन अभियान की सूचना प्राप्त होते ही सभी एचएम को आदेश दे दिया गया है कि विद्यालय के वैसे नामांकित छात्र-छात्राओं का नाम उपस्थिति पंजी से विलोपित करना है जो बच्चे लगातार तीन चार माह से विद्यालय से गायब है। इसके बावजूद अगर कोई शिक्षक पुत्र मोह में फंस कर या किसी के दबाव में आकर उपस्थिति पंजी से नाम विलोपित नहीं करते हैं तो शिकायत मिलने पर उनके विरूद्ध विभागीय कार्रवाई की जायेगी।
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