आर्य कन्या उच्च विद्यालय में फरजी बहाली प्रकरण में डीएम द्वारा सरकार व
उच्चाधिकारियों को दोबारा पत्र भेजे जाने से जल्द कार्रवाई की संभावना
जतायी जा रही है. ऐसे में पिछले दरवाजे से बहाल शिक्षक, लिपिक सहित आदेशपाल
को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.
खगड़िया : आर्य कन्या उच्च विद्यालय प्रकरण में डीएम जय सिंह ने
शिक्षा विभाग के सचिव जितेन्द्र श्रीवास्तव को पत्र भेजने के बाद जल्द
कार्रवाई की संभावना जतायी जा रही है. मामला आर्य कन्या उच्च विद्यालय में
फर्जी बहाली व वेतन भुगतान में फर्जीवाड़ा सहित हाई कोर्ट के आदेश के
अनुपालन से जुड़ा हुआ है. पूरे मामले में डीएम ने सरकार सहित राज्य
मुख्यालय में पत्र भेज चुके हैं. जिसके बाद आर्य कन्या उच्च विद्यालय
प्रकरण में नियम कायदे को ताक पर रख कर हेराफेरी के सहारे विद्यालय में
बहाल शिक्षक, लिपिक,
आदेशपाल को नौकरी से हटाने के साथ-साथ फर्जीवाड़ा के सहारे लिये गये
वेतन वसूली की कार्रवाई की प्रक्रिया में तेजी आने की संभावना है. डीएम ने
पहले भी आर्य कन्या उच्च विद्यालय की बदहाल स्थिति का हवाला देते हुए
टेकओवर करने लिये सरकार को पत्र भेजा है. ताकि प्राथमिकी के नामजद आरोपी
प्रधानाध्यापक को पद से हटा कर नये प्रधानाध्यापक की नियुक्ति कर विद्यालय
संचालन सही तरीके से किया जा सके. डीएम ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश का
अनुपालन हर हाल में करवाने के लिए जिला प्रशासन ने कवायद तेज कर दी है. इसी
के तहत नये सिरे से विभिन्न बिंदुओं के साथ शिक्षा विभाग के सचिव
जितेन्द्र श्रीवास्तव को पत्र भेजा गया है.
सिर्फ प्रधानाध्यापक पर प्राथमिकी दर्ज करने पर उठे सवाल : विद्यालय
में फर्जी बहाली सहित वेतन भुगतान में फर्जीवाड़ा जैसे कई गड़बड़ी सामने
आने के बाद डीपीओ स्थापना ने अपनी गरदन फंसते देख प्रधानाध्यापक नंदलाल साह
पर प्राथमिकी दर्ज करवा कर भले ही पल्ला झाड़ लिया हो, लेकिन अगर पूरे
मामले की गहन जांच हुई इसकी आंच शिक्षा विभाग के अधिकारियों तक पहुंच सकती
है. विद्यालय प्रबंध समिति के सचिव नीलकमल दिवाकर ने डीपीओ स्थापना के
फैसले पर अंगुली उठाते हुए कहा कि जिस फर्जी वेतन विपत्र के आधार पर वेतन
भुगतान करने के लिये चेक दिया गया उस पर तत्कालीन सचिव व प्रधानाध्यापक के
हस्ताक्षर हैं.
डीइओ व डीपीओ स्थापना आमने -सामने : फर्जी शिक्षक/ शिक्षकेतर
कर्मचारियों को वेतन/ मानदेय भुगतान में धांधली का मामला तूल पकड़ने के बाद
डीइओ व डीपीओ एक दूसरे पर गड़बड़ी का ठीकरा फोड़ रहे हैं
. डीइओ ने डीएम को भेजे पत्र में साफ तौर पर कहा है कि शिक्षा निदेशक
से बिना अनुमोदन के ही डीपीओ स्थापना व संचिका प्रभारी की मिलीभगत से सारा
गोलमाल किया गया है. विद्यालय में पूर्व से कार्यरत शिक्षक/ शिक्षकेतर
कर्मचारियों के लिए प्राप्त आवंटन से ही नवनियुक्त शिक्षक व अन्य कर्मियों
को भुगतान कर दिया गया, जो स्पष्ट रुप से वित्तीय अनियमितता व विभागीय
नियमों का उल्लंघन है. पूरे मामले में डीपीओ स्थापना ने कहा कि उस वक्त
डीइओ के आदेशानुसार ही उन्होंने वेतन भुगतान किया था. डीपीओ स्थापना भले ही
पूरी गड़बड़ी में अपनी संलिप्तता से भले ही इनकार कर रहे हो, लेकिन उनके
द्वारा की गयी गड़बड़ी अब सबके सामने हैं.
वेतन भुगतान में फर्जीवाड़ा के लिए आर्य कन्या उच्च विद्यालय के
प्रधानाध्यापक नंद लाल साह पर कांड संख्या 612/16 दर्ज कराया गया है. साथ
ही धोखाधड़ी के सहारे फर्जी कर्मचारियों के वेतन मद में दी गयी 23, 22,500
वसूली की कार्रवाई की जा रही है. गलत विपत्र पर सचिव व प्रधानाध्यापक दोनों
के हस्ताक्षर रहने के बाद भी सिर्फ प्रधानाध्यापक पर प्राथमिकी दर्ज करना
सही है.
सुरेश कुमार साहू , डीपीओ स्थापना
जब फर्जी तरीके से तैयार वेतन विपत्र पर प्रबंधन समिति के तत्कालीन
सचिव व प्रधानाध्यापक दोनों के हस्ताक्षर हैं तो सिर्फ एक पर प्राथमिकी
दर्ज करवाना गलत है. सचिव को बचाने के लिए यह खेल किया गया है. पूरे प्रकरण
में डीइओ व डीपीओ स्थापना एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा कर बच नहीं
पायेंगे.
नीलकमल दिवाकर, सचिव.
डीपीओ स्थापना सुरेश साहू व संचिका प्रभारी लिपिक रोशन कुमार की
मिलीभगत से बिना अनुमोदन के लिए ही आर्य कन्या उच्च विद्यालय में नवनियुक्त
शिक्षक/ शिक्षकेतर कर्मियों को वेतन/ मानदेय भुगतान कर दिया गया, जो
वित्तीय अनियमितता है. शिक्षा निदेशक से अनुमोदन प्राप्ति के बाद ही
नवनियोजित शिक्षक/ शिक्षकेतर कर्मचारियों का वेतनादि/ मानदेय का भुगतान
किया जाना था. डीपीओ स्थापना पर प्रपत्र क गठित करने की कार्रवाई की
जायेगी.
डॉ ब्रज किशोर सिंह, डीइओ.
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