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बिना स्कूल गए वेतन उठा रहे कई सरकारी शिक्षक

सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले करीब 50 शिक्षक गलत तरीके से अबसेंटी भेजकर वेतन उठा रहे हैं। शिक्षा विभाग इनपर वेतन रोकने की कार्रवाई करने जा रहा है। डीपीओ स्थापना ने निरीक्षण के दौरान ऐसे शिक्षकों की पहचान हुई है। इन स्कूलों के प्रधानाध्यापकों से भी गलत अटेंडेंस भेजने पर जवाब-तलब किया जाएगा।

डीपीओ संजय कुमार ने बताया कि शिक्षक स्कूल नहीं जाते हैं और उनका अबसेंटी विभाग पहुंच रहा है। स्कूलों के निरीक्षण में यह बात सामने आई है। तीन शिक्षकों पर वेतन रोकने की कार्रवाई शुरू हो गई है। बाकी पर भी इसी हफ्ते से कार्रवाई शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि प्राथमिक विद्यालय जरलाही के निरीक्षण में शिक्षक राम पदारथ राय अनुपस्थित पाए गए थे, लेकिन जब महीने के अंत में अबसेंटी आई तो छुट्टी वाले दिन की भी हाजिरी बनी हुई थी।
उसी तरह प्राथमिक विद्यालय सुर्खीकल के शिक्षक रंजन कुमार करीब दो महीने तक स्कूल नहीं आए लेकिन उनकी अबसेंटी भी स्थापना संभाग में भेज दी गई। स्कूल की जांच में यह पता चला। अबसेंटी आने के बाद शिक्षकों का वेतन भी जारी कर दिया गया। सोमवार को जांच में पाया गया कि एक शिक्षक प्रवीण झा का दूसरी जगह प्रतिनियोजित होने के बाद भी मूल विद्यालय से वेतन जा रहा था। प्रधानाध्यापक से भी इस बारे में शोकॉज पूछा गया है।
प्रतिनियोजन कहीं, वेतन कहीं से
डीपीओ ने बताया कि कई शिक्षक ऐसे हैं जो दूसरे विद्यालय में प्रतिनियोजित कर दिए गए थे। इसका समय खत्म होने के बाद भी वह अपने मूल विद्यालय नहीं गए और उनका वेतन भी पुराने विद्यालय से बनकर आ रहा है। शिक्षक और प्रधानाध्यापक की मिलीभगत से सारा खेल चल रहा है। इसलिए अब हर स्कूलों से अटेंडेंस रजिस्टर मंगा कर उसे चेक किया जाएगा। अब तक सिर्फ शिक्षक कितने दिन स्कूल आए और कितने दिन छुट्टी पर रहे इसी की सूची प्रधानाध्यापक भेजते थे।

शिक्षक नहीं विभाग की गलती : संघ
शिक्षक संघ के पूरण कुमार ने कहा कि विभाग की लापरवाही से ही शिक्षक गलत अबसेंटी भेज रहे हैं। प्रतिनियोजन में शिक्षकों से गलत तरीके से काम कराया जाता है। शिक्षकों से सिर्फ पैसा वसूली हो रही है। इसमें शिक्षकों की कोई गलती नहीं है। माध्यमिक शिक्षक संघ के डॉ रविशंकर कुमार ने कहा कि डीईओ को सभी प्रतिनियोजित शिक्षक को पत्र जारी कर उन्हें मूल विद्यालय भेजने का निर्देश देना चाहिए ताकि वेतन वहीं से बन सके। शिक्षक को प्रताड़ित करना ठीक नहीं।

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