सीवान : रघुनाथपुर प्रखंड के नया प्राथमिक विद्यालय, पिपरा दिघवलिया की शिक्षिका नीलम कुमारी के दिल्ली में रह कर वेतन उठाते रहने के मामले का भले ही पटाक्षेप हो चुका है. लेकिन, यह खे ल पिछले चार वर्षों से ऐसे ही नहीं चल रहा था. इस गड़बड़झाले में विभागीय अफसरों की भी संलिप्तता होने की बात उजागर होने के बाद अब लीपापोती का खेल शुरू हो गया है. हालांकि डीएम पूरे मामले पर नजर रखे हुए हैं.
नया प्राथमिक विद्यालय, पिपरा दिघवलिया पर शिक्षिका नीलम कुमारी को वर्ष 2007 में तैनाती मिली. इसके बाद वे वर्ष 2012 में विभाग के मुताबिक अवैतनिक अवकाश पर चली गयीं. कथित रूप से बाद में उन्होंने कटवार के प्राथमिक विद्यालय पर प्रतिनियुक्ति करा ली. हालांकि अवैतनिक अवकाश लेने के बाद प्रतिनियुक्ति का मामला संदेह के घेरे में है. इसके बाद भी उन्हें लगातार वेतन का भुगतान होता रहा. वहीं, विभाग के मुताबिक पिछले चार साल से वे अवकाश पर हैं. इस मामले में पहली बार डीएम महेंद्र कुमार के यहां ग्रामीण की शिकायत के बाद मामला प्रकाश में आया.
इसके बाद डीपीओ (सर्व शिक्षा अभियान) राजकुमार ने डीएम के आदेश पर चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया. इसके द्वारा जांच कराने के बाद शिकायत सही पायी गयी. इसका खुलासा होने के बाद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी योगेंद्र प्रसाद ने शिक्षिका नीलम कुमारी व उसका फर्जीवाड़ा में मदद करने वाले उत्क्रमित विद्यालय, कौसड़ के अध्यापक विनोद कुमार मिश्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है. इसमें विनोद पर जबरन उपस्थिति पंजिका उठा कर ले जाने तथा हस्ताक्षर बनवाने का आरोप है.
पिछले चार वर्ष से वह बाहर रह कर वेतन उठाती रही. लेकिन विभाग को भनक तक नहीं लगी. वहीं, उपस्थिति रिपोर्ट प्रधानाध्यापक द्वारा देने के बाद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को सत्यापन करना होता है. प्रधानाध्यापक व बीइओ भी अनजान बने रहे. इसके अलावा अनुश्रवण की जिम्मेवारी संकुल केंद्र समन्वयक, प्रखंड संसाधन केंद्र के समन्वयक की है.
इसके अलावा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की नियमित विद्यालयों का निरीक्षण करने की जिम्मेवारी भी है. लेकिन, विभागीय जांच के बाद इनमें से किसी से भी जवाब तलब नहीं किया गया. यहां तक की प्राथमिकी भी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने दर्ज करायी है. इस पूरे मामले में बीइओ योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी दोनों शिक्षकों पर मुकदमा दर्ज कराया गया है. उधर जिला शिक्षा पदाधिकारी विश्वनाथ प्रसाद विश्वकर्मा कहते हैं कि जांच के आधार पर मुकदमा दर्ज कराया गया है. अब आगे का कार्य पुलिस का है.
चार वर्ष तक चलता रहा अनियमितता का खेल, अफसरों को नहीं लगी भनक
डीइओ ने कहा, प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद अब कार्रवाई पुलिस के जिम्मे
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नया प्राथमिक विद्यालय, पिपरा दिघवलिया पर शिक्षिका नीलम कुमारी को वर्ष 2007 में तैनाती मिली. इसके बाद वे वर्ष 2012 में विभाग के मुताबिक अवैतनिक अवकाश पर चली गयीं. कथित रूप से बाद में उन्होंने कटवार के प्राथमिक विद्यालय पर प्रतिनियुक्ति करा ली. हालांकि अवैतनिक अवकाश लेने के बाद प्रतिनियुक्ति का मामला संदेह के घेरे में है. इसके बाद भी उन्हें लगातार वेतन का भुगतान होता रहा. वहीं, विभाग के मुताबिक पिछले चार साल से वे अवकाश पर हैं. इस मामले में पहली बार डीएम महेंद्र कुमार के यहां ग्रामीण की शिकायत के बाद मामला प्रकाश में आया.
इसके बाद डीपीओ (सर्व शिक्षा अभियान) राजकुमार ने डीएम के आदेश पर चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया. इसके द्वारा जांच कराने के बाद शिकायत सही पायी गयी. इसका खुलासा होने के बाद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी योगेंद्र प्रसाद ने शिक्षिका नीलम कुमारी व उसका फर्जीवाड़ा में मदद करने वाले उत्क्रमित विद्यालय, कौसड़ के अध्यापक विनोद कुमार मिश्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है. इसमें विनोद पर जबरन उपस्थिति पंजिका उठा कर ले जाने तथा हस्ताक्षर बनवाने का आरोप है.
पिछले चार वर्ष से वह बाहर रह कर वेतन उठाती रही. लेकिन विभाग को भनक तक नहीं लगी. वहीं, उपस्थिति रिपोर्ट प्रधानाध्यापक द्वारा देने के बाद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को सत्यापन करना होता है. प्रधानाध्यापक व बीइओ भी अनजान बने रहे. इसके अलावा अनुश्रवण की जिम्मेवारी संकुल केंद्र समन्वयक, प्रखंड संसाधन केंद्र के समन्वयक की है.
इसके अलावा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की नियमित विद्यालयों का निरीक्षण करने की जिम्मेवारी भी है. लेकिन, विभागीय जांच के बाद इनमें से किसी से भी जवाब तलब नहीं किया गया. यहां तक की प्राथमिकी भी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने दर्ज करायी है. इस पूरे मामले में बीइओ योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी दोनों शिक्षकों पर मुकदमा दर्ज कराया गया है. उधर जिला शिक्षा पदाधिकारी विश्वनाथ प्रसाद विश्वकर्मा कहते हैं कि जांच के आधार पर मुकदमा दर्ज कराया गया है. अब आगे का कार्य पुलिस का है.
चार वर्ष तक चलता रहा अनियमितता का खेल, अफसरों को नहीं लगी भनक
डीइओ ने कहा, प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद अब कार्रवाई पुलिस के जिम्मे
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