पटना : न जमीन
और न भवन, और न ही छात्र व शिक्षक. इसके बावजूद कागज पर जमीन के साथ भवन
भी दिखा दिया. छात्रों की संख्या बतायी. शिक्षकों की पूरी सूची बिहार बोर्ड
को सौंपी. लेकिन, जब डीइओ ने जांच करायी, तो सारे के सारे कॉलेज फर्जी थे.
इसके बाद डीइओ ने बोर्ड को सारे कॉलेजों की निगेटिव रिपोर्ट दी. जिसमें
स्पष्ट कहा गया कि किसी भी कॉलेज को संबद्धता नहीं दिया जाये. इसके बावजूद
बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने कॉलेजों को
संबद्धता दे दी. यह सारा खेल पटना जिला के उन सात कॉलेजों को संबद्धता देने
में हुआ, जिसकी संबद्धता समिति ने निलंबित कर दी है. समिति उन कर्मचारियों
की भी जांच करेगी, जो इससे जुड़े रहे हैं.
गलत रिपोर्ट बनाने के लिए कर्मचारियों पर बनाया गया था दबाव
पटना जिले के अलावा वैशाली, गया, छपरा जिले के कॉलेजों की संबद्धता की
रिपोर्ट बनाने में कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की. पटना जिला
शिक्षा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार कार्यालय को बिहार बोर्ड से सात
कॉलेजाें की संबद्धता की जांच करने को भेजा गया. डीइओ ने अपने स्तर से
इसकी जांच करायी. जांच में सातों कॉलेज फर्जी पाये गये. इसकी जानकारी पूर्व
अध्यक्ष को लिखित रिपोर्ट बना कर भेजी भी गयी. लेकिन, इस रिपोर्ट को बदल
दिया गया. संबंधित कर्मचारियों ने पूर्व अध्यक्ष के कहने पर नकली रिपोर्ट
इन कॉलेजों की बनायी. बोर्ड कर्मचारियों ने बताया कि गलत रिपोर्ट बनाने में
लालकेश्वर प्रसाद ने कर्मचारियों पर काफी दबाव डाला.
बात नहीं मानने पर मिलती थी धमकी
काॅलेज संबद्धता को लेकर पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद की बात को जो
कर्मचारी नहीं मानते थे, उन्हें धमकी भी दी जाती थी. मार्च में आयोजित
संबद्धता की बैठक में जब एक कर्मचारी ने गलत संबद्धता को लेकर आवाज उठायी,
तो लालकेश्वर प्रसाद ने उन्हें नौकरी लेने और सड़क पर लाने तक की धमकी दे
डाली. कॉलेज संबद्धता में पूर्व अध्यक्ष अपनी मरजी से सारा कुछ करते थे.
शिक्षकों पर भी कार्रवाई
काॅलेज में शिक्षक नहीं हैं, लेकिन शिक्षक का फोटो फाइल में लगा कर
समिति को सौंप दी गयी. ऐसे में जिन शिक्षकों और छात्रों का फोटो लगा कर
कॉलेज ने समिति को फाइल में दी है, वैसे शिक्षकों व छात्रों पर भी समिति
कार्रवाई करेगी. जिन शिक्षकों का फोटो कॉलेज संबद्धता की फाइल में लगा है.
ऐसे शिक्षकों से पूछताछ की जायेगी. 15 दिनों के कारण बताओ नोटिस के बाद
बिहार बोर्ड आगे की कार्रवाई करेगा.
कॉलेजों को नोटिस
समिति के पास जो डाॅक्यूमेंट जमा किये गये हैं, वो सही थे. लेकिन, जब
जांच की गयी, तो कॉलेज पूरी तरह से फर्जी निकले हैं. गलत जानकारी देने वाले
कटघरे में आयेंगे. कॉलेजों को नोटिस दिया गया है. अब आगे की कार्रवाई शुरू
होगी.
आनंद किशोर, अध्यक्ष, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति
डीपीआरओ की गिरफ्तारी पर रोक
पटना. औरंगाबाद के डीपीआरओ जर्नादन प्रसाद अग्रवाल के खिलाफ पुलिस को
वारंट नहीं मिला है. कोर्ट ने निर्धारित अवधि तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी
है. वहीं डीपीआरओ ने डीएसपी लॉ एंड ऑर्डर डॉक्टर मो शिब्ली नोमानी से
संपर्क किया है. उन्होंने दूरभाष पर बात की और मंगलवार को एसएसपी से मिलने
की इच्छा जाहिर की. वह एसएसपी से मिल कर अपना पक्ष रखेंगे. उन्होंने पुलिस
को सफाई दी है कि उनका इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है. आठ करोड़ के
फर्जी टेंडर के जरिये गुजरात से मंगायी गयी उत्तरपुस्तिकाओं को खपाये जाने
के मामले में डीपीआरओ जांच के घेरे में आये हैं.
उत्तर पुस्तिकाओं को रद्दी के भाव खरीदने वाले ने आरोप लगाया था कि
डीपीआरओ के कहने पर ही वह उत्तरी पुस्तिकाओं को रखा था. इस मामले में
डीपीआरओ को आरोपित बनाया गया है.
पुलिस उनकी गिरफ्तारी की फिराक में थी. इसके लिए कोर्ट में वारंट के
लिए आवेदन भी दिया गया था, लेकिन डीपीआरओ ने जमानत के लिए अर्जी दाखिल कर
दी. अब कोर्ट ने निर्धारित अवधि के लिए गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.
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