गोपालगंज। सरकारी स्कूलों में नाम लिखा कर घर पर बैठ कर योजनाओं का फायदा
उठाने के दिन अब लद गये हैं। अब लगातार तीस दिन विद्यालय नहीं आने वाले
छात्र को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। अगर कोई छात्र लगातार तीस दिन विद्यालय
नहीं आया तो उसका नाम स्कूल से काट दिया जाएगा।
हालांकि नाम काटने से पहले लगातार विद्यालय नहीं आने का कारण भी पूछा जाएगा। अगर जवाब संतोष जनक रहा तो उस छात्र को एक मौका और दिया जाएगा। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने जिले के सभी सरकारी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को निर्देश जारी कर दिया है। डीपीओ सर्व शिक्षा सूर्य नारायण ने बताया कि सरकारी स्कूलों में नाम लिखाने के बाद कई छात्रों के स्कूल नहीं आने की शिकायत मिलती रही है। ये छात्र सरकारी योजनाओं का लाभ तो लेते हैं, लेकिन स्कूल आने से परहेज करते हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों की इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए लगातार तीस दिन स्कूल नहीं आने पर उनका नाम काटने का निर्देश दिया गया है। हालांकि लगातार स्कूल नहीं आने पर उस छात्र के दोस्तों के माध्यम से यह पता लगाया जाएगा कि छात्र स्कूल क्यों नहीं आ रहा है। इसके बाद भी छात्र के स्कूल नहीं आने का कारण जानने के लिए प्रधानाध्यापक तथा शिक्षक स्वयं उसके घर जाकर छात्र को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने बताया कि इतने प्रयास के बाद भी अगर छात्र विद्यालय नहीं आया तो उसका नाम स्कूल से काट दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब सिर्फ कागजातों में छात्र छात्राओं की उपस्थित नहीं चलेगी। प्रतिदिन विद्यालय में छात्र छात्राओं की उपस्थिति की जांच की जाएगी। छात्रों की स्कूल में 75 प्रतिशत अनिवार्य है। अगर जांच के दौरान विद्यालयों में छात्रों की संख्या कम पाई जाती है तो इसके लिए प्रधानाध्यापकों को स्पष्टीकरण देना होगा।
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हालांकि नाम काटने से पहले लगातार विद्यालय नहीं आने का कारण भी पूछा जाएगा। अगर जवाब संतोष जनक रहा तो उस छात्र को एक मौका और दिया जाएगा। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने जिले के सभी सरकारी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को निर्देश जारी कर दिया है। डीपीओ सर्व शिक्षा सूर्य नारायण ने बताया कि सरकारी स्कूलों में नाम लिखाने के बाद कई छात्रों के स्कूल नहीं आने की शिकायत मिलती रही है। ये छात्र सरकारी योजनाओं का लाभ तो लेते हैं, लेकिन स्कूल आने से परहेज करते हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों की इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए लगातार तीस दिन स्कूल नहीं आने पर उनका नाम काटने का निर्देश दिया गया है। हालांकि लगातार स्कूल नहीं आने पर उस छात्र के दोस्तों के माध्यम से यह पता लगाया जाएगा कि छात्र स्कूल क्यों नहीं आ रहा है। इसके बाद भी छात्र के स्कूल नहीं आने का कारण जानने के लिए प्रधानाध्यापक तथा शिक्षक स्वयं उसके घर जाकर छात्र को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने बताया कि इतने प्रयास के बाद भी अगर छात्र विद्यालय नहीं आया तो उसका नाम स्कूल से काट दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब सिर्फ कागजातों में छात्र छात्राओं की उपस्थित नहीं चलेगी। प्रतिदिन विद्यालय में छात्र छात्राओं की उपस्थिति की जांच की जाएगी। छात्रों की स्कूल में 75 प्रतिशत अनिवार्य है। अगर जांच के दौरान विद्यालयों में छात्रों की संख्या कम पाई जाती है तो इसके लिए प्रधानाध्यापकों को स्पष्टीकरण देना होगा।
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