टॉपर घोटाला. बोर्ड के दोनों पूर्व सचिव का शिक्षा माफियाओं को मिलता रहा संरक्षण
टॉपर घोटाले में एसआइटी द्वारा गिरफ्तार बिहार बोर्ड के दो पूर्व सचिव
का सुपौल से पुराना और गहरा संबंध रहा है. यही वजह है कि इनके कार्यकाल
में जिले में कई गिरोह सक्रिय रहे जिनके द्वारा न केवल छात्रों को इंटर व
मैट्रिक की परीक्षा में अच्छे अंक से पास कराने का ठेका लिया जाता था
सुपौल : ले में खास अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेकर फरजी टीइटी प्रमाण
पत्र उपलब्ध कराया गया. इसके आधार पर जिले भर में सैकड़ों की संख्या में
युवक एवं युवतियाें ने शिक्षक की नौकरी पाने में कामयाबी हासिल की. हालांकि
गत नियोजन के दौरान हजारों की संख्या में फर्जी टीइटी प्रमाण पत्र के आधार
पर नौकरी के लिए आवेदन किये जाने का खुलासा हुआ. जिला पदाधिकारी के आदेश
पर जिले के 181 पंचायतों में से 150 पंचायतों में जांचोपरांत फरजी टीइटी
प्रमाण पत्र पाया गया.इसके बाद ऐसे अभ्यर्थियों के विरुद्ध जिले के विभिन्न
थानों में प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी.
कई फर्जी प्रमाण पत्रधारी गिरफ्तार हो कर जेल की हवा भी खा चुके हैं.
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने प्रखंडवार नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों को
जमा कर दूसरे प्रखंड के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को विभिन्न बोर्ड एवं
विश्वविद्यालयों में सत्यापन के लिए भेजा, तो सैकड़ों शिक्षकों के बिहार
बोर्ड द्वारा निर्गत मैट्रिक, इंटर व टीइटी प्रमाण पत्र फरजी पायी गयी.
जांच पदाधिकारी द्वारा जांच प्रतिवेदन विभाग को उपलब्ध कराया गया, लेकिन
कार्रवाई के नाम पर अभी तक संचिका सिर्फ मोटी ही हो रही है और प्रखंड
स्तरीय पदाधिकारी एवं पंचायत सचिवों के लिए ऐसे शिक्षक दुधारू गाय साबित हो
रहे हैं.
गत नियोजन में धराये हजारों फर्जी प्रमाण पत्र धारी : जिले के शिक्षा
माफिया एवं बोर्ड के दोनों पूर्व सचिव के बीच सांठगांठ का ही नतीजा रहा कि
गत नियोजन के दौरान जिले भर में हजारों की संख्या में फरजी टीइटी प्रमाण
पत्रों की बिक्री कर इन लोगों ने करोड़ों की अवैध उगाही की. आवेदन में
संलग्न फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर ऐसे अभ्यर्थी जिले के सभी पंचायत एवं
प्रखंडों के मेधा सूची में टॉप पर रहे.
सदर प्रखंड अंतर्गत गोठ बरुआरी पंचायत के शिक्षक नियोजन इकाई के
द्वारा जब अपने स्तर से टीइटी प्रमाण पत्रों की जांच करायी गयी तो करीब 70
अभ्यर्थियों के बिहार बोर्ड द्वारा निर्गत टीइटी प्रमाण पत्र फर्जी पाये
गये.नियोजन इकाई के द्वारा फर्जी प्रमाणपत्र धारी अभ्यर्थियों की अलग से
सूची बना कर डीइओ को समर्पित करते हुए विधि सम्मत कार्रवाई का अनुरोध किया
गया. इसके बाद विभाग में हड़कंप मच गया. तत्कालीन डीएम एवं डीइओ ने मामले
को गंभीरता से लेते हुए गोठ बरुआरी पंचायत के सभी फर्जी प्रमाणपत्रधारी
अभ्यर्थियों के
विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का
आदेश दिया.
विवादास्पद रहा दोनों पूर्व सचिव का कार्यकाल
बिहार बोर्ड के पूर्व सचिव श्रीनिवास चंद्र तिवारी एवं हरिहर नाथ झा
सुपौल जिला में लंबे समय तक विभिन्न पदों पर पदस्थापित रहे. श्री तिवारी
जहां एक साथ एसडीओ, डीएसई, डीइओ एवं आरडीडीई के पद पर आसीन रहे वहीं श्री
झा एसडीओ एवं डीएसई के पद पर लंबी अवधि तक कार्यरत रहे. पदस्थापन के दौरान
दोनों ही अधिकारी का कार्यकाल घोटालों एवं विवादों से घिरा रहा. श्री
तिवारी पर जहां 02 करोड़ 17 लाख रुपये की अवैध निकासी, आठवीं बोर्ड कांपी
घोटाला, अनुकंपा नियुक्ति, कंप्यूटर क्रय में अनियमितता समेत कई अन्य गंभीर
आरोप लगे. वहीं दूसरी ओर श्री झा को नगर परिषद में नियोजन में अनियमितता
एवं सर्व शिक्षा अभियान में वित्तीय अनियमितता सहित कई अन्य आरोपों से
जूझना पड़ा.
विवादास्पद रहा दोनों पूर्व सचिव का कार्यकाल
बिहार बोर्ड के पूर्व सचिव श्रीनिवास चंद्र तिवारी एवं हरिहर नाथ झा
सुपौल जिला में लंबे समय तक विभिन्न पदों पर पदस्थापित रहे. श्री तिवारी
जहां एक साथ एसडीओ, डीएसई, डीइओ एवं आरडीडीई के पद पर आसीन रहे वहीं श्री
झा एसडीओ एवं डीएसई के पद पर लंबी अवधि तक कार्यरत रहे. पदस्थापन के दौरान
दोनों ही अधिकारी का कार्यकाल घोटालों एवं विवादों से घिरा रहा. श्री
तिवारी पर जहां 02 करोड़ 17 लाख रुपये की अवैध निकासी, आठवीं बोर्ड कांपी
घोटाला, अनुकंपा नियुक्ति, कंप्यूटर क्रय में अनियमितता समेत कई अन्य गंभीर
आरोप लगे. वहीं दूसरी ओर श्री झा को नगर परिषद में नियोजन में अनियमितता
एवं सर्व शिक्षा अभियान में वित्तीय अनियमितता सहित कई अन्य आरोपों से
जूझना पड़ा.
जिले के सभी थानों में दर्ज हैं प्राथमिकी
गोठ बरुआरी पंचायत में फरजी प्रमाण पत्र वाले अभ्यर्थियों के खुलासे
के बाद जिलाधिकारी एलपी चौहान ने डीइओ को एक जांच दल गठित कर जिले के सभी
पंचायतों में अभ्यर्थियों के टीइटी प्रमाण पत्रों के जांच का आदेश दिया.
जांच के दौरान जांच दल द्वारा जिले के कुल 181 पंचायतों में से करीब 150
पंचायतों में हजारों की संख्या में फर्जी टीइटी प्रमाण पत्र धारी
अभ्यर्थियों को चिन्हित किया गया. जिसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी ने
संबंधित क्षेत्र के प्रखंड एवं पंचायत नियोजन इकाई को ऐसे
अभ्यर्थियों के विरुद्ध प्राथमिकी का आदेश दिया. जिले के विभिन्न
थानों में 150 प्राथमिकी दर्ज हैं. पुलिस ने कई अभ्यर्थियों को गिरफ्तार कर
जेल भी भेजा जबकि कई अभ्यर्थी आज भी जेल की सलाखों से बाहर हैं.
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