बोधगया: स्नातक पार्ट थ्री की परीक्षा में किसी विषय में कम नंबर व फेल होने के बाद ज्यादातर छात्र-छात्राओं की आपत्ति को देखते हुए एमयू प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि विभिन्न विषयों के शिक्षकों की एक टीम गठित कर कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन कराया जाये.
इसमें अलग-अलग विषयों के शिक्षक शामिल होंगे व छात्र-छात्राओं की शिकायत के अनुसार पहले चरण में 10-10 कॉपियों की जांच की जायेगी.
इसमें यह देखा जायेगा कि संबंधित उत्तर पुस्तिकाओं में परीक्षक द्वारा कम अंक दिये गये या फिर कॉपियों की जांच में किसी तरह की लापरवाही बरती गयी है. ऐसा कमोबेश सभी विषयों में नमूने के तौर पर शिक्षकों द्वारा जांच-पड़ताल की जायेगी. इस प्रक्रिया में अगर कॉपियों की जांच में किसी तरह की लापरवाही पायी गयी, तो फिर कम अंक होने का दावा करनेवाले व फेल होने वाले सभी छात्र-छात्राओं की कॉपियों की जांच की जायेगी. हालांकि, इसकी अभी तैयारी की जा रही है व जल्द ही शिक्षकों की टीम बना कर इस दिशा में काम शुरू कर दिया जायेगा.
स्टूडेंट्स की शिकायत जांच में बरती गयी लापरवाही
गौरतलब है कि स्नातक पार्ट थ्री का रिजल्ट प्रकाशित होने के बाद ज्यादातर छात्र-छात्राओं की यह शिकायतें सामने आने लगी कि उनके प्राप्तांक कम आये हैं व उन्होंने जितना लिखा था, उसके अनुरूप नंबर नहीं दिये गये. कई-कई स्टूडेंट्स की शिकायत यह भी है कि उनकी कॉपियों की जांच में लापरवाही बरती गयी है, जिसके कारण उनका प्राप्तांक कम आया है. इसके कारण वे फेल हो गये हैं. इसके लिए विभिन्न छात्र संगठनों ने एमयू मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन भी किया है.
अंकपत्रों में गलतियों को ठीक करने का काम अंतिम चरण में
स्नातक पार्ट थ्री का रिजल्ट प्रकाशित होने के बाद छात्र-छात्राओं के अंकपत्रों में त्रुटियों को ठीक करने का काम अंतिम चरण में है. ज्यादातर स्टूडेंट्स के अंकपत्रों में सुधार का काम पूरा कर लिया गया है. मगध विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ नंद कुमार यादव ने बताया कि ज्यादातर अंकपत्रों में व्याप्त गड़बड़ियों को ठीक करा लिया गया है. अब कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन को लेकर तैयारी शुरू कर दी गयी है. एमयू प्रशासन के इस कदम से छात्रों में खुशी देखी जा रही है.
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इसमें अलग-अलग विषयों के शिक्षक शामिल होंगे व छात्र-छात्राओं की शिकायत के अनुसार पहले चरण में 10-10 कॉपियों की जांच की जायेगी.
इसमें यह देखा जायेगा कि संबंधित उत्तर पुस्तिकाओं में परीक्षक द्वारा कम अंक दिये गये या फिर कॉपियों की जांच में किसी तरह की लापरवाही बरती गयी है. ऐसा कमोबेश सभी विषयों में नमूने के तौर पर शिक्षकों द्वारा जांच-पड़ताल की जायेगी. इस प्रक्रिया में अगर कॉपियों की जांच में किसी तरह की लापरवाही पायी गयी, तो फिर कम अंक होने का दावा करनेवाले व फेल होने वाले सभी छात्र-छात्राओं की कॉपियों की जांच की जायेगी. हालांकि, इसकी अभी तैयारी की जा रही है व जल्द ही शिक्षकों की टीम बना कर इस दिशा में काम शुरू कर दिया जायेगा.
स्टूडेंट्स की शिकायत जांच में बरती गयी लापरवाही
गौरतलब है कि स्नातक पार्ट थ्री का रिजल्ट प्रकाशित होने के बाद ज्यादातर छात्र-छात्राओं की यह शिकायतें सामने आने लगी कि उनके प्राप्तांक कम आये हैं व उन्होंने जितना लिखा था, उसके अनुरूप नंबर नहीं दिये गये. कई-कई स्टूडेंट्स की शिकायत यह भी है कि उनकी कॉपियों की जांच में लापरवाही बरती गयी है, जिसके कारण उनका प्राप्तांक कम आया है. इसके कारण वे फेल हो गये हैं. इसके लिए विभिन्न छात्र संगठनों ने एमयू मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन भी किया है.
अंकपत्रों में गलतियों को ठीक करने का काम अंतिम चरण में
स्नातक पार्ट थ्री का रिजल्ट प्रकाशित होने के बाद छात्र-छात्राओं के अंकपत्रों में त्रुटियों को ठीक करने का काम अंतिम चरण में है. ज्यादातर स्टूडेंट्स के अंकपत्रों में सुधार का काम पूरा कर लिया गया है. मगध विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ नंद कुमार यादव ने बताया कि ज्यादातर अंकपत्रों में व्याप्त गड़बड़ियों को ठीक करा लिया गया है. अब कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन को लेकर तैयारी शुरू कर दी गयी है. एमयू प्रशासन के इस कदम से छात्रों में खुशी देखी जा रही है.
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