पटना.राज्य के 242 अनुदानित निजी प्लस टू हाईस्कूलों की सरकार
जांच कराएगी। ऐसे स्कूलों की मौजूदा स्थिति क्या है? वहां का शैक्षणिक स्तर
क्या है? सभी पहलुओं की जांच कराई जाएगी। इसके लिए सरकार ने मुख्यालय स्तर
पर तीन सदस्यीय कमेटी बनाने का निर्णय लिया है। कमेटी उच्च शिक्षा
निदेशालय के वरीय पदाधिकारी के नेतृत्व में गठित किए जाने का प्रस्ताव है। जांच के फैसले के बाद मचा हड़कंप...
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हालांकि, अभी इस संबंध में अंतिम निर्णय होना है। राज्य सरकार ने ऑपरेशन
क्लीन के तहत इस जांच कार्यक्रम को शुरू कराने का निर्णय लिया है।
- जांच टीम गठित होने के दो माह में सभी प्लस टू हाईस्कूलों की जांच कर रिपोर्ट शिक्षा विभाग को देनी होगी।
- सरकार पता लगाएगी कि पिछले तीन वर्षों में इन 242 निजी प्लस टू हाईस्कूलों ने कितना अनुदान प्राप्त किया है।
- सरकार पता लगाएगी कि पिछले तीन वर्षों में इन 242 निजी प्लस टू हाईस्कूलों ने कितना अनुदान प्राप्त किया है।
- अनुदान प्राप्त करने के लिए इन स्कूलों ने किन प्रक्रियाओं को अपनाया। कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं हुई।
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किसी संस्थान को मापदंड पूरा नहीं होने के बावजूद अनुदान तो जारी नहीं कर
दिया गया। सभी पहलुओं की जांच के बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
जांच के फैसले से मचा हड़कंप
- मालूम हो, इंटर टॉपर घोटाले के बाद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति वर्ष 2014 से वर्ष 2016 के बीच संबद्धता प्राप्त करने वाले 208 इंटर कॉलेजों की जांच का निर्णय ले चुकी है।
- अब विभागीय स्तर पर भी इस स्तर के संस्थान की जांच के फैसले से हड़कंप मचा है।
- शिक्षा मंत्री ने पहले ही संकेत दिए हैं कि शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए विशेष रूप से कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है।
- सरकार के निर्धारित मापदंड के आधार पर इन स्कूलों को अनुदान मुहैया कराया जाएगा।
- इन स्कूलों के प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी में पास होने वाले छात्रों की संख्या के आधार पर सरकार अनुदान मुहैया कराती है।
शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने की कवायद
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टॉपर घोटाले के बाद शिक्षा मंत्री डाॅ. अशोक कुमार चौधरी ने प्राथमिक से
लेकर उच्च शिक्षा के स्तर तक शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया है।
- बिना पढ़ाई कैसे किसी संस्थान का विद्यार्थी टॉपर बन जाता है, सरकार इस फॉर्मूले को तलाशने में जुटी है।
इन व्यवस्थाओं की होगी जांच
एडमिशन :अनुदानित
प्लस टू स्कूलों में एडमिशन की स्थिति की समीक्षा होगी। जांच में देखा
जाएगा कि एडमिशन की स्थिति क्या है? वहां एडमिशन लेने वाले विद्यार्थियों
के अनुपात में शिक्षकों की संख्या कितनी है? एडमिशन के बाद कक्षाओं के
आयोजन व पढ़ाई की भी व्यवस्था है। यह भी जानकारी ली जाएगी कि कागज पर एडमिशन
दिखाकर सरकार से अनुदान हासिल नहीं किया जा रहा?
आधारभूत संरचना :जांच
टीम यह देखेगी कि प्लस टू स्कूलों के पास आधारभूत संरचना किस प्रकार की
है। स्कूल भवन अपनी जमीन पर हैं या नहीं। अगर किसी दूसरे की जमीन पर भवन है
तो एनओसी कॉलेज प्रशासन के पास है या नहीं। कक्षाओं में विद्यार्थियों के
बैठने के इंतजाम से लेकर शौचालय व पेयजल की व्यवस्था की जानकारी ली जाएगी।
यह भी देखा जाएगा कि सरकार ने अनुदान के जो मापदंड निर्धारित किए हैं,
उन्हें स्कूल कैसे पूरा करता है?
रिजल्ट :
अनुदानित प्लस टू स्कूलों के रिजल्ट की भी समीक्षा की जाएगी। देखा जाएगा
कि पिछले तीन वर्षों में स्कूल का रिजल्ट किस प्रकार का रहा है। अगर शिक्षक
व कक्षाओं के अनियमित आयोजन के बावजूद बेहतर रिजल्ट आता है तो जांच का
दायरा आगे बढ़ेगा।
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