PATNA : टॉपर्स घोटले को लेकर बिहार विदेशों तक सुर्खियों में है। ख्007 में जब इंटर काउंसिल अपने ढ़ाई दशक की आयु का हुआ था तब सीएम नीतीश कुमार ने इसके अस्तित्व को खत्म करते हुए इसे बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड के साथ मिला दिया था।
अब जबकि बिहार की मेधा के साथ बड़ा खिलवाड़ हुआ है तब शिक्षा विभाग और बिहार बोर्ड ने अलग- अलग जांच कमेटी का गठन किया है। वहीं दूसरी तरफ पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों ने क्99भ् में ही इंटर काउंसिल की मान्यता पहले ही रदद कर चुके हैं.
यह है इसकी परंपरा
नागेश्वर प्रसाद शर्मा ने अपनी चर्चित किताब बिहार का सिसकता शिक्षा तंत्र, में लिखा है कि- विगत तीन दशकों से एक सवाल जो अनुत्तरित रहा है वह यह कि डॉ जगन्नाथ मिश्र ने परिषद् की स्थापना राज्य के शिक्षाहित में की थी या अपने चहेतों और पिछलग्गुलओं के नियोजन हेतु? इसके पीछे चाहे जो भी मानसिकता रही हो, पर अपने स्थापना काल से ही राज्य की शिक्षा से जुड़े संस्थानों में इंटर परिषद् एक बदनाम संस्था रही है। धड़ल्ले से अवैध नियुक्तियां, वित्तीय घोटाला, इनके कर्मियों की अनुशासनहीनता और उदंडता, परीक्षाफल में हेरा- फेरी में सुविज्ञता, इनके क्रिया- कलाप के हरेक स्तर पर भ्रष्टाचार, रूटीन कार्यो के निबटारे के लिए परिसर में स्थायी रूप से दलालों की सेवा की अनिवार्यता आदि- आदि, न सिर्फ इंटरमीटिएड काउंसिल की पहचान है बल्कि इसकी परंपरा बन चुकी है.
Sponsored link :
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC