मधेपुरा । फर्जी शिक्षक प्रकरण मामले में शिक्षा विभाग ने विभागीय
अल्टीमेटम निकाला है। विभाग द्वारा जारी आदेश में जिला के सभी बीईओ को
निर्देश दिया गया कि वे हर हाल में शेष शिक्षकों का फोल्डर 24 घंटा के अंदर
जमा करे। वहीं निर्देश दिया गया कि जो नियोजन इकाई जमा नहीं कर रहे हैं
उसके खिलाफ 15 जून तक प्राथमिकी दर्ज करे। ताकि 17 जून को राज्य स्तर की
बैठक में स्थिति को स्पष्ट किया जा सके।
मालूम हो कि अभी तक 633 शिक्षको का फोल्डर निगरानी को सौंपा नहीं गया है। शिक्षा विभाग का कहना है कि पंचायत चुनाव के कारण भले ही मामले थोडा ठंडा पड गया है लेकिन कार्यवाही तो हर हाल में होकर रहेगी। निगरानी के सख्ती के बाद शिक्षा विभाग ने सभी बीईओ का पत्र लिखकर ऐसे लोगों की सूची व प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई शुरू करने की बात कही है।
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65 सौ शिक्षकों के प्रमाण पत्र की होगी जांच: जिला में 65 सौ से अधिक प्राथमिक व मध्य विद्यालय में शिक्षक नियोजन पर कार्यरत है। जिसमे 1856 पंचायत शिक्षक वहीं 4481 प्रखंड शिक्षक है। इसमें 170 नगर पंचायत व परिषद शिक्षक भी शामिल है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर निगरानी विभाग ऐसे शिक्षकों के प्रमाणपत्र की जांच कर रही है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार लगभग 4481 प्रखंड शिक्षकों का प्रमाण पत्र शिक्षा विभाग ने निगरानी को सौंप दिया है। लेकिन लगातार प्रयास के बाद भी ऐसे शेष 633 पंचायत शिक्षकों का प्रमाणपत्र विभाग पंचायत नियोजन इकाई के मनमानी के कारण सफल नहीं हो रहा है।
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चार दर्जन पंचायत सचिव पर कार्रवाई :
डीपीओ स्थापना से मिली जानकारी के अनुसार जिस 633 शिक्षकों का फोल्डर जमा नहीं हुआ है। उसके लिए पंचायत सचिव जिम्मेदार है। ऐसा माना जा रहा है कि मामले के जिम्मेदार चार दर्जन पंचायत सचिव से अधिक पर कार्रवाई सुनिश्चित है। इतना ही नहीं निगरानी पूरे मामले के तह तक में जाने का भी विचार कर रही है। दूसरी ओर वर्तमान में पदास्थापित पंचायत सचिव का कहना है कि यह तो ऐसी बात है कि खेत कोई खाए मार कोई खाए। एक पंचायत सचिव ने बताया कि एक तो मेरे से पूर्व पंचायत सचिव का मामला है। जबकि पंचायत कार्यालय में ऐसे शिक्षकों का कोई लेखा जोखा नहीं है। वहीं इस प्रकरण में तीन दर्जन मुखिया पर भी कार्रवाई हो सकती है। खुद को ऐसे मामले में फंसा मान ऐसे मुखिया व पंचायत सचिव के हाथ पांव फुलना शुरू हो गया है।
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विभाग के आदेश का अनुपालन होना निश्चित है। जो बीईओ इसको गंभीरता से नहीं लेगी उसपर भी कार्यवाही होगी।
बीएन मंडल
जिला शिक्षा पदाधिकारी
मधेपुरा।
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मालूम हो कि अभी तक 633 शिक्षको का फोल्डर निगरानी को सौंपा नहीं गया है। शिक्षा विभाग का कहना है कि पंचायत चुनाव के कारण भले ही मामले थोडा ठंडा पड गया है लेकिन कार्यवाही तो हर हाल में होकर रहेगी। निगरानी के सख्ती के बाद शिक्षा विभाग ने सभी बीईओ का पत्र लिखकर ऐसे लोगों की सूची व प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई शुरू करने की बात कही है।
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65 सौ शिक्षकों के प्रमाण पत्र की होगी जांच: जिला में 65 सौ से अधिक प्राथमिक व मध्य विद्यालय में शिक्षक नियोजन पर कार्यरत है। जिसमे 1856 पंचायत शिक्षक वहीं 4481 प्रखंड शिक्षक है। इसमें 170 नगर पंचायत व परिषद शिक्षक भी शामिल है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर निगरानी विभाग ऐसे शिक्षकों के प्रमाणपत्र की जांच कर रही है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार लगभग 4481 प्रखंड शिक्षकों का प्रमाण पत्र शिक्षा विभाग ने निगरानी को सौंप दिया है। लेकिन लगातार प्रयास के बाद भी ऐसे शेष 633 पंचायत शिक्षकों का प्रमाणपत्र विभाग पंचायत नियोजन इकाई के मनमानी के कारण सफल नहीं हो रहा है।
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चार दर्जन पंचायत सचिव पर कार्रवाई :
डीपीओ स्थापना से मिली जानकारी के अनुसार जिस 633 शिक्षकों का फोल्डर जमा नहीं हुआ है। उसके लिए पंचायत सचिव जिम्मेदार है। ऐसा माना जा रहा है कि मामले के जिम्मेदार चार दर्जन पंचायत सचिव से अधिक पर कार्रवाई सुनिश्चित है। इतना ही नहीं निगरानी पूरे मामले के तह तक में जाने का भी विचार कर रही है। दूसरी ओर वर्तमान में पदास्थापित पंचायत सचिव का कहना है कि यह तो ऐसी बात है कि खेत कोई खाए मार कोई खाए। एक पंचायत सचिव ने बताया कि एक तो मेरे से पूर्व पंचायत सचिव का मामला है। जबकि पंचायत कार्यालय में ऐसे शिक्षकों का कोई लेखा जोखा नहीं है। वहीं इस प्रकरण में तीन दर्जन मुखिया पर भी कार्रवाई हो सकती है। खुद को ऐसे मामले में फंसा मान ऐसे मुखिया व पंचायत सचिव के हाथ पांव फुलना शुरू हो गया है।
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विभाग के आदेश का अनुपालन होना निश्चित है। जो बीईओ इसको गंभीरता से नहीं लेगी उसपर भी कार्यवाही होगी।
बीएन मंडल
जिला शिक्षा पदाधिकारी
मधेपुरा।
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