कटिहार। आजमनगर प्रखंड अंतर्गत सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से गुणवत्ता शिक्षा अभियान की सफलता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों का अभाव है। अधिकांश विद्यालय ऐसे है जहां छात्र-शिक्षक अनुपात मानक से दोगुने से भी ज्यादा है।
सरकारी विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात 30:1 निर्धारित है। इस लक्ष्य से अधिकांश विद्यालय महरूम है। हालांकि शिक्षकों की कमी को दूर करने हेतु शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया भी जारी है। पर अब तक इस कमी को पूरा किया जाना संभव नहीं हो पाया है। प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत 214 प्राथमिक विद्यालय है जहां 60 ह•ार से ज्यादा बच्चे नामांकित है। शिक्षकों के अभाव से इन सरकारी विद्यालयों में नामांकित बच्चों का भविष्य अधर में लटका दिख रहा। गुणवता शिक्षा के नाम पर इन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा। अधिकांश विद्यालय ऐसे है जहां प्रत्येक वर्ग के लिए वर्ग शिक्षक भी उपलब्ध नहीं। ऐसे में गुणवत्ता शिक्षा की कल्पना हास्यास्पद है। मध्य विद्यालय अरिहाना में नामांकन लगभग एक ह•ार है। वहीं कार्यरत शिक्षकों की संख्या प्रधान शिक्षक सहित केवल सात है।
शिक्षकों की कमी का प्रभाव शिक्षण और पर पड़ रहा है। इससे छात्र-छात्राओं का झुकाव निजि ट्यूशन की तरफ बढ़ता जा रहा है। विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। वहीं विभागीय पदाधिकारी का कहना है कि ऐसे विद्यालय जहाँ शिक्षकों की कमी है उसको चिन्हित किया गया है। नियोजन प्रक्रिया द्वारा इस कमी को दूर करने का प्रयास जारी है। जल्द ही इस कमी को दूर कर दिया जायेगा।
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