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पीएचडी धारकों को विवि शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया का लाभ नहीं

राज्य के पीएचडीधारकों इस बार विश्वविद्यालय शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया का लाभ नहीं मिल सकेगा। अभी राज्य के विश्वविद्यालयों में बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। राज्य सरकार इस प्रक्रिया को रोकने के मूड में नहीं है।
अभी तीन विषयों के लिए चली इंटरव्यू प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है। रिजल्ट तैयार है। इसे जारी करने की प्रक्रिया चल रही है। आयोग को विभिन्न विषयों के करीब साढ़े 3200 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति का कार्य पूरा कराना है।

20%को ही मिल रहा लाभ : आयोगने यूजीसी के नियम के आधार पर वर्ष 2009 के आधार पर पीएचडी और पूर्व के पीएचडीधारकों के लिए नेट की अनिवार्यता के नियम को बरकरार रखा है। इस नियम के कारण राज्य के महज 20 फीसदी उम्मीदवारों को ही फायदा मिल रहा है। 80 फीसदी बाहरी उम्मीदवार ही नेट पास कर रिजल्ट में स्थान बना रहे हैं। पीएचडीधारकों के लिए नेट की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग प्रदेश भाजपा नेता लगातार केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री के समक्ष कर रहे हैं। लेकिन, वहां से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिला है।

पूरेदेश में गाइडलाइन जारी करेगा केंद्र : विशेषज्ञोंकी मानें तो केंद्रीय मंत्रालय या यूजीसी इस संबंध में पूरे देश के लिए गाइडलाइन जारी करेगा। इसमें देर लगेगी। राज्य के विवि में 3250 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति हो भी जाती है, तब भी करीब चार हजार पद खाली हैं। अगले चरण की नियुक्ति में केंद्र किसी प्रकार की राहत देता है तो उसका लाभ पीएचडीधारकों को मिल सकेगा। 

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