वैशाली। प्रस्तावित नौवीं की परीक्षा को बिना किसी पूर्व सूचना के
अचानक स्थगित कर देने के सरकार के आदेश की बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने
कड़ी आलोचना की है। माध्यमिक शिक्षक संघ के राज्य कार्यकारिणी सदस्य विनय
मोहन ने सरकार के इस निर्णय को तुगलकी बताते हुए कहा है कि अचानक नौवीं की
परीक्षा स्थगित कर सरकार ने बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।
उन्होंने कहा कि नौवीं की परीक्षा लेने की जो परिपाटी पिछले 40 वर्षों से चली आ रही थी। उसे सरकार ने बिना किसी होमवर्क किए ही अचानक स्थगित कर दिया। पूर्व में सरकार द्वारा एक ही प्रश्नपत्र के आधार पर पूरे राज्य में परीक्षा लेने की बात कही गई थी लेकिन कई स्तर पर खामियां उजागर हुई।
जहानाबाद जिले में तो नौवीं का प्रश्नपत्र ही आउट हो गया। सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए राज्य कार्यकारिणी सदस्य विनय मोहन ने कहा कि माध्यमिक शिक्षक संघ ने प्रश्नपत्र आउट होने व इस प्रणाली की विसंगतियों के संदर्भ में पूर्व में ही सरकार को अवगत करा दिया था। इसके बावजूद सरकार ने प्रश्नपत्र आवंटित कराने का काम सरस्वती प्रेस को दे दिया। बाद में सरस्वती प्रेस से विभिन्न विद्यालयों पर इन प्रश्नपत्रों का उठाव भी कर लिया। अब शिक्षा निदेशक द्वारा अचानक परीक्षा स्थगित किए जाने की सूचना दी गई है, जिसकी निकट भविष्य में कोई संभावना भी नहीं दिखती। क्योंकि हो रहे पंचायत चुनावों में सरकार के विभिन्न प्रशासनिक हलके के अलावा शिक्षा विभाग में संलग्न है। चुनावी कार्य कराने हेतु अभी से ही कई विद्यालयों के शिक्षकों का चयन पीठासीन पदाधिकारी के रूप में कर उनके प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गई है।
सरकार के इस निर्णय को छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताते हुए विनय मोहन ने कहा कि जो शिक्षक पूरी तन्मयता और तत्परता के साथ परीक्षा लेने और रिजल्ट के प्रकाशन में जुटते। उनसे दूसरे कार्य कराने के कारण समाज के बुद्धिजीवी वर्ग की व्यंग वाण की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है। पूर्व से ही मैट्रिक व इंटर की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में संलग्न शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग और पंचायत चुनाव की विवशता के बीच नौवीं की परीक्षा की संभावना पूर्व से ही धूमिल नजर आ रही थी। सरकार द्वारा सतत रूप से किए जा रहे शिक्षकों की मर्यादा के अवमूल्यन पर अपनी ¨चता व्यक्त करते हुए कार्यकारिणी सदस्य विनय मोहन ने कहा कि अब नौवीं वर्ग के विद्यार्थियों का अगला सत्र कब से शुरू होगा, इसकी भी जानकारी किसी को नहीं है।
इस अवसर पर शिक्षक संघ के प्रखंड सचिव गिरीश दत्त ने शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्य पर अपनाए जा रहे रूख पर ¨चता व्यक्त करते हुए कहा कि स्थगित की गई नौवीं की परीक्षा के प्रश्न-पत्र छापने में भी सभी जिलों में अनियमितता बरती गई थी। जिससे प्रश्नपत्र की गोपनीयता भंग होने की प्रबल संभवना पूर्व से ही बनी हुई थी। उन्होंने परीक्षा स्थगित किए जाने की राज्य सरकार के निणर्य की आलोचना करते हुए इसे बिना किसी सोचे-समझे लिए गए निर्णय का परिणाम बताया। माध्यमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी द्वय ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर भविष्य में सरकार द्वारा ऐसे ही तुगलकी फरमान जारी होते रहे तो इसके विरूद्ध माध्यमिक शिक्षक आंदोलन पर उतारू होने के लिए बाध्य होगा।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
उन्होंने कहा कि नौवीं की परीक्षा लेने की जो परिपाटी पिछले 40 वर्षों से चली आ रही थी। उसे सरकार ने बिना किसी होमवर्क किए ही अचानक स्थगित कर दिया। पूर्व में सरकार द्वारा एक ही प्रश्नपत्र के आधार पर पूरे राज्य में परीक्षा लेने की बात कही गई थी लेकिन कई स्तर पर खामियां उजागर हुई।
जहानाबाद जिले में तो नौवीं का प्रश्नपत्र ही आउट हो गया। सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए राज्य कार्यकारिणी सदस्य विनय मोहन ने कहा कि माध्यमिक शिक्षक संघ ने प्रश्नपत्र आउट होने व इस प्रणाली की विसंगतियों के संदर्भ में पूर्व में ही सरकार को अवगत करा दिया था। इसके बावजूद सरकार ने प्रश्नपत्र आवंटित कराने का काम सरस्वती प्रेस को दे दिया। बाद में सरस्वती प्रेस से विभिन्न विद्यालयों पर इन प्रश्नपत्रों का उठाव भी कर लिया। अब शिक्षा निदेशक द्वारा अचानक परीक्षा स्थगित किए जाने की सूचना दी गई है, जिसकी निकट भविष्य में कोई संभावना भी नहीं दिखती। क्योंकि हो रहे पंचायत चुनावों में सरकार के विभिन्न प्रशासनिक हलके के अलावा शिक्षा विभाग में संलग्न है। चुनावी कार्य कराने हेतु अभी से ही कई विद्यालयों के शिक्षकों का चयन पीठासीन पदाधिकारी के रूप में कर उनके प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गई है।
सरकार के इस निर्णय को छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताते हुए विनय मोहन ने कहा कि जो शिक्षक पूरी तन्मयता और तत्परता के साथ परीक्षा लेने और रिजल्ट के प्रकाशन में जुटते। उनसे दूसरे कार्य कराने के कारण समाज के बुद्धिजीवी वर्ग की व्यंग वाण की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है। पूर्व से ही मैट्रिक व इंटर की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में संलग्न शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग और पंचायत चुनाव की विवशता के बीच नौवीं की परीक्षा की संभावना पूर्व से ही धूमिल नजर आ रही थी। सरकार द्वारा सतत रूप से किए जा रहे शिक्षकों की मर्यादा के अवमूल्यन पर अपनी ¨चता व्यक्त करते हुए कार्यकारिणी सदस्य विनय मोहन ने कहा कि अब नौवीं वर्ग के विद्यार्थियों का अगला सत्र कब से शुरू होगा, इसकी भी जानकारी किसी को नहीं है।
इस अवसर पर शिक्षक संघ के प्रखंड सचिव गिरीश दत्त ने शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्य पर अपनाए जा रहे रूख पर ¨चता व्यक्त करते हुए कहा कि स्थगित की गई नौवीं की परीक्षा के प्रश्न-पत्र छापने में भी सभी जिलों में अनियमितता बरती गई थी। जिससे प्रश्नपत्र की गोपनीयता भंग होने की प्रबल संभवना पूर्व से ही बनी हुई थी। उन्होंने परीक्षा स्थगित किए जाने की राज्य सरकार के निणर्य की आलोचना करते हुए इसे बिना किसी सोचे-समझे लिए गए निर्णय का परिणाम बताया। माध्यमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी द्वय ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर भविष्य में सरकार द्वारा ऐसे ही तुगलकी फरमान जारी होते रहे तो इसके विरूद्ध माध्यमिक शिक्षक आंदोलन पर उतारू होने के लिए बाध्य होगा।
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