सीतामढ़ी। सोनबरसा प्रखंड में आठवी की ग्रे¨डग की परीक्षा में उर्दू
छात्रों को भाषा का प्रश्न पत्र नहीं देने तथा ब्लैक बोर्ड पर ¨हदी में
सवाल लिखने की सुचना को बिहार अल्पसंख्यक आयोग ने गंभीरता से लिया है ।
आयोग ने जिलाधिकारी को पत्र जारी कर जांच का आदेश दिया है । आयोग के
अध्यक्ष मो.सलाम ने पत्र में जिक्र किया
है की ,आयोग के सदस्य कुलवंत ¨सह सलूजा के व्हाट्सएप्प पर उर्दू छात्रों को उर्दू शिक्षा से वंचित करने, व प्रश्न पत्र नहीं देने की अखवारों में छपी खबर से जानकारी मिली है । आयोग ने इसे गंभीर मसला बताते हुए प्रशासनिक चूक माना है । साथ ही आयोग ने डीएम से मामले की जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई कर इसकी जानकारी देने को कहा है ।
बताते चले की प्रखंड में नियोजन इकाई व् अधिकारियो ने नियम को ताक पर रख कर पहले उर्दू माध्यम स्कूलों में उर्दू की जगह ¨हदी शिक्षको की बहाली की,पुन: उन स्कूलो में जहां उर्दू भाषी छात्र-छात्राएं काफी संख्या में थे वहा उर्दू शिक्षको की बहाली नहीं कर ¨हदी शिक्षको की बहाली की,और जहां एक भी उर्दू छात्र नहीं थे दो-दो शिक्षकों की बहाली कर दी । पूछने पर अधिकारी यूनिट नहीं होने की बात कह कर जवाबदेही से बचते रहे । पुन: जब परीक्षा की बारी आई तो उर्दू भासा के प्रश्न-पत्र ही छात्रों को उपलब्ध नही कराये गए । उक्त मामले को दैनिक जागरण ने पुरजोर तरीके से उठाया । मुस्लिम सिटीजन फॉर एम्पावरमेंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो.कमर अख्तर ने भी शिक्षा विभाग के अधिकारियो की लापरवाही पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आयोग को अखबारों की प्रति भेज कर व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की । वही आयोग ने भी इस गंभीर मसले पर त्वरित करवाई करते हुए पत्र के माध्यम से जांच कराने और दोषियों पर कार्रवाई करने के लिए डीएम को कहा है । जानकारों की माने तो पुरे वर्ष छात्रों को जब उर्दू पढ़ाने हेतु स्कूलों में गुरु नही मिले तो उक्त भाषा के छात्रों ने अपने -अपने घरों पर ही भाषा की पढ़ाई कर परीक्षा की तैयारी की थी । परन्तु अधिकारियों ने छात्रों के मेहनत और उनके सपनों को फलीभूत होने से पहले ही जमींदोज कर डाला । जिससे लोगों में काफी रोष है ।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
है की ,आयोग के सदस्य कुलवंत ¨सह सलूजा के व्हाट्सएप्प पर उर्दू छात्रों को उर्दू शिक्षा से वंचित करने, व प्रश्न पत्र नहीं देने की अखवारों में छपी खबर से जानकारी मिली है । आयोग ने इसे गंभीर मसला बताते हुए प्रशासनिक चूक माना है । साथ ही आयोग ने डीएम से मामले की जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई कर इसकी जानकारी देने को कहा है ।
बताते चले की प्रखंड में नियोजन इकाई व् अधिकारियो ने नियम को ताक पर रख कर पहले उर्दू माध्यम स्कूलों में उर्दू की जगह ¨हदी शिक्षको की बहाली की,पुन: उन स्कूलो में जहां उर्दू भाषी छात्र-छात्राएं काफी संख्या में थे वहा उर्दू शिक्षको की बहाली नहीं कर ¨हदी शिक्षको की बहाली की,और जहां एक भी उर्दू छात्र नहीं थे दो-दो शिक्षकों की बहाली कर दी । पूछने पर अधिकारी यूनिट नहीं होने की बात कह कर जवाबदेही से बचते रहे । पुन: जब परीक्षा की बारी आई तो उर्दू भासा के प्रश्न-पत्र ही छात्रों को उपलब्ध नही कराये गए । उक्त मामले को दैनिक जागरण ने पुरजोर तरीके से उठाया । मुस्लिम सिटीजन फॉर एम्पावरमेंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो.कमर अख्तर ने भी शिक्षा विभाग के अधिकारियो की लापरवाही पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आयोग को अखबारों की प्रति भेज कर व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की । वही आयोग ने भी इस गंभीर मसले पर त्वरित करवाई करते हुए पत्र के माध्यम से जांच कराने और दोषियों पर कार्रवाई करने के लिए डीएम को कहा है । जानकारों की माने तो पुरे वर्ष छात्रों को जब उर्दू पढ़ाने हेतु स्कूलों में गुरु नही मिले तो उक्त भाषा के छात्रों ने अपने -अपने घरों पर ही भाषा की पढ़ाई कर परीक्षा की तैयारी की थी । परन्तु अधिकारियों ने छात्रों के मेहनत और उनके सपनों को फलीभूत होने से पहले ही जमींदोज कर डाला । जिससे लोगों में काफी रोष है ।
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