बेगूसराय। शिक्षा को लेकर शहर के स्लम एरिया में अब भी जागरूकता की भारी
कमी है। सरकार हर वर्ग को सामान्य शिक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से कई
योजनाएं संचालित कर रही हैं। साथ ही अधिक से अधिक बच्चों को विद्यालय से
जोड़ने के लिए कई आकर्षक योजनाओं के तहत खाना, कपड़ा और नकद रुपये भी दे रही
है।
परंतु, सरकार के इन मंसूबों पर स्लम एरिया के स्कूल पानी फेरते न•ार आ रहे हैं। इन्हीं में से एक विद्यालय है उत्क्रमित मध्य विद्यालय चारूग्राम नागदा। ये विद्यालय पहले सदर प्रखंड के हर्रख क्षेत्र में आता था । मगर अब नगर निगम में आता है। कहने को तो इस विद्यालय में लगभग सात सौ छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। मगर यहां पर प्रतिदिन दो सौ से भी कम बच्चे उपस्थित होते हैं। बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए शिक्षकों को का़फी मशक्कत करनी पड़ती है। इस विद्यालय के पास 12 कमरे हैं। जिसमें चार रूम रिजर्व हैं। जबकि आठ कमरों में वर्ग संचालित होता है। गुरुवार को 12 में से सि़र्फ सात शिक्षक-शिक्षिकाएं ही उपस्थित थे। जिसमें एक शिक्षिका डिप्टेशन पर हैं। बाकी तीन में एक बीमार, एक चुनाव एवं एक शिक्षक प्रशिक्षण में हैं। यहां पर सबसे बड़ी समस्या बच्चों के लिए बेंच की किल्लत है। चार शौचालय में एक बंद है जबकि दो चापाकलों में एक ़खराब है।
कहते हैं स्कूल के विद्यार्थी
शिवम कुमारी कहती हैं कि यहां पर बैठने की सबसे अधिक समस्या है। स्कूल में दस पंद्रह ही बेंच हैं। जिसके कारण कुछ अष्टम वर्ग में है और कुछ सप्तम वर्ग में है। वह बताती है कि बाकी बच्चे जमीन पर ही बैठ कर पढ़ते हैं।
अनीता कुमारी बताती हैं कि यहां पर शिक्षकों की भी भारी कमी है। प्रतिदिन दो-तीन शिक्षक छुट्टी पर रहते हैं। जिसके कारण सभी वर्ग नहीं हो पाता है।
कोमल कुमारी बताती हैं कि विद्यालय में पेयजल की भी समस्या है। गर्मी के इस मौसम में पेयजल एवं पंखा अति आवश्यक है। परंतु, स्कूल में बिजली का कनेक्शन ही नहीं है।
वर्षा कुमारी बताती हैं कि विद्यालय में यूं तो चार शौचालय हैं। जिसमें से एक में ताला लगा रहता है। बाकी शौचालय इतने गंदे रहते हैं कि उसका प्रयोग नहीं किया जा सकता।
सरिता कुमारी के अनुसार यहां पठन-पाठन की समस्या है। बच्चे के गार्जियन अक्सर किसी न किसी काम को लेकर जब मन करता है विद्यालय में चले आते हैं। जिसके कारण शिक्षकों को वर्ग छोड़ कर उनकी बातें सुननी पड़ती है।
प्रीति कुमारी कहती हैं कि विद्यालय की सारी व्यवस्था मिला जुला कर ठीक ही हैं। अभी तो टीसी का भीड़ चल रही है। इसलिए कई शिक्षक उसमें उलझे हुए हैं।
तरन्नुम परवीन कहती हैं कि विद्यालय में बच्चों के अनुरूप शिक्षक होने चाहिए। शिक्षक कम हैं। बाकी सब ठीक है।
कहते हैं प्रभारी प्रधानाध्यापक
विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक नूनूलाल मंडल बताते हैं कि विद्यालय में 718 बच्चे नामांकित हैं। अभिभावकों में जागरुकता की कमी है। शिक्षक समय-समय पर पोषक क्षेत्र का भ्रमण कर अभिभावकों से बच्चों को विद्यालय भेजने की अपील करते हैं। उसके बाद भी बच्चों की सही उपस्थिति नहीं हो पाती है। वे बताते हैं कि बिजली के लिए विभाग द्वारा कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया गया है। यहां पर एनजीओ के द्वारा दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाता है। विद्यालय में शिक्षकों की कमी है। सबसे बड़ी समस्या यहां पर बच्चों को बैठाने की होती है। गर्मी में तो ठीक है बच्चे फर्श पर आराम से बैठ जाते हैं। परंतु, कड़ाके की ठंड में भी उन्हें इसी फर्श पर बैठना पड़ता है। जो काफी कष्टदायक होता है। बार-बार विभाग को इसकी जानकारी दी गई है। परंतु, अब तक मात्र 19 बेंच ही मुहैया कराए गये हैं।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
परंतु, सरकार के इन मंसूबों पर स्लम एरिया के स्कूल पानी फेरते न•ार आ रहे हैं। इन्हीं में से एक विद्यालय है उत्क्रमित मध्य विद्यालय चारूग्राम नागदा। ये विद्यालय पहले सदर प्रखंड के हर्रख क्षेत्र में आता था । मगर अब नगर निगम में आता है। कहने को तो इस विद्यालय में लगभग सात सौ छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। मगर यहां पर प्रतिदिन दो सौ से भी कम बच्चे उपस्थित होते हैं। बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए शिक्षकों को का़फी मशक्कत करनी पड़ती है। इस विद्यालय के पास 12 कमरे हैं। जिसमें चार रूम रिजर्व हैं। जबकि आठ कमरों में वर्ग संचालित होता है। गुरुवार को 12 में से सि़र्फ सात शिक्षक-शिक्षिकाएं ही उपस्थित थे। जिसमें एक शिक्षिका डिप्टेशन पर हैं। बाकी तीन में एक बीमार, एक चुनाव एवं एक शिक्षक प्रशिक्षण में हैं। यहां पर सबसे बड़ी समस्या बच्चों के लिए बेंच की किल्लत है। चार शौचालय में एक बंद है जबकि दो चापाकलों में एक ़खराब है।
कहते हैं स्कूल के विद्यार्थी
शिवम कुमारी कहती हैं कि यहां पर बैठने की सबसे अधिक समस्या है। स्कूल में दस पंद्रह ही बेंच हैं। जिसके कारण कुछ अष्टम वर्ग में है और कुछ सप्तम वर्ग में है। वह बताती है कि बाकी बच्चे जमीन पर ही बैठ कर पढ़ते हैं।
अनीता कुमारी बताती हैं कि यहां पर शिक्षकों की भी भारी कमी है। प्रतिदिन दो-तीन शिक्षक छुट्टी पर रहते हैं। जिसके कारण सभी वर्ग नहीं हो पाता है।
कोमल कुमारी बताती हैं कि विद्यालय में पेयजल की भी समस्या है। गर्मी के इस मौसम में पेयजल एवं पंखा अति आवश्यक है। परंतु, स्कूल में बिजली का कनेक्शन ही नहीं है।
वर्षा कुमारी बताती हैं कि विद्यालय में यूं तो चार शौचालय हैं। जिसमें से एक में ताला लगा रहता है। बाकी शौचालय इतने गंदे रहते हैं कि उसका प्रयोग नहीं किया जा सकता।
सरिता कुमारी के अनुसार यहां पठन-पाठन की समस्या है। बच्चे के गार्जियन अक्सर किसी न किसी काम को लेकर जब मन करता है विद्यालय में चले आते हैं। जिसके कारण शिक्षकों को वर्ग छोड़ कर उनकी बातें सुननी पड़ती है।
प्रीति कुमारी कहती हैं कि विद्यालय की सारी व्यवस्था मिला जुला कर ठीक ही हैं। अभी तो टीसी का भीड़ चल रही है। इसलिए कई शिक्षक उसमें उलझे हुए हैं।
तरन्नुम परवीन कहती हैं कि विद्यालय में बच्चों के अनुरूप शिक्षक होने चाहिए। शिक्षक कम हैं। बाकी सब ठीक है।
कहते हैं प्रभारी प्रधानाध्यापक
विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक नूनूलाल मंडल बताते हैं कि विद्यालय में 718 बच्चे नामांकित हैं। अभिभावकों में जागरुकता की कमी है। शिक्षक समय-समय पर पोषक क्षेत्र का भ्रमण कर अभिभावकों से बच्चों को विद्यालय भेजने की अपील करते हैं। उसके बाद भी बच्चों की सही उपस्थिति नहीं हो पाती है। वे बताते हैं कि बिजली के लिए विभाग द्वारा कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया गया है। यहां पर एनजीओ के द्वारा दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाता है। विद्यालय में शिक्षकों की कमी है। सबसे बड़ी समस्या यहां पर बच्चों को बैठाने की होती है। गर्मी में तो ठीक है बच्चे फर्श पर आराम से बैठ जाते हैं। परंतु, कड़ाके की ठंड में भी उन्हें इसी फर्श पर बैठना पड़ता है। जो काफी कष्टदायक होता है। बार-बार विभाग को इसकी जानकारी दी गई है। परंतु, अब तक मात्र 19 बेंच ही मुहैया कराए गये हैं।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC