पारा 43 पार, स्कूलों में झुलस रहे बच्चे

लखीसराय। सूर्यदेव की प्रचंड तेज व 43 डिग्री तापमान से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। वहीं इस भीषण गर्मी में जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी झुलस रहे हैं। पारा बढ़ने एवं लू को देखते हुए शिक्षा विभाग ने भले ही प्रारंभिक एवं माध्यमिक विद्यालयों का संचालन प्रात:कालीन कर दिया है।
लेकिन वैसे सरकारी विद्यालय जहां बिजली तो दूर भवन तक नहीं है वहां के हजारों छात्र-छात्राएं इस तपतपाती गर्मी में कुम्लाह रहे हैं। शिक्षक-शिक्षिका भी पसीने से लथपथ परेशान नजर आ रहे हैं। जागरण ने इसकी जब पड़ताल की तो यह सच सामने आया कि जिले के सात प्रखंडों में संचालित 777 प्रारंभिक विद्यालयों में से 500 से अधिक विद्यालयों में बिजली की व्यवस्था नहीं है। इन विद्यालयों में अध्ययनरत एक लाख से अधिक बच्चे एवं एक हजार से अधिक शिक्षक इस भीषण
गर्मी से परेशान हैं। जिले में संचालित 87 माध्यमिक विद्यालयों में दो दर्जन से अधिक विद्यालयों में अबतक बिजली नहीं पहुंची है। जिले में 115 ऐसे प्रारंभिक विद्यालय हैं जिन्हें न भवन नसीब है न भूमि। इन विद्यालयों में नामांकित बच्चे व शिक्षक इस प्रचंड गर्मी की चपेट में हलकान हो रहे हैं। शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 75 भूमिहीन व भवनहीन प्रारंभिक विद्यालयों को बगल के विद्यालयों से टैग कर दिया गया है। डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान द्वारा 40 भूमिहीन विद्यालयों के लिए जमीन खोजने का अनुरोध अंचलाधिकारी से किया गया है।
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पुरानी बाजार मवि में बिजली नहीं
जिला मुख्यालय स्थित पुरानी बाजार मध्य विद्यालय में बिजली नहीं है। इस भीषण गर्मी में भी कक्षा चार, पांच के बच्चे जमीन पर बैठकर पठन-पाठन का कार्य करते हैं। विद्यालय को अपना दो मंजिला चकाचक भवन है लेकिन किसी भी कमरे में बिजली की व्यवस्था नहीं है। बच्चों के साथ-साथ शिक्षक भी परेशान रहते हैं। विद्यालय के प्रधानाध्यापक कक्ष में सिर्फ बिजली कनेक्शन है और एक पंखा है जहां सभी शिक्षक गर्मी से बचने के लिए आराम फरमाते हैं। लेकिन बिजली गुल हो जाने पर इनकी भी स्थिति बच्चों जैसी हो जाती है। प्रभारी प्रधान निर्मला कुमारी ने बताया कि वर्ष 2015 के लोकसभा चुनाव में विद्यालय भवन में बिजली कनेक्शन कराया गया। वाय¨रग भी हुई लेकिन बाद में सभी गायब हो गए।
बच्चों ने कहा बिना पंखा राहत नहीं
छात्रा गौरी कुमारी ने कहा कि विद्यालय में जब बिजली ही नहीं है तो पंखा कहां से आएगा। इतनी गर्मी में बिना पंखा के पढ़ाई में भी मन ज्यादा नहीं लगता है। पंखा लग जाए तो राहत मिले।
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छात्रा प्रमिला कुमारी ने कहा कि काफी गर्मी रहने के कारण परेशानी होती है। वर्ग कक्ष से बाहर निकलने पर कड़ी धूप और कमरे में उमस भरी गर्मी के बीच पढ़ाई करनी पड़ती है। बिजली और पंखा दोनों की व्यवस्था होनी चाहिए।
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छात्र अमन कुमार ने कहा कि गर्मी के कारण विद्यालय मोर्निंग तो कर दिया गया लेकिन गर्मी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। विद्यालय में पंखे की व्यवस्था नहीं रहने से हम छात्रों को काफी परेशानी होती है।
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छात्र प्रदीप कुमार ने कहा कि विद्यालय 12 बजे के बदले 10 बजे बंद हो जाए तो गर्मी से थोड़ी बहुत राहत मिल सकती है। क्योंकि विद्यालय में बिजली व पंखे की व्यवस्था नहीं है।
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छात्रा कल्पना कुमारी ने कहा कि छात्रों की समस्या को देखने वाला कोई नहीं है। गर्मी बढ़ती जा रही है, लेकिन स्कूल में पंखा नहीं रहने के कारण गर्मी का अहसास और अधिक होता है।
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पंखा के बिना पढ़ाने में नहीं लगता मन
शिक्षक मो. जाकिर अहमद ने कहा कि विद्यालय के वर्ग कक्ष में बिजली कनेक्शन नहीं रहने के कारण पंखा भी नहीं लगा है। जिस कारण अधिक गर्मी में बच्चों को भी परेशानी होती है।
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शिक्षिका रूबी कुमारी ने कहा कि विद्यालय के प्रधानाध्यापक के कमरे में एक पंखा लगा है इसके अलावा अन्य कमरों में बिजली की व्यवस्था नहीं है। बिना पंखा के ही बच्चों को पढ़ाना पड़ता है। बच्चे भी गर्मी से परेशान रहते हैं।
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शिक्षिका निर्मला कुमारी कहती है कि गर्मी को देखते हुए प्रात:कालीन विद्यालय संचालन के समय में 12 बजे के बदले 10 बजे कर दिया जाए तो बच्चों को परेशानी कम होगी। क्योंकि बिना पंखा के विद्यालय में बच्चे परेशान रहते ही हैं। 12 बजे छुट्टी होने के बाद उन्हें घर जाने में भी परेशानी होती है।
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शिक्षिका सीमा कुमारी ने कहा कि विद्यालय में न सिर्फ बिजली व पंखा की समस्या है बल्कि शुद्ध पेयजल का भी समुचित इंतजाम नहीं है। महिला शिक्षिका के लिए बाथरूम की सही व्यवस्था नहीं है। बिना पंखा गर्मी में बच्चों को पढ़ाना मजबूरी है।
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क्या कहते हैं पदाधिकारी
भीषण गर्मी व लू चलने के कारण जिले के सभी प्रारंभिक एवं माध्यमिक विद्यालयों का संचालन प्रात:कालीन किया जा रहा है। जिले में 8-10 माध्यमिक विद्यालयों में बिजली की व्यवस्था नहीं है, लेकिन सभी विद्यालय प्रधानों को विद्यालय कोष की राशि से विद्युत कनेक्शन लेने का निर्देश दिया जा चुका है। जिले के ग्रामीण इलाके में विद्युतीकरण नहीं होने के कारण भी स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं हो पाई है।

नरेन्द्र कुमार, डीपीओ, माध्यमिक।
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