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शिक्षक नियोजन : निगरानी जांच फिर पकड़ेगी रफ्तार

पूर्णिया : मौसम सर्द होने लगा है, लेकिन प्रमंडल क्षेत्र में पदस्थापित नियोजित शिक्षकों के पसीने छूट रहे हैं.पसीने छूटने की वजह भी खास है.दरअसल इन शिक्षकों को कार्रवाई का डर सताने लगा है.वर्ष 2006 में शिक्षक नियोजन में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा का सामने आया था और पटना उच्च न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए निगरानी जांच के आदेश दिये थे.

लेकिन जांच अभी आरंभ ही हुई थी कि बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गयी और जांच की गति पर ब्रेक लग गया.अब चुनाव संपन्न हो चुके हैं और छठ व दीपावली का पर्व भी समाप्त हो गया है.
अधिकारी व कर्मी तरोताजा हो कर काम पर वापस लौट आये हैं.लिहाजा एक बार फिर निगरानी जांच की रफ्तार तेज होने की उम्मीद है और फर्जी तरीके से नियोजित शिक्षकों के लिए यही परेशानी का सबब बना हुआ है.फर्जी शिक्षकों की बढ़ी परेशानीपूर्णिया प्रमंडल में वर्ष 2006 में 25 हजार से अधिक शिक्षक नियोजित हुए थे.
उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार सभी नियोजित शिक्षक व नियोजन इकाई की गंभीरता से जांच की जा रही है.लंबे ब्रेक के बाद एक बार फिर निगरानी जांच की रफ्तार पकड़ सकती है.ऐसे में फर्जी नियोजन के आधार पर कार्यरत शिक्षकों की परेशानी बढ़ना भी लाजिमी है.दरअसल फर्जीवाड़ा सामने आया तो ऐसे शिक्षकों से ना केवल भुगतान किये गये राशि की रिकवरी की जायेगी, बल्कि कानूनी कार्रवाई भी होगी.शिक्षकों से होगी वेतन रिकवरीनियोजन में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद उच्च न्यायालय ने शिक्षक नियोजन की निगरानी जांच का आदेश दिया.
बाद में न्यायालय ने शिक्षकों को कार्रवाई से मुक्त करने की छूट देते हुए स्वत: इस्तीफा सौंपने का अवसर प्रदान किया था.इस अवसर को एक और विस्तार भी प्रदान किया गया था.जाहिर है ऐसे में अब जो शिक्षक फर्जीवाड़े की श्रेणी में आयेंगे, उनके विरुद्ध कार्रवाई भी की जायेगी.इन शिक्षकों से अब तक किये गये वेतन भुगतान की रिकवरी का आदेश दिया गया है.साथ ही उनके विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज कराया जायेगा.
नियोजन इकाई के विरुद्ध भी कार्रवाई संभवशिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा की जांच निगरानी विभाग के अधिकारी अलग-अलग बिंदुओं पर कर रहे हैं.लिहाजा नियोजन फर्जीवाड़ा में संबंधित नियोजन इकाई की संलिप्तता पाये जाने पर उनके विरुद्ध भी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है.भूलवश हुई गलती पर ही शिक्षक अथवा नियोजन इकाई कार्रवाई से बच सकती है.हालांकि ऐसे मामलों में भी संबंधित शिक्षक को अपनी नौकरी गंवानी होगी.
जांच में हैं कई अड़चन शिक्षक नियोजन जांच के लिए उच्च न्यायालय सख्त है और निगरानी विभाग के अधिकारी भी सजग हैं.लेकिन नियोजन संबंधी दस्तावेजों की जांच अधिकारियों के लिए इतनी आसान भी नहीं है.अधिकारियों के लिए सबसे बड़ी परेशानी यह है कि अभी भी कई नियोजन इकाई द्वारा जांच के लिए दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया है.
गौरतलब है कि वर्ष 2006 में शिक्षकों का नियोजन पंचायत स्तर से किया गया था, जहां संबंधित मुखिया और पंचायत सचिव इसके सदस्य थे.लेकिन अब अधिकतर पंचायत सचिव का तबादला हो चुका है और मुखिया भी बदल चुके हैं.इसके अलावा निगरानी जांच के आदेश के साथ ही दस्तावेजों में छेड़खानी की बात सामने आ चुकी है.ऐसे में दस्तावेजों का मिलना मुश्किल है और जांच भी आसान नहीं है.
125 नवंबर तक प्रमंडल क्षेत्र के सभी शिक्षकों को वेतन भुगतान का आदेश सभी डीपीओ को दिया गया है.इसके उपरांत निगरानी जांच में तेजी लाने हेतु निगरानी अधिकारियों को सहयोग करने को कहा गया है.डा प्रकाश चंद्र झा, आरडीडीइटिप्पणी - 230 नवंबर को उच्च न्यायालय में शिक्षक नियोजन मामले में सुनवाई की तिथि निर्धारित है.

लिहाजा अधिक से अधिक दस्तावेजों की जांच सुनिश्चित करने का प्रयास किया जायेगा.किसी भी प्रकार का फर्जीवाड़ा सामने आने पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.तारणी प्रसाद यादव, डीएसपी, निगरानी विभाग पटनाफोटो : 20 पूर्णिया 4परिचय : पढ़ाते हुए शिक्षक की प्रतीकात्मक तसवीर.

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