पटना: मार्च के महीने में बिहार में ली गई एक तस्वीर जिसने राष्ट्रीय ही नहीं अतंरराष्ट्रीय स्तर पर भी बिहार की एक गंभीर और पुरानी समस्या को सबके सामने लाकर खड़ा कर दिया - राज्य की बिगड़ी हुई शिक्षा व्यवस्था। याद दिला दें कि इस तस्वीर में एक परीक्षा केंद्र के अंदर बैठे छात्रों की मदद के लिए उनके अभिभावक और दोस्तों को दीवार पर चढ़ते हुए दिखाया गया है। इस तस्वीरे के सामने आने के बाद इस अव्यवस्था की पड़ताल शुरु हुई जिसके चलते पिछले महीने 1500 अध्यापकों ने सरकारी स्कूलों से इस्तीफा दे दिया - वजह, फर्जी डिग्री से मिली नौकरी के मामले में फंसने से अच्छा है पहले ही हथियार डाल दिए जाएं।
जून में पटना हाई कोर्ट ने सरकार से उस जनहित याचिका के दावे की जांच करने को कहा था जिसके मुताबिक सरकारी स्कूलों में काम करने वाले 3.5 लाख शिक्षकों में से 40 हजार ने अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में झूठ बोला है। पिछले दस सालों से बिहार की सरकार चलाने वाले नितिश कुमार अब सवालों के कटघरे में है कि क्यों उनके राज में शिक्षकों को नौकरी पाने के लिए नकल का सहारा लेने दिया गया जो सरकारी अफसरों की मिलीभगत के बगैर मुमकिन नहीं है। साथ ही क्यों इस मामले में सही कदम उठाए जाने में देरी हो रही है?
अदालत ये साफ कर चुकी है कि जो शिक्षक फर्जी डिग्री के मामले में पहले ही इस्तीफा दे देंगे, उन पर आपराधिक कार्यवाही नहीं की जाएगी। इस हफ्ते कोर्ट ने कहा कि ये समय-सीमा पूरी हो गई है। वहीं, पटना से पचास किलोमीटर दूर जहानाबाद में 70 शिक्षकों ने काम पर आना बंद कर दिया है। एक माध्यमिक स्कूल की प्रिंसिपल अमरिकन शर्मा ने बताया "एक ने तो मुझे बताया भी नहीं, मुझे अखबार से पता चला।"
गौरतलब है कि इस साल अप्रैल में एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में दिखाया गया था कि किस तरह बिहार के सहरसा जिले में 12वीं की परीक्षा के पर्चे जांचने वाले शिक्षकों को ये भी नहीं पता था कि वह किस विषय के पेपर चेक कर रहे हैं। कईयों को तो मैथामेटिक्स(गणित) बोलना भी नहीं आता था और कुछ को शेक्सपियर के बारे में ही नहीं पता था। बिहार के शिक्षा विभाग के अफसरों ने ये कहकर कैमरे के सामने टिप्पणी करने से मना कर दिया कि मामला कोर्ट में है। यही नहीं, बिहार के सरकारी स्कूल करीब दो लाख शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं।
सरकारी नौकरी - Government Jobs - Current Opening All Exams Preparations , Strategy , Books , Witten test , Interview , How to Prepare & other details
जून में पटना हाई कोर्ट ने सरकार से उस जनहित याचिका के दावे की जांच करने को कहा था जिसके मुताबिक सरकारी स्कूलों में काम करने वाले 3.5 लाख शिक्षकों में से 40 हजार ने अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में झूठ बोला है। पिछले दस सालों से बिहार की सरकार चलाने वाले नितिश कुमार अब सवालों के कटघरे में है कि क्यों उनके राज में शिक्षकों को नौकरी पाने के लिए नकल का सहारा लेने दिया गया जो सरकारी अफसरों की मिलीभगत के बगैर मुमकिन नहीं है। साथ ही क्यों इस मामले में सही कदम उठाए जाने में देरी हो रही है?
अदालत ये साफ कर चुकी है कि जो शिक्षक फर्जी डिग्री के मामले में पहले ही इस्तीफा दे देंगे, उन पर आपराधिक कार्यवाही नहीं की जाएगी। इस हफ्ते कोर्ट ने कहा कि ये समय-सीमा पूरी हो गई है। वहीं, पटना से पचास किलोमीटर दूर जहानाबाद में 70 शिक्षकों ने काम पर आना बंद कर दिया है। एक माध्यमिक स्कूल की प्रिंसिपल अमरिकन शर्मा ने बताया "एक ने तो मुझे बताया भी नहीं, मुझे अखबार से पता चला।"
गौरतलब है कि इस साल अप्रैल में एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में दिखाया गया था कि किस तरह बिहार के सहरसा जिले में 12वीं की परीक्षा के पर्चे जांचने वाले शिक्षकों को ये भी नहीं पता था कि वह किस विषय के पेपर चेक कर रहे हैं। कईयों को तो मैथामेटिक्स(गणित) बोलना भी नहीं आता था और कुछ को शेक्सपियर के बारे में ही नहीं पता था। बिहार के शिक्षा विभाग के अफसरों ने ये कहकर कैमरे के सामने टिप्पणी करने से मना कर दिया कि मामला कोर्ट में है। यही नहीं, बिहार के सरकारी स्कूल करीब दो लाख शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं।
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