बेतिया। एक तरफ शिक्षा विभाग व इंटेलीजेंस की नजर फर्जी शिक्षकों पर लगी हुई हैं वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी चतुर शिक्षक हैं जो विद्यालयों में पढ़ाने की बजाय अपनी सुविधा के अनुसार 'डेपुटेशन' अथवा प्रतिनियुक्ति करा गैर शैक्षणिक कार्यो का जमकर आनंद ले रहे हैं। पूरे जिले में ऐसे शिक्षकों की संख्या तीन दर्जन से भी अधिक है। लगभग सभी प्रखंडों में फिलहाल ऐसे शिक्षक कार्यरत हैं। ये शिक्षक अधिकांशत: अपने घर के आसपास अथवा अपनी सुविधा के अनुसार ही सरकारी दफ्तरों व विद्यालयों का चयन कर वहां अपनी प्रतिनियुक्ति करा रहे हैं।
अव्वल तो यह है कि विगत दिनों शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने जिलों में शिक्षकों के डेपुटेशन किये जाने को रद करने का आदेश जारी किया था लेकिन आलम यह है कि आज भी जिले में तीन दर्जन से अधिक शिक्षक 'डेपुटेशन' पर हैं। शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों व नियोजन समिति को मेल में लेकर सेटिंग गेटिंग का ऐसा कार्य किया जा रहा है। मोटी रकम की अदायगी के बाद ऐसे शिक्षक मनचाहे कार्यालय व विद्यालय में अपना डेपुटेशन करा रहे हैं। कई शिक्षक ऐसे हैं जिनको पठन पाठन का कार्य छोड़े एक साल से अधिक का समय बीत गया है।
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गैर शिक्षण कार्यो में भी इस्तेमाल किये जा रहे शिक्षक
बेतिया : सरकारी नियम के अनुसार शिक्षक व शिक्षिकाओं का इस्तेमाल गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं करना है लेकिन जिले में डेपुटेशन पर गये अधिकांश शिक्षक इन दिनों बीएलओ व शिक्षकों के नियोजन के कार्य व बीडीओ तथा प्रखंड स्तरीय दफ्तरों में कार्य करने में लगे हुए है जिससे शैक्षणिक कार्यो से उनकी दूरी बनी हुई है। कई शिक्षकों ने तो चरवाहा विद्यालयों को भी अपना टारगेट बना लिया है ताकि उनपर अधिकारियों व अभिभावकों की नजर नहीं पड़ सके।
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