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डीपीओ कार्यालय में त्यागपत्र देने पहुंच रहे फर्जी शिक्षक : बिहार शिक्षक नियोजन Latest Updates

सीवान : हाइकोर्ट द्वारा फर्जी शिक्षकों को त्यागपत्र देने की मोहलत समाप्त होने के बाद अब भी फर्जी शिक्षक त्यागपत्र के साथ डीपीओ स्थापना कार्यालय पहुंच रहे हैं. नियोजन इकाइयों द्वारा इनका त्याग पत्र ठुकराने के बाद शिक्षक डीपीओ स्थापना कार्यालय की ओर रुख कर रहे हैं. ये शिक्षक कोर्ट द्वारा नौ जुलाई तक दिये गये समय सीमा के भीतर त्याग पत्र नहीं दे सके. 

ये दीगर बात है कि ऐसे शिक्षकों का त्यागपत्र विभाग स्वीकार्य नहीं कर रहा है. इन शिक्षकों को अब कार्रवाई होने और जेल जाने का डर सता रहा है. शिक्षा विभाग के एक वरीय पदाधिकारी की बात पर गौर करें तो उनका मानना है कि इससे यह प्रतीत होता है कि अब भी जिले में फर्जी शिक्षकों की कमी नहीं है.
कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देश के आलोक  में अब तक जिले में कार्यरत 84 फर्जी शिक्षकों द्वारा त्याग पत्र दिया जा चुका है. इनमें सबसे अधिक संख्या सिसवन प्रखंड में कार्यरत शिक्षकों की है. डीपीओ स्थापना एए खान ने बताया कि जो फर्जी शिक्षक तय समय सीमा के भीतर त्याग पत्र नहीं दे सके हैं, अब उन पर कार्रवाई तय है और इन्हें जेल भी जाना पड़ेगा. 
इधर, निगरानी विभाग द्वारा फर्जी शिक्षकों पर शिकंजा कसने का सिलसिला शुरू कर दिया गया है. प्लस टू विद्यालयों में कार्यरत नयोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच तेज कर दी गयी है. अब निगरानी ने सूबे से बाहर के बोर्ड के प्रमाणपत्रों की जांच का काम शुरू कर दिया है. इसके लिए निगरानी विभाग ने एक टीम गठित की है जो अलग-अलग राज्यों के बोर्डो से जारी प्रमाणपत्रों की जांच बोर्ड में जा कर करेगी. ऐसे शिक्षकों की सूची को तैयार की जा रही है, जो फर्जी प्रमाणपत्र पर नियोजित हैं.
अमान्य संस्थानों का किया जा रहा मिलान
स्थापना विभाग  शिक्षा विभाग द्वारा जारी अमान्य संस्थानों की सूची से प्रमाणपत्र जारी करने वाली संस्थानों को मिलान कर रहा हैं. यदि सूची में दरसाये गये संस्थान से मेल नहीं खा रहा है, तो उन्हें फर्जी मान कर अलग कर दिया जा रहा है. 
इन सबके बीच सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस सूची को विभाग द्वारा पूर्व में भी उपलब्ध कराया गया था, जिसमें अमान्य संस्थानों का ब्योरा दिया गया था. इसके बावजूद  ऐसे सैकड़ो शिक्षकों को नियोजन किया गया, जिसके संस्थानों का मिलान विभाग आज कर रहा है.आखिर नियोजन के लिए सूची का अनुमोदन तो विभाग द्वारा ही किया गया था और अब विभाग ही उन शिक्षकों को फर्जी कह रहा है.


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