बांका। फर्जी शिक्षक बहाल करना बांका के पांच से अधिक नियोजन समिति के गले
की फांस बन गयी है। निगरानी जांच में सख्ती के कारण अब कई पंचायत सचिव,
मुखिया के अलावा बीडीओ और प्रमुख पर भी आंच पहुंच रही है। निगरानी जांच के
मुताबिक नियोजन समिति ने सरकार का पत्र जारी होने के बाद भी अमान्य डिग्री
वाले आवेदकों को नौकरी दे दी।
नियोजन समिति ने अमान्य संस्थान की डिग्री वाले आवेदकों की ना खुद जांच की ना ही विभागीय पत्र जारी होने के बाद इसका संज्ञान ही लिया। ऐसे में फर्जी शिक्षकों को बहाल करने और वेतन भुगतान की सारी जिम्मेवारी के लिए नियोजन समिति ही दोषी होंगे। ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई के बाद नियोजन समिति के मुखिया, पंचायत सचिव और बीडीओ-प्रमुख भी इससे बचे नहीं रहेंगे। अमान्य संस्थान की बहाली का अधिकांश मामला प्रथम और द्वितीय चरण के 2006 और 2008 के नियोजन से सामने आ रहा है। इतना ही नहीं नियोजन समिति पर इससे बड़ी गाज बहाली का कागजात जमा नहीं करने पर गिर सकती है। चांदन, कटोरिया, फुल्लीडुमर, बांका, रजौन से निगरानी सेल में अब तक जमा कराये गये शिक्षकों के सत्यापित प्रमाण पत्र के साथ उनका मूल आवेदन नहीं भेजा गया है। कोई पंचायत मूल आवेदन और मेधा सूची मिलने का नाम ही नहीं ले रहा है। इससे साफ जाहिर होता है कि ये नियोजन समिति गड़बड़ी छिपाने के उद्देश्य से इसका बहाना बना रही है। इस संबंध में विभाग शुक्रवार की बड़ी बैठक के बाद बड़ा फैसला लेने वाली है। साथ ही जिन प्रखंड से अब तक सभी शिक्षकों का सत्यापित प्रमाण पत्र जमा नहीं कराया गया है वहां भी कार्रवाई का डंडा चल सकता है।
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नियोजन समिति ने अमान्य संस्थान की डिग्री वाले आवेदकों की ना खुद जांच की ना ही विभागीय पत्र जारी होने के बाद इसका संज्ञान ही लिया। ऐसे में फर्जी शिक्षकों को बहाल करने और वेतन भुगतान की सारी जिम्मेवारी के लिए नियोजन समिति ही दोषी होंगे। ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई के बाद नियोजन समिति के मुखिया, पंचायत सचिव और बीडीओ-प्रमुख भी इससे बचे नहीं रहेंगे। अमान्य संस्थान की बहाली का अधिकांश मामला प्रथम और द्वितीय चरण के 2006 और 2008 के नियोजन से सामने आ रहा है। इतना ही नहीं नियोजन समिति पर इससे बड़ी गाज बहाली का कागजात जमा नहीं करने पर गिर सकती है। चांदन, कटोरिया, फुल्लीडुमर, बांका, रजौन से निगरानी सेल में अब तक जमा कराये गये शिक्षकों के सत्यापित प्रमाण पत्र के साथ उनका मूल आवेदन नहीं भेजा गया है। कोई पंचायत मूल आवेदन और मेधा सूची मिलने का नाम ही नहीं ले रहा है। इससे साफ जाहिर होता है कि ये नियोजन समिति गड़बड़ी छिपाने के उद्देश्य से इसका बहाना बना रही है। इस संबंध में विभाग शुक्रवार की बड़ी बैठक के बाद बड़ा फैसला लेने वाली है। साथ ही जिन प्रखंड से अब तक सभी शिक्षकों का सत्यापित प्रमाण पत्र जमा नहीं कराया गया है वहां भी कार्रवाई का डंडा चल सकता है।
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