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23 हजार करोड़ नहीं बारह सौ करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ेगा


23 हजार करोड़ नहीं बारह सौ करोड़ का अतिरिक्तवित्तीय बोझ बढ़ेगा
PATNA: सीएम जीतन राम मांझी के दिल्ली जाने से पहले नियोजित टीचर्स ने एक बार फिर उनसे मुलाकात की. इस दौरान टीचर्स ने नाराजगी जतायी कि कहने के बाद भी कैबिनेट में वेतनमान पर मुहर नहीं लगी. इसके बाद एजुकेशन मिनिस्टर सहित एजुकेशन डिपार्टमेंट के कई ऑफिसर्स के बीच नियोजित टीचर्स को स्थाई करने और उन्हें वेतनमान देने के मुद्दे पर लंबी बहस हुई.

फाइनली दिल्ली जाने से पहले सीएम ने शिक्षक नेताओं
को आश्वस्त कराया कि दिल्ली से लौटने के बाद
इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी जाएगी.
झूठ बोल रहे हैं ऑफिसर्स
शिक्षक नेताओं ने कहा कि वेतनमान पर आधिकारिक
घोषणा कैबिनेट की पिछली बैठक में ही हो गया होता, अगर
सरकार और विभाग के बड़े ऑफिसर्स इसमें अड़ंगा नहीं लगाते.
सूत्रों ने बताया कि सीएम द्वारा टीचर्स कोवेतनमान देने
की घोषणा के बाद ऑफिसर्स ने उन्हें कहा कि अगर ऐसा होता है
तो सरकार पर तेईस हजार करोड़ का अतिरिक्त वित्तिय भार
आएगा और इतने का तो शिक्षा विभाग का बजट भी नहीं है.
लेकिन मिलने वाली सैलरी, बढ़ने वाले वित्तिय बोझ और टीचर्स
की संख्या का गणित लगाने पर ऑफिसर्स की बातें झूठी साबित
होती है. मान लिया जाय कि नियोजित टीचर्स को वेतनमान
दे दिया गया. इसके बाद प्राइमरी टीचर्स का वेतन बढ़ कर पच्चीस
हजार के आसपास हो जाएगा और हाई स्कूल के टीचर्स का वेतन
अट्ठाईस हजार के पास हो जाएगा. सरकारी आंकड़े को ही मान
लें तो स्टेट में चार लाख नियोजित टीचर्स हैं. इन सारे टीचर्स
को औसतन तीस-तीस हजार वेतन मान लिया जाय तो साल में
बारह सौ करोड़ का अतिरिक्तभाड़ आएगा न कि ख्8 हजार
करोड़. इसी गणित को समझने के बाद सीएम ने टी टीचर्स
को भरोसा दिया है कि दिल्ली से लौटकर सबसे पहला काम
यही करूंगा कि टीचर्स को वेतनमान देने पर मुहर लगे.
वेतनमान देने में कानूनी अड़चन नहीं
नियोजित टीचर्स को वेतनमान देने में कोई कानूनी अड़चन
नहीं है. मालूम हो कि क्980 में ही हाईस्कूल के लिए सैंतीस हजार
पद स्वीकृत हुए थे लेकिन आजतक सैंतीस हजार टीचर्स
की नियुक्तिही नहीं हुई. पिछले साल तक का आंकड़ा कहता है
कि ऐसे नियमित टीचर्स अब मात्र दस हजार सात सौ ही बचे हैं.
जितने भी टीचर्स नियोजित हुए हैं वे कभी भी रिक्त पदों से
अधिक नहीं हुए हैं. जानकारों का कहना है कि अब भी स्टेट में
टीचर्स की काफी कमी है. आज भी आरटीई
की मान्यता को एजुकेशन डिपार्टमेंट पूरा नहीं कर रहा है.
यहां तक कि बिहार पहला राज्य बना जिसने कॉमन स्कूल
सिस्टम पर आयोग का गठन किया है. मालूम हो कि इसी आयोग
ने सिफारिश की थी कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए टीचर्स
को वेतनमान देना आवश्यक है. कुछ दिन पूर्व ही एनसीटीई ने
बिहार के एजुकेशन डिपार्टमेंट से कहा है कि वे नियोजित टीचर्स
को सहायक टीचर का दर्जा दे. मालूम हो कि ओडिशा व
यूपी सहित कई अन्य राज्यों में नियोजित टीचर्स को वेतनमान
मिल चुका है.
ब्यूरोक्रेट्स नहीं चाहते हैं कि टीचर्स को वेतनमान मिले. सीएम
को अबतक बरगला रहे थे, लेकिन तय मानिए कि कैबिनेट
की अगली बैठक में टीचर्स को तोहफा जरूर मिलेगा.
-नवीन कुमार नवीन, राज्य उपाध्यक्ष, नव नियुक्त माध्यमिक
शिक्षक संघ

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